इंदौर से आई चिकित्सकों की टीम किडनी लेकर हुई रवाना
जबलपुर (जयलोक)। मजदूरी कर अपना जीवन यापन करने वाले 52 वर्षीय पूरन चौधरी की जिंदगी भले ही कितनी भी दुख दर्द से भरी रही हो, लेकिन पूरन ने दो लोगों को नया जीवन दे दिया। पूरन चौधरी भवन निर्माण का काम करता था। जिसकी दो दिनों पूर्व निर्माणधीन भवन से गिरकर मौत हो गई। चिकित्सकों ने उसे बे्रन डेड घोषित कर दिया। लेकिन उनके परिवार वालों ने निर्णय लिया कि पूरन चौधरी की दोनों किडनी किसी जरूरतमंद को दान दी जाएगी।
चिकित्सकों ने अपने स्तर पर इस मामले में कार्रवाही शुरू की और अंगदान प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने भी ऐसे मरीजों को खोजा जिन्हें किडनी की आवश्यकता थी। जिसमें एक मरीज दमोहनाका स्थित मेट्रो अस्पताल में मिला जिसे किडनी की आवश्यकता थी तो दूसरा मरीज इंदौर में मिला। दोनों मरीजों तक समय पर किडनी पहुंचाने के लिए जिला और पुलिस प्रशासन ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया। पहला ग्रीन कॉरिडोर मेडिकल कॉलेज से एयरपोर्ट तक बनाया गया तो दूसरा मेडिकल अस्पताल से दमोहनाका स्थित मेट्रो हास्पिटल तक बनाया गया। आज सुबह इंदौर से डॉक्टरों की एक टीम मेडिकल अस्पताल पहुंची और किडनी को लेकर एयर एम्बुलेंस से इंदौर रवाना हुई। इस मामले में पूरन चौधरी के परिवार वालों ने बताया कि पूरन की किडनी के अलावा उसके शरीर के अन्य अंग भी दान किए जाएंगे।
जगह जगह पुलिस बल किया तैनात
दोनों किडनियों को समय पर मरीजों तक पहुँचाने के लिए पुलिस ने इन रास्ते में पुलिस बल तैनात किया। जहां जरूरतमंदों के किडनी प्रत्यारोपण का ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।
लीवर दान के लिए नहीं मिला जरूरतमंद
सीएमएचओ संजय मिश्रा का कहना है कि किडनी दान करने के साथ ही लीवर दान करने के लिए भी जरूरतमंद की तलाश की जा रही थी। लेकिन जरूरतमंद नहीं मिला। मृतक के परिवार वालों ने लीवर दान करने की भी इच्छा जताई है। उनकी त्वचा बर्न यूनिट में जरूरतमंद मरीजों और मेडिकल छात्रों के लिए उपयोग की जाएगी।
150 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में बना कॉरिडोर
दोनों किडनियों को सकुशल पहुँचाने के लिए दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। मेडिकल कॉलेज से लेकर इंदौर एयरपोर्ट तक तथा दूसरा मेडिकल कॉलेज से दमोहनाका तक बनाया गया। जिसके लिए 150 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। किडनी ले जा रही एम्बुलेंस के साथ पुलिस की दो गाडिय़ां भी साथ चल रहीं थीं।
