वैसे तो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सबका एक ही कहना था और है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त होकर ही रहेगा लेकिन हो बिल्कुल उल्टा रहा, परिवहन विभाग के एक अदने से प्यादे के पास अरबों की संपत्ति मिलती है अब उसकी डायरी से खोजबीन हो रही है कि इतना माल आखिर इसने कमाया कैसे लेकिन कोई भी जाँच एजेंसी उनका नाम घोषित नहीं कर रही जिनका नाम उसकी डायरी में मिला है। कांग्रेसी नेता उमंग सिंगार ने तो स्पष्ट आरोप लगा दिया है कि मोहन सरकार में मंत्री गोविंद राजपूत के ही निर्देशन में ही सब कुछ हो रहा था, ये कौन सी नई बात बता दी है सिंगार जी ने। परिवहन विभाग तो है ही ‘कमाऊ पूत’ जिसमें पोस्टिंग पाने के लिए लोग बाग कितने जतन करते हैं क्योंकि उनको मालूम है कि एक बार परिवहन विभाग में नियुक्ति भर हो जाए उनकी सात पीढ़ी तर जाएगी, इधर अभी परिवहन विभाग की स्याही सूखी भी नहीं थी कि बिछिया में नगर पालिका के दैनिक वेतन भोगी के घर जब छापा मारा गया तो वहां पाँच करोड़ की संपत्ति जाँच एजेंसियों को मिल गई और तो और वे भाई साहब कई कंपनियों के डायरेक्टर भी थे, अब जब दैनिक वेतन भोगी का ये जलवा है तो जो परमानेंट है उनके पास कितना माल होगा इसका अंदाजा तो शायद ऊपर वाले को भी नहीं होगा। कमलनाथ जी कह रहे हैं कि पिछले एक बरस में मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ गया है अब इन्हें कौन बताए कि भ्रष्टाचार तो बरसों से चल रहा है कोई भी सरकार आ जाए लेकिन भ्रष्टाचार अपनी गति से चलता रहता है जिस तरह से छोटे-छोटे प्यादों के पास करोड़ों और अरबों की संपत्ति मिल रही है इससे आम आदमी अंदाज लगा सकता है कि भ्रष्टाचार की शतरंज में वजीर और राजा के पास कितना माल नहीं होगा, लेकिन अपने को भी मालूम है कि लाख जांच एजेंसियां छापा मारती रहे, अखबारों में खबर छपती रहे लेकिन किसी का कुछ नहीं बिगडऩे वाला क्योंकि पूरा तंत्र ही इसमें शामिल हो तो फिर किससे फरियाद की जाए। परिवहन विभाग के सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों ने साफ कह दिया कि जो माल मिला है वो इनका नहीं है तो जब माल उनका नहीं है तो फिर माल किसका है यह भी तो जाँच एजेंसी पता लगाए लेकिन कुछ दिन में अखबारों की सुर्खियों से भी ये खबरें गायब हो जाएंगी और सब मामला दफन हो जाएगा। ऐसे प्यादे कोई पहली बार नहीं पकड़े गए बरसों से पकड़ा पकड़ी का ये खेल चल रहा है लेकिन आज तक ना तो कोई बड़ा अफसर गिरफ्त में आया है और ना ही उनको शरण देने वाले राजनेता। वैसे भी भ्रष्टाचार जनता के लिए कोई मायने रखता नहीं है क्योंकि ये जीवन का एक रूटीन बन गया है आम आदमी किसी भी दफ्तर में जाता है तो संबंधित बाबू या अफसर से सबसे पहले यही कहता है कि ‘भैया बताओ कितने पैसे लगेंगे’ उसे भी मालूम है कि बिना पैसे के उसकी फाइल खिसकने वाली नहीं है इसलिए इस फाइल को अगर दौड़ाना है तो उन पर नोटों की गड्डियां रखना जरूरी हो गया है आम आदमी भी खबरें पढ़ता है और फिर सब कुछ भूल जाता है यही कारण है कि भ्रष्टाचार का पहाड़ लगातार बढ़ता ही जा रहा है और आगे भी इसकी गति में कोई कमी नहीं आएगी यह तो तय है।
बेचारे दारुखोरों का क्या होगा
