भोपाल (जयलोक)। कांग्रेस को मध्य प्रदेश में लगातार चुनावी हार का सामना करना पड़ रहा है, फिर विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का। पार्टी आलाकमान ने जीत की आशा में कमलनाथ जैसे दिग्गज नेता को पीसीसी चीफ से हटाकर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर युवा चेहरे पर दाव लगतो हुए जीतू पटवारी को कमान सौंप दी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है। पटवारी को अध्यक्ष बने लगभग 1 साल पूरा होने जा रहा है इस दौरान लोकसभा के बाद छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हो सकी है। यही नहीं वे पार्टी विधायकों के भी दलबदल को रोकने में असफल रहे हैं। अपने डेढ़ दशक के राजनीतिक कैरियर में वे कांग्रेस के ऐसा नेता बनकर जरुर उभरे हैं, जो अल्प समय में फर्श से अर्श पर पहुंचे हैं, लेकिन अब उनकी कुर्सी पर खतरा मंडराता दिख रहा है। दरअसल अगर इस बार उपचुनाव में अगर वे दोनों विधानसभा सीट हार जाते हैं तो यह उनकी हार की हैट्रिक होगी। पटवारी बुधनी और विजयनगर विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंककर हार को जीत में बदलने की कोशिश करने में लगे हुए हैं। राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पटवारी के लिए यह किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है अगर दोनों सीट हारे तो अध्यक्ष की कुर्सी छोडऩी पड़ सकती है।
लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी पहले विधानसभा 2023 में सत्ता से बाहर हुई। 2024 लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीट भी कांग्रेस को हारनी पड़ी। यह पहला मौका था, जब कांग्रेस को सभी सीटें हारनी पड़ी हैं। इस दौरान पार्टी के विधायकों ने भी एक के बाद एक भाजपा को ज्वाइन किया, लेकिन पटवारी इसमें भी असफल साबित हुए। इसके बाद अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा की सीट भी कांग्रेस हार गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस जीतू पटवारी को आजमा रही है। 13 नवंबर को बुधनी और विजयपुर विधानसभा उपचुनाव होना है। यहां भी हार का सिलसिला कायम रहा तो पटवारी की कुर्सी खतरे में आनी तय है।
राहुल के करीबी और पिछड़े वर्ग का मिला फायदा
प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महज 47 वर्ष के जीतू पटवारी को अध्यक्ष की कुर्सी मिलने का मुख्य कारण राहुल गांधी का करीबी और ओबीसी वर्ग से होना माना जाता है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा का उन्हें क्षेत्र में प्रभारी बनाया गया था। पटवारी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा निकाली गई जन आक्रोश यात्रा के भी प्रभारी रहे हैं। कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को हटाकर जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाने वाली कांग्रेस पार्टी प्रदेश में होने वाले दो सीटों के उप चुनाव में जीत की आस लगाए बैठी है। हालांकि जीतू पटवारी भी इन दोनों सीटों पर किसी प्रकार की लापरवाही नहीं कर रहे हैं। चुनाव की तारीख की घोषणा होने से पहले ही दोनों ही सीटों पर पूरी जोर आजमाइश लग रहे थे। अब तारीख की घोषणा होने के बाद पटवारी दोनों ही सीटों पर लगातार दौरा कर रहे हैं और एक-एक बूथ पर फोकस कर रहे हैं। अब उपचुनाव में क्या गुल खिलाते हैं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन प्रदेश युवा कांग्रेस से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने का सफर तेजी से तय करने वाले जीतू पटवारी का कांग्रेस का राजनीतिक भविष्य आगामी उपचुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा।