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40 स्कूल आये जाँच के दायरे में,350 शिकायतें पहुँचीं : कलेक्टर के पास दुकान विशेष से सामान खरीदने कोई बाध्य नहीं करेगा प्रशासन ऐसी षड्यंत्रकारी लूट बर्दाश्त नहीं करेगा – कलेक्टर

मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप जिला प्रशासन ने तैयार की पूरी कार्य योजना, अभिभावकों को मिलेगी राहत

जबलपुर (जय लोक )
शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होते ही एक बार फिर से निजी स्कूल संचालकों, कॉपी किताब के विक्रेताओं, यूनिफॉर्म और अन्य शैक्षणिक सामग्री के विक्रेताओं के बीच का षड्यंत्रकारी गठजोड़ सभी को लूटने में लगा था अभिभावक इससे बहुत अधिक परेशान थे। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी स्पष्ट रूप से ऐसे षडयंत्रों को नाकाम करने के लिए जिला कलेक्टरों को कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिए है। दैनिक जय लोक भी प्रमुखता से इस लूट के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा है। जिला प्रशासन हरकत में आया और आज 18 स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही करने की दिशा में प्रशासन ने पहला कदम बढ़ा दिया है। अभी तक 40 स्कूलों को जाँच के दायरे में लिया गया, इनसे संबंधित 350 से अधिक शिकायतें कलेक्टर दीपक सक्सेना के पास बहुत ही कम समय में पहुंची है। इसके बाद आज कलेक्टर की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई जिसमें तकरीबन ढाई सौ से अधिक स्कूलों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। कलेक्टर ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में सभी को यह हिदायत देते हुए समझाया कि प्रशासन किसी भी प्रकार के षडयंत्र और लूट के कार्य नहीं होने देगा। कलेक्टर ने बैठक में यह सुनिश्चित करवाया कि शहर के 10 बड़े स्कूलों को एक समिति में शामिल कर इस प्रकार की अवांछित गतिविधियों को रोकने के लिए सुझाव और गाइडलाइन बनाई जाए।
नहीं चलेगी मोनोपोली
कलेक्टर ने बैठक में निजी स्कूल संचालकों से कहा कि आप लोग बच्चों को शिक्षित करने के लिये एक महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं लेकिन नये शैक्षणिक सत्र की शुरुआत पर कतिपय स्कूल प्रबंधन एवं प्राचार्य द्वारा एनसीईआरटी या एससीईआरटी से संबंधित पुस्तकों के साथ अन्य प्रकाशकों की अधिक मूल्य की पुस्तकें एवं शैक्षिक सामग्री अथवा यूनिफार्म खरीदने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पालकों को बाध्य करने के शिकायतें सामने आई हैं। जिसके कारण विद्यार्थियों व पालकों को महंगे दामों में उक्त सामग्री मिल रही है जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूली सामग्री विक्रेताओं के एकाधिकार पर अंकुश लगाने के लिये निजी स्कूल संचालकों को समिति बनाकर इसे पारदर्शी बनाना है। जिससे शैक्षणिक सामग्री व ड्रेस उचित दर पर सभी को सुलभ हो जाये। इसके लिये उन्होंने एसओपी बनाने के निर्देश दिये। जिसमें कहा गया कि किस दुकान से क्या खरीदें यह सलाह देना बंद करें, पाठ्यक्रम अनुसार पुस्तक मेला लगाने पर विचार करें, प्रायवेट स्कूल वाले एक समूह बनाकर इस दिशा में उचित निर्णय लेकर आवश्यक कार्यवाही करें। निजी स्कूल आपस में तय करें अन्यथा प्रशासन उठायेगा कदम। उन्होंने कहा कि प्रायवेट स्कूल संचालक आपस में निर्णय कर इस दिशा में कारगर कदम उठायें अन्यथा प्रशासन इस दिशा में आवश्यक कार्यवाही करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी दुकान विशेष से शैक्षणिक सामग्री व ड्रेस खरीदने के लिये बाध्य करना एक अपराधिक षडयंत्र के साथ लूट भी है।
प्रशासन ऐसे किसी अपराधिक षडयंत्र या लूट को बर्दाश्त नहीं करेगा और ऐसा करने वालों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।
बनना चाहिए पब्लिक ट्रस्ट
इस दौरान निजी स्कूल संचालकों ने भी अपने विचार व्यक्त कर शैक्षणिक सामग्री व ड्रेस उचित दर पर सुनिश्चित करने संबंधी सुझाव दिये। विक्रेताओं के एकाधिकार के नियंत्रण के लिये पब्लिक ट्रस्ट बनाने के लिए सहमति दी और दस प्रमुख स्कूलों की एक समिति बनाई गई जो इस दिशा में कार्य करेगी।
बैठक में अपर कलेक्टर श्रीमती मिशा सिंह सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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