भीड़ बेकाबू होने पर डीआईजी ने अजित वर्मा जी से कहा घुंघरू जल्दी तुड़वा दें
सच्चिदानंद शेकटकर
जबलपुर (जयलोक)
जाने माने गजल गायक पंकज उधास का कल 72 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। गजल गायकी की दुनिया में पंकज उधास ने अपना एक अलग मुकाम बनाया था। उनको सुनने के लिए श्रोता बेताब रहते थे। जबलपुर में भी पहली बार पंकज उधास की गजल गायकी का कार्यक्रम शहर की प्रतिष्ठित संस्था मित्र संघ द्वारा 21 नवंबर 1985 को मानस भवन में आयोजित किया गया था। तब उन्हें मित्रसंघ के महासचिव अजित वर्मा जी ने पंकज उधास को बालाघाट से सडक़ मार्ग से मित्रसंघ के सहसचिव प्रदीप फाटक को लेने भेजा था। प्रदीप फाटक जब पंकज उधास को सडक़ मार्ग से लेकर आ रहे थे तब लखनादौन में सभी ने एक ढाबे पर खाना खाया। तब उस ढाबे पर पंकज उधास के गाने ही बज रहे थे। तभी होटल संचालक के बेटे ने पंकज उधास को पहचान लिया और फिर उन्हें देखने के लिए लखनादौन के लोगों की भीड़ जमा होने लगी उनको जैक्सन होटल में रुकवाया गया था। पंकज उधास के इस कार्यक्रम में श्रोताओं की भारी भीड़ आने को ध्यान में रखकर मानस भवन के बाहर तीन पत्ती चौक और बस स्टैंड तक स्पीकर बंधवाए गए थे। जैसे की उम्मीद थी पंकज उधास को सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। रात 11 बजे तक जब भीड़ ने हटने का नाम नहीं लिया। तब के डीआईजी अशोक पटेल ने सुरक्षा का जिम्मा खुद सम्हाला था।
वे समझ नहीं पा रहे थे कि भीड़ कम क्यों नहीं हो रही है। तब उन्हें किसी ने बता दिया कि भीड़ उनकी गजल-
मोहे आई न जग से लाज कि
मैं इतना जोर से नाची आज
कि घुंघरू टूट गये……….
को सुनने के लिये बेताब है। तब डीआईजी अशोक पटेल ने मित्रसंघ के महासचिव श्री अजित वर्मा जी को मंच से बाहर बुलवाया और कहा कि वर्मा जी अब आप घुंघरू जल्दी तुड़वा दीजिए। फिर ऐसा ही हुआ। आज से 38 वर्ष पहले आयोजित हुए इस कार्यक्रम के लिए पंकज उधास को मित्रसंघ ने 35 हजार रुपए की राशि पारिश्रमिक के रूप में कलाप्रेमियों से एकत्र करके दी थी।