अधूरे दस्तावेज देने वालों को मान लिया गया ट्रांसपोर्टर, उच्च न्यायालय में लगी अपील
जबलपुर (जयलोक)। शहर के मध्य से ट्रांसपोर्टरों को व्यवस्थित ढंग से हटाने के लिए चंडाल भाटा ट्रांसपोर्ट नगर जबलपुर नगर निगम के द्वारा बसाया गया था। लेकिन जिस मूल भावना से यह कार्य किया गया था वो आज तक पूरा नहीं हो पाया है और एक दर्जन से अधिक वार्डों के लाखों लोग आज भी टार्सपोर्टरों के वाहनों की धमाचौकड़ी की समस्या से रोजाना परेशान होने के लिए मजबूर है। अब यह पूरा प्रकरण उच्च न्यायालय के समक्ष भी पहुँच चुका है।
न्यायालय ने जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट टेक्निक एसोसिएशन के द्वारा लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर संभागीय आयुक्त को जाँच कर वास्तविक ट्रांसपोर्टरों को ही प्लाट आवंटित करने और बारीकी से जाँच करने के निर्देश दिए। इसी बीच एक बार फिर इस बात का हल्ला मचा की जो गैर ट्रांसपोटर्स हैं और उनको प्लाट बेचने का काम करने वाले ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी संघ के तथाकथित अध्यक्ष राजेश अग्रवाल उफऱ् बबलू एवं संजय जैन जबलपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के सचिव द्वारा ट्रांसपोटज़्रों को बाकायदा एक सन्देश वाट्स अप ग्रुप के माध्यम से भेज कर जबलपुर कमिश्नर के यहाँ चल रहे प्रकरण के निराकरण और लीज रिनुअल के नाम पर 20 रूपये प्रति फुट के नाम से चंदा एकत्रित किया गया है। यह आरोप जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट टेक्निक एसोसिएशन सचिव महेंद्र ठाकुर ने लगाए है। महेंद्र ठाकुर ने बताया कि इस सम्बन्ध में जब उन्हें जानकारी लगी थी तो उसके तत्काल बाद ही उन्होंने एक ज्ञापन 6 मई को ही संभागीय आयुक्त के नाम से दिया था।
सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया था कि हाई कोर्ट के आदेश डब्ल्यूपी/9967/23 के आदेश पर चल रही जाँच पर ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल एवं संजय जैन जबलपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के सचिव द्वारा कोर्ट के नाम पर अवैध वसूली लीजधारी एवं ट्रांसपोर्ट व्यवसाईयों से कर रहे हैं। जिसमें 20 रूपये फुट प्रति वर्ग फुट से राशि जमा करने अपने स्वयं के कार्यालय में बोल रहे हैं। संभागीय आयुक्त के कार्यालय के नाम पर राशि जमा कराई जा रही है जो कि पूर्ण रूप से अवैध है। इस संबंध में हमारे संगठन द्वारा संभागीय आयुक्त के नाम पर ज्ञापन सौंप कर विरोध दर्ज किया गया। जिसमें उनके द्वारा जांच के आदेश देकर शिकायत दर्ज करने का आश्वासन दिया गया।
ऐसा भेजा गया है संदेश
अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला लाया गया कि एक सन्देश ट्रांसपोर्टरों को भेजा जा रहा है जिसमें लिखा हुआ है कि सम्मानीय ट्रांसपोर्ट नगर चंडाल भाटा के प्लाट धारी व्यापारी बंधुओं, कमिश्नर ऑफिस में चल रहे प्लॉटों के केस का लीगल खर्च का 20/ प्रति वगज़्फुट से देने का ट्रांसपोर्टर की मीटिंग में फाइनल हुआ। जिससे लीज रिन्यूअल करने की कार्यवाही हो सके।कृपया राशि शीघ्र निम्न स्थान में भेजने की कृपा करें (1) चंडाल भाटा में न्यू राहुल ट्रांसपोर्ट के बाजू से ऊपर ईस्ट इंडिया ट्रांसपोर्ट संजय जैन मोबाइल 9300161744(2) राजेश अग्रवाल बबलू निवास 1374 पारस कॉलोनी परिजात बिल्डिंग के पीछे चेरीताल जबलपुर मोबाइल 89895-89895।
संभागीय आयुक्त ने मंगाये थे दावे आपत्तियां
18 अक्टूबर को 23 को उच्च न्यायालय ने निर्देश के बाद संभागीय आयुक्त ने 18 नवंबर 23 को एक सार्वजनिक सूचना जारी कर दावे आपत्ति आमंत्रित किये थे और एक टीम गठित कर चंडाल भाटा के 572 प्लॉटों कि जाँच करवाई थी। इसके लिए 28 बिंदुओं का एक फॉर्म जारी किया गया था। लेकिन अधिकांश लोगों ने एक फॉर्म में मांगी गई जरुरी जानकारी नहीं भरी और आधे-अधूरे फॉर्म ही जमा कर दिए गए। बाद में संभागीय आयुक्त कायाज़्लय से ऐसे लोगों के दावे को भी मान्य कर लिया गया जिन्होंने मांगी गई जानकारी भी फॉर्म में नहीं भरी थी, जबकि यह अनिवार्य था।
मुख्य न्यायाधीश के समक्ष लगी है अपील
जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट टेक्निक एसोसिएशन सचिव महेंद्र ठाकुर ने बताया कि संभागीय आयुक्त कार्यालय से जो जाँच रिपोर्ट जारी हुई उसमें बहुत सी अनियमिताएं है। उनके सामने पक्ष रखने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई और वास्तविक ट्रांसपोर्टरों को उनका हक़ नहीं मिला है।
इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की गई है जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के समक्ष होना है। आज 22 नवंबर को यह प्रकरण सुनवाई के लिए लगा हुआ है।
नगर निगम की कमेटी कर रही जाँच
संभागीय आयुक्त के निर्देश पर जबलपुर नगर निगम ने कुछ बिंदुओं पर जाँच करने के लिए कमेटी बनाई है। लेकिन कमेटी में बहुत से ऐसे लोग शामिल हैं जिनपर पूर्व में यहाँ के प्लाट आवंटन के प्रकरण में फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं। यहाँ से गैर ट्रांसपोर्टरों को हटाने और शहर के मध्य में बैठे ट्रांसपोटरों को यहाँ बसाने का काम नगर निगम को करना है। अब नगर निगम की कमेटी की जाँच चल रही है। इसके पूर्व में भी नगर निगम प्रशासन को छोड़ पूरे शहर को यहाँ बसे गैर ट्रांसपोटर दिखते हैं जो अन्य कार्य कर रहे है। जबकि नियमों में किसको प्लाट मिलने है किसको नहीं इसका स्पष्ट प्रावधान दिया हुआ है।