जबलपुर वाले भेजे गए रीवा, आरएल वर्मा सागर से यहाँ पदस्थ
जबलपुर (जयलोक)।जबलपुर में बन रहे प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाईओवर के निर्माण कार्यों में गुणवत्ताविहीन कामों की शिकायतें सामने आने के बाद जबलपुर परिक्षेत्र के प्रभारी चीफ इंजीनियर एससी वर्मा को हटाकर सागर भेज दिया गया है। उनके स्थान पर सागर में सेवाएं दे रहे आर एल वर्मा को मुख्य अभियंता लोक निर्माण क्षेत्र जबलपुर बनाया गया है। सूत्रों के अनुसार यह मामला पीडब्लूडी मंत्री राकेश सिंह के गृह नगर का होने कारण जैसे ही मंत्री सिंह के समक्ष पहुँचा तो उन्होंने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की क्लास लगाई और जबलपुर वालों को जवाब देते नहीं बन रहा था । जिसके बाद प्रमुख अभियंता भोपाल द्वारा निमार्ण कार्यों की जांच के लिए एक 4 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है। निर्माणाधीन प्रारंभ होने के पहले ही फ्लाईओवर की सडक़े दरकने लगी है। इस आशय की शिकायत के बाद प्रमुख अभियंता भोपाल ने कार्यों की गुणवत्ता की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। इस कमेटी में जीपी वर्मा अधीक्षण यंत्री, जीके झा सेतुमंडल ग्वालियर, कुलदीप सिंह के अलावा भवन प्रयोगशाला अनुसंधान भोपाल के अजय कुलकर्णी को सदस्य के रुप में शामिल किया गया हैं। जांच कमेटी से 15 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। इस बीच मप्र शासन लोक निर्माण के उपसचिव नियाज अहमद खान के द्वारा जारी आदेश के तहत जबलपुर में पदस्थ अधीक्षण यंत्री एससी वर्मा प्रभारी मुख्य अभियंता लोक निर्माण परिक्षेत्र जबलपुर को इसी पद और इसी प्रभार पर रीवा स्थानांतरित करा दिया गया है।
शिकायत में कहा गया है कि फ्लाईओव्हर निर्माण कार्य की शुरुआत के समय से ही सडक़ चटकने लगी है, जो निर्माण में गड़बड़ी का इशारा करती है। वहीं अधिकारी पर मनमानी, लापरवाही के भी आरोप लग रहे थे। मामले को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी राज्य स्तर पर गंभीरता से जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
क्यों बदली गई जिम्मेदारी
यह भी आरोप लग रहा है कि पीडब्ल्यूडी में ब्रिज डिपार्टमेंट अलग से है, जो फ्लाईओवर निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है। फिर भी, इस काम को बिल्डिंग एंड रोड डिपार्टमेंट को सौंपा गया है, जिसका नेतृत्व एक चीफ इंजीनियर कर रहे हैं। सवाल उठता है कि जब ब्रिज डिपार्टमेंट इस तरह के निर्माण कार्य में प्रशिक्षित है, तो यह जिम्मेदारी क्यों बदली गई। मामला गंभीर होते ही भोपाल स्तर पर एक जांच कमेटी बनाई गई है, जो 15 दिन के भीतर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।