सुप्रीम कोर्ट का प्राइवेट प्रॉपर्टी को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट प्रॉपर्टी पर सरकारी अधिकार के मामले पर एक अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले से नागरिकों के संपत्ति अधिकारों की रक्षा को मजबूती मिलती है। सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया है कि सरकार हर निजी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती, जब तक कि उस संपत्ति का उपयोग सार्वजनिक हित के लिए न किया जा रहा हो। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों वाली बेंच ने मंगलवार को निजी संपत्ति मामले में यह अहम फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में बेंच ने कहा कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है। राज्य केवल उन संसाधनों पर दावा कर सकता है, जो सार्वजनिक हित से जुड़े हैं और जो समुदाय के पास हैं। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने जस्टिस कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 1978 के बाद के कई फैसले, जिनमें समाजवादी सिद्धांत को अपनाया गया था, उन्हें पलट दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य को यह अधिकार नहीं है कि वह सभी निजी संपत्तियों को अपने अधीन कर सके। सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा है, कि कुछ पिछले फैसले इस धारणा पर आधारित थे कि व्यक्ति के सभी निजी संसाधन समुदाय के भौतिक संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि अदालत की भूमिका आर्थिक नीति को निर्धारित करना नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को स्थापित करने में सहायता प्रदान करना है। ऐसे में कहा जा रहा है कि यह फैसला कई वर्षों से लंबित मामलों और संपत्ति विवादों पर गहरा प्रभाव डालेगा और नागरिकों के संपत्ति अधिकारों की रक्षा करेगा।