जबलपुर (जय लोक)
शहर में कल 11 मई को लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इस लोक अदालत के बारे में जानकारी देते हुए जबलपुर के प्रधान जिला न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने बताया कि केवल जबलपुर जिले में 1 लाख 47 हजार मुकदमे जिला अदालतों में लंबित हैं।
न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में जबलपुर जिले में सिहोरा एवं पाटन न्यायालयों को सम्मिलित करते हुए कुल 147144 प्रकरण लंबित हैं जिनमें से 41425 सिविल प्रकृति के तथा 105719 आपराधिक प्रकृति के हंै। इन कुल लंबित प्रकरणों में से 7279 प्रकरण चिन्हित कर 11 मई 2024 को होने वाली नेशनल लोक अदालत के लिए रेफर किया गया है। लंबित प्रकरणों की संख्या अधिक होने के कारण ही लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है और इसका असर पूरे समाज पर पड़ रहा है। यही कारण है कि जिलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जबलपुर जिला जज आलोक अवस्थी का कहना है कि जबलपुर में 11 मई को लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लोग अपने छोटे मुकदमों को तुरंत खत्म करवा सकते हैं इसका एक फायदा यह भी होगा कि दूसरे बड़े मामलों में अदालतें अपना अधिक समय देकर उनका भी निपटारा कर सकेंगी ।
दुर्घटना प्रकरणों में शीघ्र मिल जाती है राशि
मोटर दुर्घटना के प्रकरणों का जिक्र करते हुए श्री अवस्थी ने कहा कि लोक अदालत से यदि किसी मोटर दुर्घटना दावा का निराकरण होता है तो पीडि़त पक्ष को यथाशीघ्र दावा राशि प्राप्त हो जाती है तथा पीडि़त परिवार को सहायता के साथ-साथ उसके अन्य आवश्यक कार्य पूरे हो जाते हैं। इस प्रकार लोक अदालत से प्रकरणों का निराकरण एक प्रकार से पुण्य का कार्य है।
इस अवसर पर उपस्थित सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने माह के अंतिम शनिवार को आयोजित होने वाली स्थायी निरंतर लोक अदालत की भी जानकारी दी तथा आगामी नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण हेतु लोगों में जागरूकता लाने के लिए पत्रकारगणों को सम्बोधित किया।
सेशन से सुप्रीम कोर्ट तक सामान्य न्यायालय प्रक्रिया के तहत लगता है ज्यादा समय
जबलपुर के प्रधान जिला न्यायाधीश आलोक अवस्थी का कहना है कि लंबित मुकदमों को यदि सामान्य न्यायालय प्रक्रिया के तहत खत्म किया जाता है तो इसमें बहुत अधिक समय लग जाएगा. क्योंकि एक अदालत से खत्म होने के बाद मुकदमा दूसरी अदालत में पहुँच जाता है, दूसरी से तीसरी में पहुंच जाता है और सेशन कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक एक ही मुकदमा चलता रहता है।
सबूतों, गवाहों और अधिक बहस की बिना जरूरत
वाले छोटे मुकदमे खत्म कराने का मौका
प्रधान जिला न्यायाधीश श्री अवस्थी ने आगे कहा कि इनमें कुछ मुकदमे तो ऐसे हैं जिनमें सबूतों और गवाहों की जरूरत होती है, लेकिन बहुत से मुकदमे ऐसे होते हैं, जिनमें बहुत अधिक बहस की जरूरत नहीं होती बल्कि आमने-सामने बैठकर दो पक्षकार अपनी बात रख देते हैं और बात खत्म हो जाती है। इस तरह मुकदमा भी खत्म हो जाता है। इसलिए यदि कोई पक्षकार मुकदमा खत्म करवाना चाहता है तो उसके लिए 11 मई को एक लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इस लोक अदालत में पक्षकार अपना आवेदन पेश कर सकता है। जिसमें तुरंत न्याय मिलेगा और यह अंतिम भी होगा। मतलब लोक अदालत में जिस मामले का फैसला हो जाता है उसे दोबारा कहीं चुनौती नहीं दी जा सकती. इसलिए यहां ना बार-बार पेशी होती है और ना बार-बार अदालत के चक्कर लगाने पड़ते हैं। न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने कहा, जिन लोगों को तुरंत न्याय चाहिए उन्हें लोक अदालत में आना चाहिए।
