रंग गुलाल पिचकारियों की सजी दुकानें
जबलपुर (जयलोक)। होली का त्यौहार आने में अब महज तीन दिन शेष रहे गए हैं। लेकिन तीन दिनों पूर्व ही होली के रंग में बाजार रंग गए हैं। पिचकारियों और रंग की दुकानों के साथ ही विशेष कपड़ों की दुकानें सजकर तैयार हैं, वहीं दूसरी ओर होली के पर्व को ध्यान में रखकर मिठाईयों की दुकानों में भी तरह तरह के पकवान बनकर तैयार हो रहे हैं। कभी होली ही एकमात्र ऐसा त्यौहार था जिसमें लोग फटे पुराने कपड़े पहनकर होली मनाते थे, लेकिन अब होली के दिन के लिए भी विशेष कपड़े तैयार किए जाते हैं और बदलते चलन में इन कपड़ों का उपयोग बढ़ता जा रहा है। ऐसे ही नए डिजाइन के कपड़े दुकानों में दिखाई दे रहे हैं। जिनमें स्लोगन ‘हैप्पी होली, बुरा न मानो होली है’ लिखी हुई टी-शर्ट बाजार में दिखाई दे रही हैं।
बुरा ना मानो होली है कि आई टी-शर्ट
होली एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें खर्चे कम और चर्चे ज्यादा रहते हैं। अन्य त्योहारों में नए कपड़े, सजावट सहित अन्य कीमतों पर पैसे खर्च होते हैं। तो पहले होली में रंग गुलाल पर ही लोग पैसे खर्च किया करते थे। लेकिन समय बदला और अब होली के नए कपड़े पहनने का चलन बढ़ गए। इन नए कपड़ों में होली का संदेश देने वाली टी-शर्ट, शर्ट शामिल हैं।
पहले जहां होली में लोग नए कपड़े नहीं पहना करते थे बल्कि इस त्यौहार को मनाने के लिए रिटायर कपड़ों को रखा जाता था। जिन कपड़ों को खूब पहनने के बाद अलग किया जाता है, उन्हें होली के दिन के लिए सुरक्षित रखा जाता था और लोग उन्हीं पुराने कपड़ों को पहनकर होली मनाते थे, या यूं कहें अभी भी बहुत से लोग इसी परंपरा को निभा रहे हैं।
2000 तक की पिचकरियाँ बाजार में मौजूद
वहीं होली के त्यौहार के मद्दे नजर बाजारों में छोटी से लेकर बड़ी कई तरह की पिचकरियां भी देखने को मिल रहीं हैं। इनमें 50 रूपये से लेकर 2000 रूपये तक की पिचकरियां बाजारों में बिकने के लिए उपलब्ध हैं। जिसमें बच्चों को आकर्षक कार्टून वाली पिचकारी, मोटू-पतलू, स्पाइडर मैन, डोरेमोन सहित अन्य पिचकारियाँ लुभा रही हैं। भले ही लोग कहते हैं कि रंगों के मामले में रासायनिक रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए लेकिन इसके बाद भी बाजार में बड़े पैमाने पर होली में रासायनिक रंगों का ही प्रयोग होता है, उनके नुकसान भी होते हैं लेकिन होली का मजा नुकसान लोग उठाकर भी लेना चाहते हैं।
सडक़ किनारे सजी दुकानें
होली के त्यौहार को देखते हुए अब सडक़ों के किनारे रंग, गुलाल और पिचकारियों की दुकानें सज गई हैं। हालांकि इस बार महंगाई की मार का असर रंग गुलाल और पिचकारियों पर देखा जा रहा है। इनकी कीमतों में इजाफा हुआ है। दुकान संचालकों का कहना है कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष कीमतों में उछाल आया है। लेकिन त्यौहार को लेकर लोग कंजूसी नहीं करना चाहते हैं और अपनी हैसियत के अनुसार महंगे दामों में भी वे अपनी मनपसंद पिचकारी खरीदी रहे हैं।
13 को जलेगी होलिका
इस बार 14 मार्च को होली है, 13 मार्च को होलिका दहन है। होलिका दहन के लिए भी समितियों ने अपने अपने स्तर पर तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। होलिका की प्रतिमा के लिए पहले से ही एडवांस बुुकिंग हो चुकी है। होलिका प्रतिमाओं की स्थापना के लिए भी समितियों ने स्थान चयनित कर लिए हैं। होलिका दहन के एक दिन पूर्व होलिका की प्रतिमाएं स्थापित हो जाएंगी।
बच्चों में दिखा उत्साह
रंगों के इस त्यौहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह बना हुआ है। अधिकांश कक्षाओं की परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं जिसके बाद बच्चों का उत्साह दोगुना हो गया है। बच्चों ने पहले से ही अपने लिए होली की खरीददारी शुरू कर दी है।
