डीपीआर बनाने का काम हुआ शुरु
भोपाल (जयलोक)। प्रदेश में जल्द ही महाकाल लोक की तरह ही नर्मदा लोक भी आकार लेगा। इसके लिए सरकार व शासन स्तर पर तेजी से तैयारी की जा रही है। यह लोक बड़वानी जिले के कुकरा- राजघाट गांव के समीप बैकवाटर में बने टापू पर बनाया जाएगा। इसमें मां नर्मदा और उसकी पावन घाटी का वैभवशाली इतिहास की पूरी झलक देखने को मिलेगी। इसके अलावा उसमें मां नर्मदा की महिमा से भी पर्यटक दो चार हो सकेेंंगे। इस लोक में अमरकंटक के उद्गम स्थल से लेकर खंभात की खाड़ी तक नर्मदा नदी की ऐतिहासिक पौराणिक यात्रा की झांकी के भी दर्शन होंगे। इस स्थल को रोहणी तीर्थ के रुप में नई पहचान मिलेगी। नर्मदा लोक नर्मदा सेवा ट्रस्ट के मुताबिक ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2017 में रोहिणी तीर्थ को नर्मदा किनारे ही बनाए जाने की मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की थी। उन्होंने ट्रस्ट की मांग पर पर्यटन विभाग के माध्यम से तत्कालीन कलेक्टर को नर्मदा किनारे ही रोहिणी तीर्थ को नर्मदा लोक के रूप में विस्थापन करने के लिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए थे। पूर्व कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के समय नर्मदा लोक के लिए पुराने फिल्टर प्लांट के पास जगह बताई गई थी। बीते वर्ष नर्मदा सेवा ट्रस्ट के माध्यम से शासन-प्रशासन से नर्मदा के समीप टापू वाले स्थान पर नर्मदा घाट, मंदिरों व धर्मशाला के निर्माण की मांग की गई थी। करीब चार एकड़ की इस जगह रोहिणी तीर्थ अनने से पूरे साल नर्मदा किनारे पर्यटकों की आवजाही बनी रहेगी। अब कलेक्टर डॉ. राहुल फटिंग के निर्देश पर प्रशासन, पर्यटन विभाग और एनवीडीए की संयुक्त टीम द्वारा इस पर डीपीआर तैयार की जा रही है।
स्थान चयन में देखेंगे कि वहां कितनी जगह है, बैकवाटर का क्या लेवल रहता है, उक्त स्थलों का वहां विस्थापन संभव है या नहीं। इसे लेकर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसके तहत नर्मदा सेवा ट्रस्ट के पदाधिकारियों के सुझाव पर राजघाट के पास ऊंचे टापू स्थल का मुआयना किया गया है।
यह है इलाके की स्थिति
नर्मदा सेवा ट्रस्ट के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार सरदार सरोवर बांध का लेवल राजघाट में 138.60 मीटर है। 130 मीटर की स्थित में गांव टापू बनता है, तो 138 मीटर पर जलमग्न होता है। वर्षाकाल के बाद करीब छह माह तक गांव डूबा रहता है। वर्ष 2017 से यहां प्रति वर्ष इलाका डूब में आ रहा है। वर्ष 2019 में पहली बार 138 मीटर पर पूरा इलाका जलमग्न हुआ था। कुकरा बसाहट स्थित रोहिणी परिसर में 2017 में गांधी समाधि स्मारक के रूप में विस्थापित की गई है।