उपनगरीय क्षेत्र के नेता का नाम भी संगठन नेता ने आगे बढ़ाया
जबलपुर (जयलोक)। भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष पद के निर्णय में अब अंतिम दौर का समय बचा है। जो नाम प्रमुख रूप से दावेदारी में चल रहे थे उनके अलावा अब और भी नए समीकरण बनते बिगड़ते नजर आ रहे हैं। विगत दिवस हुई रायशुमारी में यह बात गौर करने वाली थी कि शामिल लोगों से लिए गए नाम में एक महिला और एक अनुसूचित जाति का नाम अनिवार्य रूप से फॉर्मेट में भरकर देने के लिए कहा गया था। जबलपुर से कुछ महिला नेत्रियां दो दिन से भोपाल में डेरा डाले हुए हैं।
इसी वजह से इस बात की चर्चाएं प्रारंभ हो गई हैं कि क्या इस बार भाजपा नगर अध्यक्ष पद पर बड़ा बदलाव करते हुए किसी महिला को संगठन का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान करेगी। अनुसूचित जाति से लिए गए नाम बारे में भी कार्यकर्ताओं में अलग चर्चा है और सुगबुगाहट है। इसके अलावा कुछ नाम ऐसे हैं जो सार्वजनिक रूप से अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल नहीं थे ना ही उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की लेकिन वह अंदरूनी तौर पर संगठन के बड़े पदाधिकारीयों से लगातार संपर्क में थे। उप नगरीय क्षेत्र से आने वाले एक भाजपा नेता जो पूर्व में नगर निगम में भी निर्वाचित होकर अपनी सेवाएं दे चुके हैं उनके बारे में यह जानकारी चर्चित हो रही है कि उनका नाम संगठन के एक वरिष्ठ नेता की रुचि के कारण आगे बढ़ाया गया है। संगठन के विभिन्न पदों पर पूर्व में भी वह अपनी सेवाएं दे चुके हैं। दो दशक से अधिक समय से पार्टी संगठन के लिए कार्य करते आ रहे हैं।
अगले 48 घंटे के अंदर इस बात का अनुमान निर्णय के रूप में सामने आ सकता है और संगठन को नया नगर अध्यक्ष मिल सकता है। प्रदेश संगठन की भी यही मंशा है कि 31 दिसंबर तक अधिकांश जिलों के नगर अध्यक्षों के नाम घोषित हो जाएं। कुछ एक ऐसे जिले हैं जहां समन्वय बनाने में समय अधिक लग सकता है लेकिन उनके नाम भी अगले एक-दो दिन के अंदर हर हाल में निर्णय करने की तैयारी की गई है।
रायशुमारी के बाद भी यह बहुत आवश्यक है कि नगर अध्यक्ष पद पर चयनित होने वाले नाम के लिए मंत्री, सांसद ,महापौर, विधायकों, संगठन के प्रमुख पदाधिकारी और संघ की रज़ामंदी प्राप्त हो। यही सबसे कठिन समीकरण हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी चरम पर है। ऐसे में एक नाम पर समन्वय बनाना बड़ा कठिन है। हर प्रमुख और प्रभावशाली नेता अपनी लॉबी के व्यक्ति को इस महत्वपूर्ण पद पर चयनित करवाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं।
आने वाले कुछ घंटे नगर अध्यक्ष पद के लिए निर्णायक साबित होने वाले हैं। नगर अध्यक्ष रिपीट किए जाएंगे या किसी अन्य संगठन के व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंप जाएगी या फिर नवाचार करते हुए पार्टी किसी महिला नेत्री को संगठन की जिम्मेदारी सौंपगी, इन सभी कयासों पर जल्द ही विराम लग जाएगा और केवल एक नाम इस पूरे द्वंद से जीतकर बाहर आएगा।
ग्रामीण में विधायकों के विरोधी ही प्रबल दावेदार
भारतीय जनता पार्टी के ग्रामीण नगर अध्यक्ष पद का चुनाव और कठिन समझा जा रहा है। पहले तो यहां पर दावेदारों की संख्या बहुत अधिक है। जातिगत समीकरण को लेकर चलना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा सबसे कठिन बात यह है कि अधिकांश ग्रामीण अध्यक्ष पद के दावेदारों में वह नाम शामिल हैं जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के विधायकों के खिलाफ कार्य किया था। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि उस दौरान भी विधायकों ने ऐसे पार्टी नेताओं की हरकतों का पूरा ब्यौरा प्रदेश संगठन तक पहुंचा था। सूत्रों का कहना है कि पहले यह लोग विधायक टिकट की दावेदारी में शामिल हुए बाद में जब टिकट नहीं मिली तो इन्होंने अपने ही पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ जाकर काम करने का कार्य किया। ऐसे बहुत से नाम हैं जिनके बारे में नगर संगठन से लेकर प्रदेश संगठन तक के वरिष्ठ लोगों को उस वक्त भी पूरी जानकारी दी गई थी और अब उनकी दावेदारी के समय भी यह कार्य प्रमुखता के साथ किया और करवाया जा रहा है। ग्रामीण नगर अध्यक्ष पद के लिए हर जाति के दावेदार मैदान में हैं। सभी समीकरणों को साधते हुए प्रदेश संगठन को निर्णय लेना है। भाजपा के कार्यकर्ता अभी असमंजस में हैं कि वह किस ओर अपना रुख रखें क्योंकि कोई भी किसी भी प्रकार का अंदाजा नहीं लगा पा रहा है।