अब तक के आंकड़ों को लेकर मंथन कर रहे चितिंत अधिकारी
जबलपुर (जयलोक)। 1 जनवरी 2024 से लेकर अब तक, जिले में अपराध दर में आई निरंतर वृद्धि ने पुलिस के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। इन 11 महीनों में अपराधों की एक लंबी सूची सामने आई है, जिसमें डकैती को छोडक़र लगभग सभी प्रकार के अपराध शामिल हैं। हालात ऐसे हैं कि पुलिस विभाग और जिले के आला अधिकारी अब तक के आंकड़ों को लेकर गहरी चिंता में हैं।
बढ़ते अपराध और पुलिस की चुनौतियाँ
जनवरी से अक्टूबर तक लगभग 300 दिन बीत चुके हैं और इन दिनों में अधिकांश अपराध जैसे चोरी, लूट, हत्या, गैंगरेप, बलात्कार और जालसाजी जैसे अपराध लगातार बढ़े हैं। एक तरफ जहाँ पुलिस अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे अधिकारियों के हाथ पांव फूलते जा रहे हैं। विशेष रूप से शहर और ग्रामीण इलाकों में अपराध दर में भारी वृद्धि हुई है।
अपराधियों की बढ़ती हिम्मत
पुलिस के लिए सबसे बड़ी चिंता जेल से छूटे हुए अपराधियों की बढ़ती सक्रियता है। कई अपराधी जमानत मिलने के बाद फिर से चाकू लेकर घूम रहे हैं और अन्य अपराधों में संलिप्त हो रहे हैं, लेकिन पुलिस की निगरानी में इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। इस कमी का फायदा अपराधी उठा रहे हैं। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएँ सामने आईं हैं, जिनमें जेल से छूटे हुए अपराधियों के नाम सामने आए हैं। वहीं, छात्रों और छात्राओं के खिलाफ सरेराह छेड़छाड़ की घटनाएँ भी बढ़ी हैं। खासकर देहात थाना क्षेत्रों में छेड़छाड़ की शिकायतों को पुलिस अक्सर नजरअंदाज कर देती है या एफआईआर तक दर्ज नहीं करती।
पुराने रिकॉर्ड टूटे, अपराधी बेखौफ
जिले में अपराधों की संख्या ने बीते कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अपराधियों के सामने पुलिस की गिरफ्तारी की गति धीमी रही है, जिससे ये अपराधी और बेखौफ हो गए हैं।
सितंबर और अक्टूबर में हत्या, हत्या के प्रयास, और संदिग्ध हत्याओं की घटनाएँ बढ़ी हैं। साथ ही, वाहन चोरी और साधारण चोरी के मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक प्रकरण अभी भी लंबित हैं। हालांकि, कुछ मामलों में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन अधिकांश मामलों में पुलिस का प्रतिक्रिया समय धीमा रहा है, जिससे अपराधियों को पकड़ा जाना मुश्किल हो रहा है।
नशे का कारोबार
नशे के कारोबार को लेकर पुलिस जितने भी दावे करे लेकिन हकीकत यही है की आगे पाठ और पीछे सपाट के हालात हैं। अवैध शराब, स्मैक, और गांजे की बिक्री पुलिस की निगरानी के बावजूद बढ़ी है।
कच्ची शराब की तस्करी और बिक्री पूरे जिले में हो रही है, लेकिन आबकारी विभाग इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। पुलिस की कई छापेमारी के बावजूद, नशे के इस कारोबार को पूरी तरह से रोकना मुश्किल हो रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक अवैध शराब, स्मैक, और गांजा बेचे जा रहे हैं, और इनसे जुड़े अपराधों में वृद्धि हो रही है। पुलिस विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर काम कर रहा है, लेकिन अधिकतर समय ये तस्कर पुलिस की कार्यवाही से बच जाते हैं।
अधिकारी सतर्क प्रयास भी जारी
जिले के आला अधिकारी स्थिति की गंभीरता को भली-भांति समझ रहे हैं और भविष्य में अपराधों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाने की योजना बना रहे हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर बैठकों का दौर जारी है, लेकिन जमीनी स्तर पर अपराधों में कमी आती नहीं दिख रही है।
—————–