जबलपुर (जयलोक)। जमीन विक्रय के मामले में फंसे बिल्डर शंकर मंछानी की तलाश में टीम जुटी हुई है। पुलिस ने आरोपी के घर और कार्यालय में छापा भी मारा, लेकिन वह वहां नहीं मिला। बिल्डर शंकर मंछानी के कार्यालय में ताला लटका हुआ मिला। शंकर मंछानी पर जाली हस्ताक्षर और शपथ पत्र के माध्यम से लाखों रूपये हड़पने और फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं। मामले का खुलासा होने के बाद से ही बिल्डर शंकर मंछानी फरार है। इसके पूर्व भी बिल्डर शंकर मंछानी विवाद में घिर चुका है। फिलहाल तो पुलिस उसकी तलाश में उसके ठिाकनों पर छापे मार रही है।
यह है मामला
शंकर मंछानी ने वर्ष 2009 में कपड़ा व्यापारी राजकुमार बुधरानी के साथ एक जमीन का अनुबंध किया था। यह जमीन जबलपुर विकास प्राधिकरण की योजना कंमांक-11 के द्वितीय चरण का भाग है। इस भूमि पर विक्रय अनुबंध 2600 रूपये प्रति वर्गफुट की दर पर किया गया था। जिसका कुल 6 करोड़, 34 लाख 45 हजार दो सौ रूपये में सौदा तय हुआ था। जिसके लिए कपड़ा व्यापारी से 75 लाख रूपये की राशि भी ले ली। लेकिन बाद में यह जमीन किसी दूसरे को बेच दी। जिसका राज 2021 में उस वक्त खुला जब बिल्डर शंकर मंछानी जमीन की राजिस्ट्री करने से आनाकानी करने लगा। इसी बीच कपड़ा व्यापारी को पता चला कि शंकर मंछानी ने उक्त जमीन किसी और को बेच दी है।
स्टाम्प का भी फर्जीवाड़ा
बिल्डिर शंकर मंछानी ने ना सिर्फ जमीन विक्रय में धोखाधड़ी की बल्कि स्टॉम्प में भी फर्जीवाड़ा किया। पुलिस को जाँच में पता चला है कि जमीन के विक्रय के लिए जिस स्टाम्प पेपर का उपयोग किया वह राजस्थान के पवार टेक निवासी पुरषोत्तम लाल शर्मा के नाम पर जारी किया गया था। इसी स्टाम्प के पीछे शंकर मंछानी का नाम है।
पुराने रिकार्ड की भी होगी जाँच
पुलिस का कहना है कि शंकर मंछानी ने इस प्रकार की पूर्व में भी धोखाधड़ी की है या नहीं इस बात की भी जाँच की जा रही है। हालांकि अभी तक एक शिकायकर्ता के अलावा दूसरा शिकायतकर्ता सामने नहीं आया है। जिसके साथ शंकर मंछानी ने इस प्रकार की धोखाधड़ी की है।