भाजपा के सबसे अमीर विधायक संजय पाठक पर
ईओडब्ल्यू की कार्रवाही से मचा हडक़ंप
जबलपुर (जयलोक)।कांगे्रस छोडक़र भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर कटनी के विजयराघवगढ़ से विधायक बने संजय पाठक भाजपा के सबसे अमीर विधायक माने जाते हैं। उनके परिवार के ऊपर ईओडब्ल्यू ने सहारा समूह की जबलपुर, कटनी और भोपाल में 310 एकड़ जमीन को बहुत कम दामों में खरीदी का मामला दर्ज किया है। नायसा देवबिल्ड प्राईवेट लिमिटेड तथा सिनाफ रियलस्टेट कंपनी में विधायक संजय पाठक की माँ कटनी की पूर्व महापौर श्रीमती निर्मला पाठक और संजय पाठक के बेटे यश पाठक शेयर होल्डर हैं। संजय पाठक के परिवार पर ईओडब्ल्यू द्वारा कल दर्ज किए गए मामले को लेकर जबलपुर, कटनी और प्रदेश की राजधानी भोपाल में हडक़ंप मचा हुआ है।
मध्य प्रदेश में सरकार में राज्य मंत्री रह चुके तथा वर्तमान में कटनी के विजय राघवगढ़ से विधायक भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता संजय पाठक और सहारा समूह पर जमीनों की खरीद फारोख्त में बहुत बड़े घोटाले के आरोप ईओडब्ल्यू में दर्ज हुई शिकायतों में लगे हैं। जमीनों की खरीद फरोख्त में गड़बड़ी के इस आरोप पर राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो द्वारा मामला दर्ज कर जाँच भी शुरू कर दी गई है। अब इस जाँच के कारण संजय पाठक की मुसीबतें बढऩे ही वाली हैं।
जबलपुर, कटनी और भोपाल की सहारा की जमीनें बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक संजय पाठक की कंपनियों द्वारा नियम विरुद्ध खरीदने की शिकायत ईओडब्ल्यू को की गई थी। राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो यानि ईओडब्ल्यू ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग कॉरपोरेशन के संचालकों और भाजपा विधायक संजय पाठक की कंपनियों के संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय और सेबी द्वारा सहारा समूह को निवेशकों की राशि लौटाने के लिए कंपनी की संपत्ति बेचने की अनुमति दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिए थे कि जमीन बेचने से प्राप्त राशि को बांद्रा मुंबई के सेबी स्थित अकाउंट में जमा कराया जाए ताकि उस पैसे को गरीब निवेशकों को वापस लौटाया जा सके।
सहारा समूह की भोपाल के पास 11 मील चौराहे पर 48 करोड़ रुपए कीमत की लगभग 110 एकड़ जमीन मेसर्स सिनाप रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को बेची गई थी। जबलपुर में लगभग 100 एकड़ जमीन 20 करोड़ रुपए में मेसर्स नायसा देवबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को बेची गई। कटनी में लगभग 100 एकड़ जमीन 20 करोड़ रुपए में मेसर्स नायसा देवबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को बेची गई थी। इन्हें मिलाकर सहारा समूह द्वारा लगभग 310 एकड़ जमीन को लगभग 90 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मूल्यांकन के बाद खुद सहारा कम्पनी ने केवल मक्सी गांव की 110 एकड़ जमीन की कीमत 125 करोड़ रुपए बताई थी। अब राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो की टीम जाँच के बाद तय करेगी कि किस-किस तरह से नियम कायदों की अवहेलना कर इन जमीनों की खरीदी में गड़बड़ी की गई है।
स्टाम्प ड्यूटी की भी बड़ी चोरी
ईओडब्ल्यू में जो शिकायत दर्ज की गई है उसमें यह आरोप भी लग रहे हैं कि भाजपा के विधायक संजय पाठक की कंपनियों द्वारा रहवासी जमीनों की रजिस्ट्री कृषि भूमि के रूप में कराई गइ है जिससे स्टाम्प ड्यूटी की बड़ी चोरी किए जाने का आरोप भी लग रहा है। ईओडब्ल्यू के सूत्र बता रहे हैं कि इस मामले में भी जाँच की जाएगी।
निवेशकों के साथ हुई धोखाधड़ी
ईओडब्ल्यू के डीजी उपेन्द्र जैन का यह कहना है कि सहारा के निवेशकों को उनकी राशि लौटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी इसके तहत राशि विशेष खाते में जमा करनी थी लेकिन जमीनों को बेच कर राशि खाते में जमा नहीं कराई गई। यह निवेशकों के साथ धोखा है इसलिए प्राथमिक जाँच पंजीबद्ध की गई है।