सीवर लाइन की एक हजार करोड़ रूपये की डी.पी.आर. तैयार
जबलपुर (जय लोक)
नगर निगम द्वारा मध्यप्रदेश का पहला एसटीपी प्लांट स्थापित किया गया है जो नर्मदा नदी में गन्दी नाले के पानी को मिलने से रोकेगा और साफ़ पानी करके भेजेगा। 12 करोड़ रूपये की लागत के मॉं नर्मदा के तट के ऊपर स्थित नालों पर बने एस.टी.पी. प्लांट का कल नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने लोकार्पण करते हुए कहा कि जबलपुर पहला शहर है जहॉं इतनी बड़ी क्षमता के एस.टी.पी.प्लांट लगाये गए हैं। अब इस प्लांट के लगाये जाने से मॉं नर्मदा में गंदा पानी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के एस.टी.पी.प्लांट अब पूरे प्रदेश में लगेगें। नगर निगम जबलपुर अभी इस दिशा और भी कार्य करने जा रहा है। अमृत योजना 2 के तहत शहर में अभी बहुत से कार्य होना है।
कार्य होना बाकी है
अमृत योजना 2 के संबंध में नगर निगम आयुक्त प्रीति यादव ने बताया कि इसे दो भाग में बांटा गया है। पहले भाग में जल संवर्धन संरक्षण का कार्य मुख्य रूप से होना है। इसके लिए पहले राशि 311 करोड रुपए नगर निगम को प्राप्त हो चुकी है। अगले चरण में अमृत योजना 2 के अंतर्गत 1000 करोड रुपए की लागत से सीवरेज सिस्टम का कार्य होना है।
इसकी कार्य योजना व्यापक स्तर पर तैयार हो चुकी है। इसके तहत घरों से निकलने वाले सीवरेज एवं अन्य गंदे पानी को एक स्थान पर एकत्रित कर उस स्थान पर 100 एमएलडी का प्लांट लगाए जाएंगे। ताकि पानी को पुन: उपयोग के लायक बनाया जा सके। इसके लिए हर आधुनिक मशीन और तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
पुन: उपयोग करने लायक बनाएंगे गंदा पानी
इस पूरी योजना का मुख्य उद्देश्य है कि गंदे नालों और सीवरेज के माध्यम से जो पानी बर्बाद हो जाता है उसे किस तरीके से पुन: उपयोग के लायक बनाया जाए। इसके साथ ही यह भी तय किया जाएगा की एसटीपी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की संख्या और बढ़ाई जाए।
अभी वर्तमान में ग्वारीघाट करोंदा में एसटीपी स्थापित है और पानी के शुद्धिकरण का कार्य कर रहे हैं। इनके आधुनिकरण पर भी कार्य किया जा रहा है ताकि यह लंबे समय तक उपयोगी बने रहें और इनकी कार्य क्षमता भी बढ़ाई जा सके।
पानी का भवन निर्माण और मशीन संचालक में होगा उपयोग
निगमयुक्त प्रीति यादव ने जय लोक को जानकारी देते हुए बताया कि पानी को शुद्ध करने की प्रक्रिया के माध्यम से हम जो पानी पुन: उपयोग के लिए तैयार करेंगे उसका उपयोग भवन निर्माण और प्लांट में चलने वाली मशीन के उपयोग में आने वाले पानी के रूप में किया जाएगा। भविष्य में सरकार की मंशा अनुरूप इस बात का नियम भी लागू हो जाएगा कि सरकारी हो या निजी सभी प्रकार के भवन निर्माण में प्लांट द्वारा रीसायकल किए गए पानी का ही उपयोग किया जाए।
ग्वारीघाट में लगा 4.5करोड़ का प्लांट
आयुक्त प्रीति यादव ने बताया कि ग्वारीघाट में 4.5 करोड रुपए की लागत से प्लांट संचालित हो रहा है। जिसके माध्यम से गंदे खराब पानी को आधुनिक तकनीक के माध्यम से शुद्ध बनाने का और दोबारा अलग-अलग उपयोग में लेने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा ग्वारीघाट, कठोंदा प्लांट, भविष्य में परियट क्षेत्र में पानी के शुद्धिकरण के उद्देश्य से प्लांट लगाए जाएंगे।
माहापौर-आयुक्त के कार्यों की सराहना
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि नगर निगम द्वारा अधोसंरचना एवं विकास कार्यो के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं में नागरिकों के लिए लगातार विस्तारीकरण किये जा रहे हैं। जिसके अंतर्गत उन्होंने कहा कि 311 करोड़ रूपये की राशि से दो वर्ष के अंदर हर घर में स्वच्छ एवं पर्याप्त मॉं नर्मदा का जल पहुॅंचाने का कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा। श्री विजयवर्गीय ने महापौर अन्नू एवं निगमायुक्त प्रीति यादव के कार्यो की मंच से सराहना की।
संतों के दिया आशीर्वाद
स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि मॉं नर्मदा में गंदा पानी नहीं मिलना संस्कारधानी के लिए गर्व की बात है। उन्होंने इस पुनीत कार्य के लिए महापौर को बधाई एवं ढेर सारा आशीर्वाद प्रदान किया। इस मौके पर महापौर ने भावुक होते हुए कहा कि आज उनका सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मॉं नर्मदा में गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए जो संकल्प लिया गया था उनका वह संकल्प एस.टी.पी. प्लांट के लोकार्पण के बाद पूरा हो गया है। अब मॉं नर्मदा में नालों के गंदे पानी का प्रवाह नहीं होगा।
इनका कहना है…
माँ नर्मदा नदी में किसी भी प्रकार का गंदा नाला ना मिले यह निगम प्रशासन की प्राथमिकता है। अमृत योजना 2 के तहत इस दिशा में और कार्य होंगे कई और एसटीपी भी स्थापित किए जाएंगे। 1000 करोड़ की राशि से सीवरेज मैनेजमेंट की बड़ी कार्य योजना तैयार है। स्वीकृति प्राप्त होते ही इस दिशा में काम आगे बढ़ जाएगा। पेयजल की बर्बादी रोकने और गंदे पानी को पुन: उपयोग लायक बनाने की दिशा में भी बड़ी योजनाओं पर कार्य हो रहा है। जल्दी इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगेंगे।
– प्रीति यादव आईएएस, आयुक्त नगर निगम