जबलपुर (जयलोक)।
आदर्श राज व्यवस्था के लिए अब भी रामराज की ही कल्पना की जाती है। रामलीला मंचों पर तो प्रदर्शन है। पर इस प्रदर्शन के पीछे भी दर्शन है। ये दर्शन इहलोक और परलोक में संतुलन सिखाता है। ये बात बगलामुखी पीठ के ब्रम्हचारी चैतन्यानंद जी महाराज ने कही। वे श्री गोविंदगंज रामलीला के 160वें रामराज्याभिषेक महोत्सव के अवसर पर आशीर्वचन देते हुए बोल रहे थे। रामलीला के सिद्ध मंच से उन्होंने कहा कि हमने दो दिन पूर्व रावण का दहन किया। लेकिन अब समय है कि नशा, कुरीति जैसी बुराइयों का अपने मन से दहन करें। इसके लिए राम के आदर्श की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि राम राज्य में धर्म के चारों चरण विद्यवान थे। कोई दुखी, दीन, दरिद्र नहीं था। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि हम रामत्व को जीवन में अपनाएंगे तो हमारे भीतर भी दुख, दारिद्रय और संकट नहीं होंगे। महाराजश्री का कहना था कि माता-पिता-गुरु की सेवा नहीं करने पर कोई भी उन्नति को प्राप्त नहीं हो सकता।
गौ रक्षण की उठी मांग- रामलीला मंच से ब्रिजबिहारी सरकार के नाम से प्रसिद्ध अनिकेत कृष्ण शास्त्री ने कहा कि राम का जन्म ब्राम्हण और गौ की रक्षा के लिए हुआ था। अब जरूरत है कि हम भी राम के विचारों का रक्षण करें। विप्र धेनु सुर संत हित..के लिए उनका जन्म हुआ था। अब हमें भी अपना जन्म धेनु यानी गौ की रक्षा के लिए सफल करना है। हम भी गौवध रोकने और गौमाता को राष्ट: माता बनाने की दिशा में प्रयास करें। समारोह के मुख्य अतिथित सांसद आशीष दुबे थे जबकि अध्यक्षता भाजपा नगर अध्यक्ष प्रभात साहू ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक अभिलाष पांडे, पूर्व विधायक विनय सक्सेना, दिनेश यादव आदि मौजूद थे। इन सभी ने माना कि गोविंद गंज रामलीला के मंच पर आकर सभी धन्य होते हैं। आशीष दुबे ने कहा कि 160 वर्ष तक किसी संस्था को चलाना बड़ी बात है। बिना भगवान की कृपा के ये संभव नहीं है। विनय सक्सेना ने सुझाव दिया कि टोल नाके वाले यदि गौ अभ्यारण्य बनाएं तो बायपास पर गौ माता कीरक्षा हो सकती है।
