लगेगी नाकामियों और आरोपों की बौछार
जबलपुर (जयलोक)
लोकसभा चुनाव के लिए लागू हुई 86 दिनों की लंबी आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद अब नगर निगम सत्ता अपने पूरे शबाब पर आकर कार्य करने के लिए स्वतंत्र हो चुकी है। सत्ता पक्ष अधिक से अधिक योजनाओं को प्रारंभ करने और नगर विकास के बड़े कार्यों को प्रारंभ करने में लगा हुआ है। दूसरी ओर विपक्ष सत्ता पक्ष की कमजोरी, निगम अधिकारियों की नाकामियों, सफाई, पानी और शहर की अव्यवस्था से आम जनता को हो रही परेशानियों के विषय पर सत्ता पक्ष को घेरने की पूरी तैयारी कर रहा है।
अभी तक नहीं किया विपक्ष का सामना
वर्तमान में जो पाँच सदस्यीय मेयर इन काउंसिल है उसमें सभी सदस्य पहली बार शामिल हुए हैं। इन सदस्यों में डॉ. सुभाष तिवारी, दामोदर सोनी, विवेक राम सोनकर, श्रीमती अंशुल राघवेंद्र यादव, श्रीमती रजनी कैलाश साहू शामिल हैं। इन सभी सदस्यों ने सदन में अभी तक विपक्ष का सामना नहीं किया है। सदन में विपक्ष कितना हमलावर होता है और विभिन्न प्रकार के सवाल गंभीर आरोपों का जवाब देना एमआईसी सदस्यों की ही जिम्मेदारी होती है।
जल्द होना है विस्तार
सूत्रों के अनुसार एमआईसी के सदस्यों का जल्द ही विस्तार होना है। अब इन सदस्यों में किसको शामिल किया जाएगा यह बात बहुत महत्वपूर्ण है। नगर निगम सदन के अंदर अगर भाजपा को सत्ता पक्ष में रहते हुए अपनी स्थिति मजबूत रखना है और विपक्ष का मजबूती से सामना करना है तो उन्हें ऐसे चुनिंदा सदस्यों को मेयर इन काउंसिल मैं शामिल करना होगा जो पूरी मजबूती के साथ सत्ता पक्ष के विचार और कार्य प्रणाली को सदन में प्रस्तुत कर सकें।
भाजपा के पास बहुत से वरिष्ठ पार्षद मौजूद हैं
भाजपा के पास ऐसे बहुत से अनुभवी वरिष्ठ पार्षद मौजूद हैं जिन्हें मेयर इन काउंसिल का सदस्य बनाकर उनके अनुभव का लाभ भाजपा उठा सकती है। बहुत से अनुभवी पार्षद ऐसे हैं जिन्होंने कई वर्षों तक सदन की कार्यवाही का अनुभव प्राप्त किया है। इन वरिष्ठ सदस्यों को मेयर इन काउंसिल में शामिल किया जा सकता है। इन वरिष्ठ पार्षदों के अनुभव से सत्ता पक्ष न केवल सदन में बल्कि नियमित रूप से होने वाली एमआईसी की बैठकों और निगम प्रशासन के अधिकारियों द्वारा की जा रही कार्यवाही की निगरानी भी कर सकते हैं।
पाँच और सदस्यों की गुंजाइश
अभी मेयर इन काउंसिल में पांच सदस्यों की जगह खाली है। महापौर के कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ जाने के बाद पूरी एम आई सी के समीकरण बिगड़ गए थे और पुरानी एमआईसी को भंग कर दिया गया था। महापौर अब भाजपा के हो चुके हैं इसलिए भाजपा के पार्षदों को मेयर इन काउंसिल का सदस्य बनने का अवसर प्राप्त हो गया है। अभी तक पांच सदस्यों को शामिल किया गया है इनमें से अधिकांश पहली बार के पार्षद हंै।
प्रभार में भी होगा बदलाव
वर्तमान में मेयर इन काउंसिल के पांच सदस्यों के पास जो प्रभार है जिस विभाग के दायित्व हैं, उनमें भी बदलाव हो सकते हैं। नए सदस्यों को शामिल करने के बाद विभागों का निर्धारण होगा।