जबलपुर (जय लोक)। मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन का एक साल से अधिक समय हो चुका है। अब प्रदेश की सरकार में और भाजपा संगठन में नियुक्तियां होने का इंतजार भी कुछ समय बाद खत्म होने की उम्मीदें लगाई गई है। भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के पश्चात प्रदेश सरकार के निगमों और मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों का रास्ता साफ हो सकेगा। वहीं प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा के संगठन में भी भाजपा के नेताओं की नियुक्तियों का रास्ता साफ होगा।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट से वंचित भाजपा के दिग्गज नेताओं तथा उपेक्षित वरिष्ठ भाजपा नेताओं को भी खुश करने के लिए प्रदेश की सरकार के निगम मंडलों में अध्यक्ष के पद पर पदस्थ किया जाएगा। इन नियुक्ति के समय नेताओं की वरिष्ठता को भी ध्यान में रखा जाता है?। वरिष्ठ नेताओं को जहां कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया जाता रहा है वहीं अन्य नेताओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाता है। प्रदेश में 40 से अधिक निगम और मंडल हैं जिनमें अध्यक्ष और कुछ निगम मंडलों में अध्यक्ष के साथ उपाध्यक्ष भी नियुक्त होते हैं। अब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को बेसब्री से निगम और मंडलों में नियुक्तियों का इंतजार बना हुआ है। जबलपुर के भी कई वरिष्ठ नेताओं को निगमों मंडलों में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। अगले सप्ताह दिल्ली विधानसभा के चुनाव हो जाने के बाद प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के संगठन के चुनाव के आखिरी दौर में अब अध्यक्ष का चुनाव होना ही बाकी रह गया है। यह चुनाव जैसे ही होगा तब नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की राय और उनकी सहमति के आधार पर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के नेताओं का चयन होगा जिन्हें निगम और मंडलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के पद पर नियुक्त किया जाना है। इसी तरह ऐसे नेता जो कि निगम मंडलों में जगह नहीं पा पाएंगे इन नेताओं को भाजपा के प्रदेश संगठन में भी पदाधिकारी बनाया जाएगा।
कांग्रेस से आए नेताओं का भी ध्यान रखा जाएगा
प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार को उखाडऩे के पश्चात ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोग से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और अभी हुए विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार भारी बहुमत के साथ बन चुकी है।इस दौर में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं। ऐसे कांग्रेसी नेताओं को भी सत्ता और संगठन में जगह देना एक बड़ी चुनौती होगा। ऐसे पूर्व कांग्रेसियों को भी भाजपा निगम और मंडलों में जगह दे सकेगी।