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राजनीतिक अखाड़े के खलीफा से नए पहलवानों के मुकाबले जैसा है भाजपा का यह अंदरूनी टकराव

तजुर्बे से पहले भी हो चुका है तथाकथित असंतोष का मुकाबला, समन्वय स्थापित रहेगा तो ही नगर भाजपा रहेगी मजबूत
परितोष वर्मा
जबलपुर (जयलोक)। विगत कुछ दिनों से जबलपुर भाजपा के अंदर चल रहा द्वंद फ्लाईओवर निर्माण के निरीक्षण की गतिविधि में फूट कर सामने आ गया। उसके बाद भी कुछ उद्घाटन कार्यक्रमों को लेकर राजनीति के दाँव पेच चले गए । कुछ लोगों को भाजपा यहाँ दो फड़ों में नजर आ रही लेकिन जानकारों का कहना है कि भाजपा का इतिहास यह बताता है कि ऐसा करना किसी के लिए भी संभव नहीं है पार्टी सबको समान सम्मान का अवसर प्रदान करती है । फिलहाल जो दृश्य लोगों के बीच में चर्चाओं में है उसके लिए आम लोग यही कह रहे हैं कि ऐसा लग रहा है जैसे कि राजनीतिक अखाड़े के पुराने मंजे हुए खलीफा से नए-नए पहलवानों की जो राजमाइश का दौर चल रहा है। हालांकि तजुर्बेकार लोग सबको साथ में लेकर चलने का प्रयास कर रहे हैं और सूत्रों का कहना है कि कुछ लोग टकराव पैदा करने का प्रयास भी कर रहे हैं।
भाजपा से जुड़े जानकार इस बात पर भी ध्यान आकर्षित करवाते हैं कि विगत 21 सालों में जबलपुर को जो साढे तीन हजार करोड रुपए के विकास कार्य मिले हैं उसके लिए तजुर्बा और मजबूत संपर्क ही काम आया है । विगत कुछ दिनों से जबलपुर भाजपा के अंदर चल रहा द्वंद फ्लाईओवर निर्माण के निरीक्षण की गतिविधि में फूटकर सामने आ गया। दो धड़ों में बटी नजर आ रही भाजपा में अभी भी कई प्रकार के षड्यंत्र पनपते दिखाई दे रहे हैं। पनप रहे षड्यंत्र के साथ एक नई उभरती हुई लॉबी की झलक भी देखने को मिल रही है। सूत्रों के अनुसार इस नई उभरती लॉबी में पूर्व के हारे हुए कुछ विधायक, कुछ हारे हुए मंत्री ,कुछ संगठन के लूप लाइन में डाले गए लोग, उनके साथ वर्तमान संगठन के पदाधिकारी, कुछ पार्षद ,कुछ प्रदेश पदाधिकारी कुछ पूर्व पदाधिकारी मिलकर कुछ नया गुणाभाग जमाने की बिसात में लगे हुए हैं। हालांकि भाजपा के हर बड़े नेता यह बात सार्वजनिक तौर पर दर्शाने में लगे रहते हैं कि उनके बीच में किसी प्रकार का कोई मतभेद ,कोई मनमुटाव नहीं है। लेकिन वस्तु स्थिति में ऐसी स्थितियाँ सिर्फ मन को बहलाने वाली नजर आ रही हैं। वर्तमान दौर में कौन किसके कार्यक्रम में जा रहा है, कितनी सक्रियता दिखा रहा है और कितनी देर तक रुक रहा है, इन सभी बातों की पूरी जानकारी भाजपा के अंदर पनप रही यह लॉबी एक दूसरे के समर्पित और समर्थकों के बारे में एकत्रित करती रहती नजर आती है। इसके लिए कुछ लोगों को अलग से नेताओं ने काम पर लगा भी रखा है।

ऊपर से मधुर अंदर से तनावपूर्ण है माहौल
वर्तमान स्थिति में जबलपुर भाजपा के अंदर ऊपर से देखने पर और बड़े नेता जब एक साथ में फोटो खिंचवाने खड़े होते हैं तो संबंध बहुत मधुर नजर आते हैं उन सभी के चेहरों में मुस्कुराहट नजर आती है। लेकिन जो वर्तमान वस्तु स्थिति से अवगत हैं वह यह जानते हैं कि अंदर ही अंदर बहुत तनावपूर्ण माहौल पनपता जा रहा है। षड्यंत्र, साजिश और एक दूसरे को कैसे उपेक्षित किया जा सकता है कैसे अपना पलड़ा ज्यादा भारी बताया जा सकता है इसका गुणाभाग पूरी शिद्दत के साथ किया जा रहा है।
हालांकि मैदान के जो पुराने खिलाड़ी हैं वह सब पर भारी नजर आ रहे हैं क्योंकि उनके पास तजुर्बे से लेकर संपर्कों का बड़ा भंडार है। राजनीति का अच्छा तजुर्बा हासिल कर चुके हैं और इस प्रकार के कई विरोधी मौके अपनी ढाई दशक की सक्रिय राजनीति में देख भी चुके हैं। इन सारे घटनाक्रमों के बाद उनके चुनाव में जो परिणाम आए वह भी सबके सामने हैं। इस बार फिर एक बार कुछ असंतुष्ट, विरोधी और कुछ ऐसे लोग जिनका रिमोट भोपाल में बैठे नेताओं के हाथ में है वह इस षड्यंत्र की आग को हवा देने का काम कर रहे हैं। कुछ पुराने चाहने वाले भी एकत्रित होकर मानों अपनी भड़ास निकालने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। लेकिन मजबूत नींव पर अपना राजनीतिक साम्राज्य खड़ा करने वाले बड़े नेताओं को अस्तित्व खोते जा रहे असंतुष्टों के विरोध का बहुत फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। लेकिंन वे सतर्कता भी बहुत जरुरी मान रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि यह राजनीति है और इसका एक बहुत पुराना नियम कहा जाता है कि जो साथ दिखता है वह होता नहीं और कई बार विरोधी ही सबसे बड़ा समर्थक बन जाता है। कहा जा रहा है कि जो पदों पर हैं वह अपनी गरिमा के अनुरूप एक साथ ही बने रहेंगे मनमुटाव कितना भी होगा लेकिन वह अपने तक ही सीमित रखेंगे। लेकिन मनमुटाव जिस दिन सार्वजनिक होने लगेगा उस दिन से नेताजी की माइनस मार्किंग शुरू हो जाएगी। भाजपा में दुखड़ा रोने वाले नेताओं का क्या अंजाम होता है यह पिछले चुनाव के दौरान दावेदारी कर रहे और वर्तमान स्थिति में कार से दोपहिया वाहन में आकर घूम रहे इस प्रजाति के नेताओं को देखकर समझा जा सकता है।

