महज आधा दर्जन अधिकारी ही कर रहे उपयोग
भोपाल (जयलोक)। अधीनस्थ अफसरों व कर्मचारियों पर अपने निर्णय थोपने वाले अफसरों को खुद मंत्रालय में फेस अटेंडेंस सिस्टम रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि मंत्रालय में तय समय से एक माह बाद भी फेस अटेंडेंस सिस्टम को लागू नहीं किया जा सका है। इसे 1 जनवरी से लागू किया जाना था। दरअसल इसके लिए अफसर पंजीयन कराने के लिए ही आगे नहीं आ रहे हैं। हालात ये हैं कि जिन प्रशासनिक अफसरों पर व्यवस्था बनाने की जिम्मा है, वह खुद इस नई व्यवस्था से दूरी बनाए हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि मंत्रालय में पदस्थ आधा सैकड़ा से अधिक आइएएस अफसरों में से महज आधा दर्जन अफसर ही आधार बेस्ड फेस अटेंडेंस एप से हाजिरी लगा रहे हैं। दरअसल इस नई हाजरी व्यवस्था के दायरे में आईएएस अधिकारियों को काम पर आने-जाने का हिसाब भी देना होगा। आईएएस अधिकारियों को कर्मचारियों की तरह आठ घंटे की ड्यूटी पूरी करनी होगी और इसके लिए जियो टैगिंग बेस्ड एप पर हाजिरी लगानी होगी। मंत्रालय से शुरू किए जा रहे फेस अटेंडेंस एप के माध्यम से हाजिरी लगाने की प्रक्रिया में कर्मचारियों के साथ सभी अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। देश में पहली बार ऐसा सबसे बड़ा प्रयोग इस तरह की अटेंडेंस प्रक्रिया देश का अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रयोग है। अभी तक किसी राज्य ने आधार बेस्ड फेस रिकॉग्नाइजेशन से अटेंडेंस लगानी शुरू नहीं की है। यह बहुत सरल एप है, जो आधार से जुड़ा है। इसे लागू करने वालों से लेकर अटेंडेंस लगाने वालों तक को न तो कोई इक्यूपमेंट खरीदना है, न ही डाटा ही अलग से जुटाना होता है। बिना बड़े बजट के खर्च किए मंत्रालय के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति एप के माध्यम से दर्ज हो रही है। सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि मंत्रालय में करीब 50 आईएएस पदस्थ हैं। इनमें से छह ही एप की मदद से हाजिरी लगा रहे हैं। हाजिरी लगाने वालों में व्यवस्था को लागू करने वाले विभाग सामान्य प्रशासन के उप सचिव अजय कटेसरिया, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी सहित उनके विभाग के आईएएस तन्वी सुंद्रियाल, राजीव मीणा, रोहित सिंह और लोकेश जाटव शामिल हैं। इसके अतिरिक्त पूरे मंत्रालय से इक्का-दुक्का आईएएस ही इस व्यवस्था का पालन कर रहे हैं।
अधिकारी ही बन रहे व्यवस्था में रोड़ा
प्रशासनिक मुखिया भले ही बेहतर सोच के साथ नई व्यवस्था को लागू कर रहे हों, लेकिन इसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा प्रशासनिक अधिकारी ही बन रहे हैं। फरवरी के पहले सप्ताह तक 1266 कर्मचारी ऐसे थे, जो अटेंडेंस पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं। वहीं, कुल रजिस्टर्ड डिवाइस 755 हैं यानी जिन्होंने अपने एंड्रॉयड डिवाइस में एप डाउनलोड कर लिया है। इनमें से आधे यानी करीब 350 प्रतिदिन इस एप से हाजिरी लगा रहे हैं, लेकिन मात्र 10 प्रतिशत अधिकारी ही इसका पालन कर रहे हैं।
प्रदेश भर में लागू होगा एप बेस्ड अटेंडेंस सिस्टम
प्रदेश के मंत्रालय में इस तरह एप से अटेंडेंस लगाने का प्रयोग नए मुख्य सचिव अनुराग जैन के आने के बाद शुरू हुआ है। यह कहा जाता है कि प्रशासनिक मुखिया का विचार है कि सबसे पहले मंत्रालय में सभी अधिकारी-कर्मचारी एक व्यवस्था के तहत नियम से अपने ड्यूटी आवर्स पूरे करें, इसके बाद इस प्रयोग को पूरे प्रदेश में लागू किए जाने की योजना है। इससे सरकारी कर्मचारियों की यह छवि सुधरेगी कि वे देर से दफ्तर आते हैं और जल्दी चले जाते हैं। जनता में छवि बेहतर होगी तो कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ेगी और प्रशासनिक कार्यों में गति आएगी।