राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर दीपक सक्सेना को सौंपा ज्ञापन
जबलपुर (जयलोक) । भारत के नागरिक और सकल हिंदू समाज के प्रतिनिधि, बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति अपनी गहरी चिंता और विरोध व्यक्त किया है। बांग्लादेश में वर्तमान में जो हालात हैं वे न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि इनसे हमारे साझा सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्य भी आहत हो रहे हैं। स्वतंत्रता के समय तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) में 22 प्रतिशत हिंदू थे। किंतु उन्हें दी जा रही यातनाओं के कारण, तथा उनका वंशच्छेद करने के कारण, बांग्लादेश की पिछली जनगणना तक वहां मात्र 7.9त्न ही हिंदू बचे हैं। विशेषत:, विगत 5 अगस्त को फैली हिंसा के बाद, बांग्लादेश में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय को लक्ष्य बनाकर, उनकी हत्याएं की जा रही है। उनके घर लूट जा रहे है। उनकी जवान बेटियों पर अत्याचार किए जा रहे हैं। 5 अगस्त से अब तक कुछ हजार हिंदुओं की हत्या की गई हैं। हिंदुओं पर हमले की 6,000 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी है। खुलना, रंगपुर, राजशाही, वारिसाल, चिटगांव, सिल्हूट इन सभी विभागों में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं। पुलिस विभान हिंदुओं की शिकायतें नहीं ले रहा है। बाग्लादेश की पुलिस में अब एक भी हिंदू पुलिस अधिकारी नहीं बधा है। हिंदुओं के श्रद्धास्थान मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। पिछले चार महीनों में. 1,000 से ज्यादा मंदिरों को ध्वस्त किया गया तथा मदिरों में स्थापित अगवान की मूर्तियों की विटंबना की गई। उन्हें तोड़ा गया। जिसको लेकर संतों और नेताओं द्वारा कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें बांग्लादेश में हिंदूओं की मदद के लिए जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया गया।
विधायकों के साथ शिक्षाविदों ने दर्ज कराया विरोध
कल सैकड़ों की संख्या में एकत्रित लोगों के साथ शहर के विधायकों और शिक्षाविदों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया। महापौर जगतबहादुर सिंह अन्नू, विधायक अशोक रोहाणी, विधायक अभिलाष पाण्डे, शिक्षाविद अनुराग सोनी सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों ने अपना विरोध दर्ज कराया और बांग्लादेश में हिन्दुओं को बचाने की माँग की।