सात विधायकों की कहानी
जबलपुर में आठ विधानसभा सीटों में से सात विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक चुनकर मैदान में आए हैं। जो विधायक पहली बार चुनकर आए हैं वह खुद को अपक्षपाती व्यक्ति या फिर निष्पक्ष, बिना किसी की ओर झुकाव के बनाए रखने के लिए हर प्रभावी नेता के साथ दिखाई दे जाते हैं। हालाँकि कुछ के रिमोर्ट कंट्रोल भोपाल में बैठे नेताओं के हाथ में हैं।
जबलपुर जिले में पदस्थ विभिन्न प्रशासनिक विभागों के अधिकारी खुद में समझदार हैं उन्हें यह पता है कि किस ओर अधिक झुकाव रखना है। इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि जिस निरीक्षण के विषय को लेकर विवाद शुरू हुआ या बातें सार्वजनिक तौर पर चर्चाओं में आईं उसमें एक यह बात भी प्रमुखता से उठी थी कि आखिर जिम्मेदार अधिकारी पूर्व से जानकारी होने के बावजूद भी क्यों नहीं आए।
स्पष्ट संकेत है कि अनुभव के साथ प्रभाव अगर संयुक्त रूप से नजर आता है तो सभी का झुकाव उसी तरफ रहता है। दूसरी ओर जो नई उभरती लॉबी अपनी ताकत बढ़ाने का काम कर रही है उसमें असंतुष्टों की छाप अधिक हैं ।ऐसी स्थिति में आने वाले समय में भाजपा के बीच में राजनीतिक संतुलन निर्मित करना वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भी कठिन होगा।
कुछ जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जिन्हें पिछले चुनाव में पहली बार जनसेवा का मौका मिला है और सत्ता में शामिल होने का अवसर भी मिला है। इनमें से कुछ दूसरे नेताओं के कट्टर समर्थक हैं जो जबलपुर में अपनी राजनीतिक पहचान बनाने के लिए जी तोड़ तरीके से हाथ पाँव मार रहे हैं। संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधित्व में हुआ बदलाव भी राजनीतिक शक्ति के विभाजन का एक बड़ा कारण बना है। हालांकि सांसद को एक नये शक्ति केंद्र का नेतृत्वकर्ता बनाने की फिराक में बहुत सारे पुराने असंतुष्ट एकत्रित होकर बारूद भरने का काम कर रहे हैं।

जो कांग्रेस से आए हैं वह दोहरे असमंजस में है
विगत कुछ अंतराल में कांग्रेस के पुराने पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि और कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रह चुके लोग भाजपा का दामन थाम चुके हैं और भाजपा के पाले में बैठे हुए हैं। लेकिन नगर भाजपा का संतुलन का तराजू इस समय बिगड़ा हुआ है और ऐसे कांग्रेसी बड़े असमंजस में हैं जो नए-नए भाजपाई बने हैं कि वो किस तरफ अपना झुकाव रखें। एक तो भाजपा बाहर के आए लोगों को वैसे ही दिल से स्वीकार नहीं करती है ऊपर से यह लॉबीबाजी उनके सामने एक बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो गई है।

कुछ दूसरे प्रभावी नेता भी बनना चाह रहे हैं रिमोट कंट्रोल
जबलपुर भाजपा में अंदरूनी उठा पटक कई स्थानों पर सार्वजनिक हो चुकी है कई बार मन में चल रहा मुटाव जुबान के माध्यम से सार्वजनिक भी हो चुका है। इस बात को भांपकर जबलपुर में अपना कुछ-कुछ प्रभाव रखने वाले अन्य भाजपा के दिग्गज नेता भी इस मौके का पूरा-पूरा लाभ उठाने के लिए सक्रिय हैं। जो भोपाल में बैठे हैं वह जबलपुर का कंट्रोल अपने हाथ में लेना चाहते हैं। उनके समर्पित और समर्थकों को अधिक मजबूत बनाने के चक्कर में वो भी ऐसे षड्यंत्र के इस हवन में अपनी आहुति दे रहे हैं। लेकिन यह बात भी साफ समझ आ रही है कि जिसका समन्वय तगड़ा होगा, जिसका सम्मान देने का क्रम तगड़ा होगा, जो साथ लेकर चलने में अधिक सक्षम साबित होगा वह इस तराजू के असंतुलन को अपने पक्ष में संतुलित कर लेगा।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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