जबलपुर (जय लोक) ।शहर के मेडिकल अस्पताल के कारनामें का एक अजीब मामला सामने आया है। यहाँ जिस मरीज को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया वह कुछ ही घंटों में जीवित हो गया। जिसको लेकर मेडिकल अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ।
दरअसल 27 जनवरी की देर रात ग्वारीघाट के रहने वाले 66 वर्षीय मरीज इंद्रजीत शुक्ला को गंभीर हालत में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने 27 जनवरी की शाम 7:30 बजे ही उनकी मौत की रिपोर्ट जारी कर दी। परिजनों ने कुछ देर बाद पाया की मरीज अभी जिंदा है और जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है। इसे साबित करने के लिए परिजनों ने मरीज का एक वीडियो दिखाया, जिसमें मरीज जिंदा नजर आ रहा है। मरीज के बेटे ने बताया कि एक महिला डॉक्टर ड्यूटी पर थीं, जिन्होंने यह मृत्यु प्रमाण पत्र हाथों में थमा दिया। कुछ देर बाद मरीज को शिफ्ट करते समय परिजनों ने पाया की उनकी सांस और दिल की धडक़ने चल रहीे है। कांग्रेस युवा नेता अभिषेक पाठक को मरीज के बेटे ने संपर्क कर पुरी मामले की जानकारी दी। जिसके बाद उन्होंने चिकित्सकों से बात की।
ईलाज किया बंद
इस मामले में यह खास बात है कि जब चिकित्सकों को अपनी गलती का अहसास हुआ कि मरीज अभी जिंदा है और उन्होंने गलत रिपोर्ट तैयार कर ईलाज बंद कर दिया। इसके बाद भी चिकित्सकों ने मरीज का ईलाज शुरू नहीं किया। जिसके बाद मरीज के बेटे ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई।
मेडिकल अधिकारी करेंगे जाँच
इस मामले के सामने आते ही मेडिकल में ईलाज व्यवस्था की पोल खुल गई है। अब डॉक्टरों की टीम इस मामले की जाँच करेगी और यह पता करेगी कि उस समय ड्यूटी पर कौन था। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि यह एक मानवीय भूल है। मरीज को मृत घोषित करने से पहले सभी पैरामीटर को चेक किया जाता है, लेकिन ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर प्रशिक्षित नहीं थे, जिसकी वजह से यह गलती हुई है। इसके साथ ही पूरे मामले में मेडिकल अधीक्षक अरविंद शर्मा को जांच के आदेश दिए हैं।