वर्चस्व स्थापित कर बैठे लोगों से प्रताडि़त हंै काम करने वाले पटवारी
जबलपुर (जयलोक)। जबलपुर जिले में पदस्थ पटवारियों और आरआई को लेकर बड़े स्तर पर सर्जरी होने की स्थिति बन रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत से पटवारी और आरआई लंबे समय से एक ही हलके और एक ही तहसील में पदस्थ हैं। ऐसे लोगों के जहां हलके बदले जाएंगे और उनकी तहसीलें भी बदली जाएंगी। जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के समक्ष लंबे अर्से से इस बात की शिकायतें पहुँच रही थी कि कुछ तहसीलों में लंबे समय से पदस्थ चले आ रहे पटवारी शासकीय कार्यों को और अपनी तहसीलों के कार्यों को मनमर्जी के अनुसार संचालित कर रहे हैं।
कुछ लोगों का दावा था कि अपनी कार्य प्रणाली को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाले कुछ आर आई और पटवारी तहसील को अपने अनुसार चलने का प्रयास कर रहे हैं। तहसीलदारों और अनुविभागीय अधिकारियों को सेट कर यह पूरा कार्य किया जा रहा था। स्थिति यह हो गई थी कि उनके हलके को छोडि़ए उनकी तहसील में भूमि का नामांकन होना है कि भूमि का सीमांकन होना है कि भूमि का बटांकन होना है आदि कार्य यह सब उनकी मर्जी से तय हो रहे थे और इसका लेनदेन तय करने के लिए भी यही लोग बदनाम हो रहे थे। इनके कृत्यों के कारण शासन की छवि खराब हो रही है। यह संदेश लगातार वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुँच रहा था।
जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने राजस्व अधिकारियों की एक बैठक ली थी इस बैठक में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि लंबे समय से एक ही जगह पर पदस्थ आर आई पटवारी को स्थानांतरित किया जाए। यह ख़बर उन पटवारियों के लिए भी अनुकूल है जो मेहनत कर रहे हैं और बिल्डर और भूमाफिया के साथ सांठ-गांठ के खेल में शामिल नहीं होते लेकिन उन पर दबाव बनाकर यह कार्य करने का प्रयास किया जाता है। यह काम वही लोग करते हैं जो तहसीलों में कई सालों से जमे हुए हैं और अपना वर्चस्व बनाकर काम कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं कि न सिर्फ पटवारी के हल्के में बदलाव हो बल्कि जो पटवारी लंबे समय से एक ही तहसील में बने हुए हैं उनकी तहसील में भी बदलाव कर उन्हें पदस्थ किया जाए।
इस वक्त जिले में भूमि संबंधी धोखाधड़ी और अपराध की काफी शिकायतें सामने आ रही है। कुछ बड़े प्रकरण ऐसे भी सामने आए हैं जिसमें फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर रजिस्ट्री करवाना बटवारा और नामांतरण जैसी बातें भी सामने आई हैं। इस पर भी कलेक्टर दीपक सक्सेना ने राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया है कि इस प्रकार के किसी भी मामले में लापरवाही ना बरती जाए और तत्काल ऐसे मामलों में कानूनी कार्यवाही करते हुए पुलिस में अपराधिक मामले दर्ज करवाई जाएं।
तहसील से पटवारी की दूरी से अटके रहे बहुत से काम
2 दिन रहे तहसील में जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने अधिकारियों की बैठक में एक फरमान जारी किया था कि कोई भी पटवारी बेवजह आकर तहसील में बैठा पाया जाएगा तो उसका उस दिन का वेतन काट दिया जाएगा। समस्त पटवारी को यह निर्देश दिए गए थे कि वे अधिक से अधिक समय अपने हल्कों में व्यतीत करेंगे इसके साथ ही साप्ताहिक दिनों के हिसाब से वह किस दिन किस गांव की किस स्थान पर उपस्थित रहेंगे इसकी सूची भी बनाकर जारी की गई थी। यह एक अच्छी सोच का नवाचार था, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह निकलकर सामने आ रहा है की तहसील में पटवारी से मिलकर अपनी भूमि या अन्य कार्यों से संबंधित कार्य करवाने आने वाले लोगों को काफी भटकना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रूप में दर्ज हुए मामले ऐसे लोगों के भी हैं जिनमें बहुत बड़ी संख्या में लोग शहरी क्षेत्र में निवास करते हैं। वे मूल रूप से गांव में नहीं रहते हैं। लेकिन अब यह समस्या खड़ी हो गई है कि अगर किसी को अपने क्षेत्र के पटवारी से जाति प्रमाण पत्र, सी फार्म, मूल निवासी या अन्य भूमि संबंधित बटवारा बटांक या फौती से संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए हो या आवेदन करना हो तो फिर वह भटकने के लिए मजबूर हंै क्योंकि पटवारी अपने हलके में मौजूद रहने के फरमान को नहीं निभा रहे हैं इसलिए क्योंकि वह तहसील से दूर हंै। राजस्व मामलों के जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में 2 दिन पटवारी को तहसील में उपस्थित रहना सुनिश्चित किया जाना चाहिए और बचे हुए शेष दिन में उन्हें फील्ड पर उपस्थित रहना चाहिए ताकि समन्वय बनाकर सभी कार्य बराबर से आगे बढ़ सकें और किसी भी प्रकार से लोगों को परेशानी ना हो सके।
