बहराइच
नसीरपुर गांव की एक महिला अपने बच्चों को बचाने के लिए वन्यजीव से भिड़ गई। इस महिला ने अपने बच्चे को पीठ पर टांग लिया और उस वन्यजीव का सारा वार अपने ऊपर सह गई। इस महिला का इलाज बहराइच के जिला अस्पताल में चल रहा है। लोग इसे भेड़िये का हमला बता रहे हैं, जबकि वन विभाग का कहना है कि वह इसकी जांच कर रहा है। फूट-फूटकर रोते हुए इस महिला ने बताया कि कैसे वह जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है। 28 साल की गुडिय़ा की कहानी, जो भी सुन रहा है वह हैरत में है कि अपने जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए गुडिय़ा ने जो किया वो एक मां ही कर सकती है। ऐसा साहस, ऐसी जीवटता एक मां ही दिखा सकती है। एक तरफ गुडिय़ा जैसी मां की कहानी कलेजा चीर देती है, तो दूसरी तरफ वन विभाग के अपने तर्क हैं। वन विभाग ने महसी तहसील में एक ही रात में तीन लोगों पर वन्य जीव के हमले पर बयान जारी करते हुए बताया यह हमला भेड़िये का प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि घटनास्थल पर भेड़िये का कोई निशान नहीं मिला है। हालांकि ग्रामीण चीख-चीखकर कह रहे हैं कि यह हमला भेड़िये ने ही किया है।
ग्रामीणों का कहना है कि इतनी जोरदार बारिश में भेड़िये के पगचिह्न कैसे मिलेंगे। गौरतलब है कि वन्य जीव के हालिया हमले में घायल तीनों पीडि़तों का इलाज जिला अस्पताल के भेड़िये वार्ड में चल रहा है। सीएचसी ने अपनी रिपोर्ट में इसे वन्यजीव के हमले से चोट बताया है। सम्मन पुरवा में हुई घटना को वन विभाग ने पगचिह्न को कुत्ते का बता दिया। उधर वन विभाग ने इलाके में कुत्तों और सियार के पगचिह्न मिलने की बात कही। वन विभाग का कहना है कि महसी में सियारों और कुत्तों की संख्या ज्यादा है। वन विभाग ने कहा कि इलाके से 5 भेडिय़ों के पकड़े जाने के बाद केवल एक ही भेडिया अब वहां बचा है।