जो रिंद सरकार का खजाना लबालब भरते रहते हैं अपना सब कुछ बर्बाद कर दारू को अपने गले से लगाए रहते हैं उनका जबरदस्त शोषण सरकार कर रही है सरकार। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्नीस धार्मिक जिलों में दारू बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है और इससे सरकार को लगभग 500 करोड़ का नुकसान होने वाला है लेकिन सरकार अपना नुकसान भला क्यों होने देगी उसे भी मालूम है कि जब तक दुनिया में दारुखोर जिंदा है उनकी कमाई में कोई फर्क नहीं पडऩे वाला, पता लगा है कि जो घाटा सरकार को इन उन्नीस जिलों से होने वाला है उसके बदले में सरकार नए लाइसेंस देने में बीस फीसदी की बढ़ोतरी करने वाली है मतलब जितने माल का घाटा हो रहा है उससे दुगना वो इन नए ठेकेदारों से वसूल कर लेगा। ठेकेदारों को भी कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि दारु पीने वालों की तो संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है और क्यों न बढ़े आदमी इतना परेशान और तनाव में है, एक दारू ही तो है जो उसको सुकून देती है। कमजोर से कमजोर आदमी भी दारू पीकर ‘दारा सिंहसी बन जाता है सारी चिंता, सारा तनाव, सारी परेशानी दारू अपने ऊपर ले लेती है किसी भी दारुखोर को देखो सडक़ पर ऐसे चलता है जैसे कोई राजा चल रहा हो। सरकार को भी मालूम है कि जिसके गले में एक बार दारू उतर चुकी है उसका गला बार-बार दारू मांगता है इसलिए उसने अपने घाटे की चिंता छोड़ दी है, वो जानती है कि जब तक शराब मिलती रहेगी लोग खरीदते रहेंगे, पीते रहेंगे और फिर सुरापान कोई आज का काम तो है नहीं पुराणों में भी इसका उल्लेख है राजा महाराजा भी सुरापान करते थे लेकिन इस चक्कर में बेचारे दारु पीने वाले पिसने वाले हैं लेकिन वे भी क्या करें लत ही ऐसी है एक बार लग गई तो फिर छूटती नहीं, बस इतना ही करना होगा कि अपना जेब थोड़ा और भारी रखना पड़ेगा तभी दारू का आनंद मिल सकेगा जो माल पहले कम में मिलता था अब उसके लिए ज्यादा माल खर्च करना पड़ेगा वैसे भी महंगाई तो बढ़ती है जाती है अगर दारू भी महंगी हो गई तो क्या फर्क पड़ता है जिसे पीना है वह तो पिएगा ही क्योंकि उसका भी कहना है कि ‘पियेंगे नहीं तो जियेंगे कैसे’
ये कब लुढक़ जाए
शेयर मार्केट का भी कभी कोई भरोसा रहा नहीं, लोग बाग प्रॉफिट के चक्कर में शेयर खरीदते हैं लेकिन बाजार का हाल ये है कि कोई खांस दे तो बाजार गिर जाता है, कोई ऊंची आवाज में चिल्ला दे, तो बाजार गिर जाता है, किसी देश में कुछ हो जाए तो बाजार गिर जाता है, कोई जोर से हंस दे तो बाजार ऊपर चढ़ जाता है। यानी बाजार का तो कोई ना तो, ईमान है ना कोई धरम, शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले कितनी उम्मीदें रखते हैं रोज अपना पोर्टफिलियो देखते हैं की कितना प्रॉफिट हुआ और जैसे-जैसे प्रॉफिट होता है उनकी खुशी दुगनी होती जाती है लेकिन फिर अचानक ना जाने क्या होता है ऐसा धड़ाधड़ गिरता है मार्केट कि फिर उसको संभालने वाला कोई नहीं रहता। जैसे डायनामाइट लगाकर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग धराशाई कर दी जाती है वैसे ही शेयर मार्केट एक ही झटके में धराशाई हो जाता है अब देखो ना अमेरिका की नीति जो कुछ भी रही हो लेकिन पूरे विश्व का बाजार धड़ाम हो गया जो शेयर होल्डर पच्चीस परसेंट के मुनाफे में थे वे पचास फीसदी घाटे में पहुंच गए अब आदमी करे तो कर क्या उसको समझ में नहीं आता कि वो अपना पैसा कहां इन्वेस्ट करें। अपना कहना तो ये है भैया कि सरकारी बैंक के एफडी में जमा कर दो भले ही चार पैसे कम मिलें लेकिन कम से कम पैसा सुरक्षित तो है वरना शेयर मार्केट में तो एक झटके में लाखों करोड़ों अरबों रुपए शेयर होल्डर के डूब जाते हैं उससे अच्छा है कि कम से कम पैसा बढ़े ना बढ़े उतना तो बना ही रहेगा जितना जमा किया है।
