डॉ. नवीन जोशी
भोपाल (जयलोक)। जिस तरह मध्य प्रदेश के जंगलों को विदेशी टाइगर लाकर आबाद किया गया , ठीक उसी तर्ज पर मध्य प्रदेश के वनों में अब उत्तराखंड से किंग कोबरा लाकर छोड़े जा रहे हैं। मप्र के वनों में किंग कोबरा सर्प लाया जायेगा। इसके लिये मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विशेष रुप से निर्देश दिये हैं जिस पर राज्य का वन विभाग प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। वन्यप्राणी शाखा के एपीसीसीएफ कृष्णमूर्ति ने बताया कि मप्र में कोबरा सांप तो पाया जाता है परन्तु किंग कोबरा कहीं नहीं पाया जाता है। यह मुख्यतया भारत के उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के शिवालिक और तराई क्षेत्रों में, पूर्वी घाटों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बिहार और दक्षिणी पश्चिम बंगाल में, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात एवं ग्रेट अंडमान श्रृंखला के बाराटांग द्वीप पर पाए जाते हैं। इनकी कोई गणना नहीं होती है, इसलिये इनकी वास्तविक संख्या अज्ञात है। इन्हें मप्र लाने के लिये ट्रांसलोकेट करना होगा जिसकी अनुमति भारत सरकार देगी। किंग कोबरा को भारत के कुछ भाग इसे भगवान शिव के गले में रहने वाला नाग समझते हैं जिसके कारण इसे लोग मारते नहीं हैं। नागराज संसार का सबसे लम्बा विषधर सर्प है। इसकी लम्बाई 5.6 मीटर तक होती है। एशिया के सांपों में यह सर्वाधिक खतरनाक सापों में से एक है। भारतीय किंग कोबरा, सांप खाने वाला सांप है। यह देश का आधिकारिक सरीसृप भी है। किंग कोबरा, घने या खुले जंगल, बांस के घने जंगल, आस-पास के कृषि क्षेत्रों, और नदियों के पास रहते हैं।