जबलपुर (जयलोक)। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में बिजली की दरों को बढ़ाने को लेकर जो दरें प्रस्तावित की हैं उन पर नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं से दावे और आपत्तियां मांगी थीं जिस पर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संयोजक डॉक्टर पीजी नाजपांडे ने आपत्तियां दर्ज कराई थीं। आपत्ति इस बात पर की गई थी कि एक ही बिंदु पर दो प्रक्रियाओं से उपभोक्ताओं से वसूली नहीं की जा सकती है। विद्युत नियामक आयोग ने एक ही बिंदु पर दो तरह की वसूली की जिन प्रक्रियाओं को प्रस्तावित किया है उनमें पहली प्रक्रिया यह है कि विद्युत रेट बढ़ाने वाले खर्च को उपभोक्ताओं से लिया जाना तथा दूसरी प्रक्रिया यह है कि फ्यूल खर्च भी उपभोक्ताओं से वसूला जाना चाहिए। इस तरह एक ही प्रक्रिया पर दो तरह की प्रक्रियाओं से वसूली की जाना प्रस्तावित किया गया है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपनी आपत्तियाँ भी प्रस्तुत की थीं। इन आपत्तियों पर विद्युत नियामक आयोग ने नो कमेंट लिखकर इन आपत्तियों को खारिज कर दिया। विद्युत नियामक आयोग के इस तरह के निर्णय को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर दी। इस याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सुनवाई की, सुनवाई के पश्चात मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने विद्युत नियामक आयोग तथा तीनों विद्युत कंपनी पूर्व क्षेत्र विद्युत कंपनी, मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी और पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी को नोटिस जारी किए हैं तथा इन सभी से याचिका में उठाए गए मुद्दों को लेकर जवाब भी हाई कोर्ट द्वारा मांगा गया है। हाई कोर्ट में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा वही विद्युत नियामक आयोग की ओर से एडवोकेट नायर उपस्थित हुए।
