106 एकड़ भूमि देकर 70 करोड़ से बनाएंगे गौरीघाट के लिए नया मार्ग
महापौर अन्नू ने दुबारा उठाया विषय साधु संतों और जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में रखेंगे मुख्यमंत्री के समक्ष माँग
जबलपुर (जयलोक)
जबलपुर संस्कारधानी को अब जाबालि ऋषि की तपोभूमि जाबलीपुरम के नाम से पहचान दिलाने के लिए एक बार फिर प्रयास प्रारंभ हो गए हैं। 2009 में नगर निगम सदन में महापौर सुशील सिंह के कार्यकाल के वक्त पार्षद के रूप में जगत बहादुर सिंह अन्नू और महापौर श्रीमती सुशीला सिंह ने इस विषय पर एकमतेन होकर सदन में यह प्रस्ताव रखा था। सदन से इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर राज्य सरकार को प्रेषित कर दिया गया था जो आज भी राज्य सरकार के विचारार्थ लंबित है।
बजट बैठक में इस विषय को पुन: शामिल किया गया है। महापौर जगत बहादुर सिंह जल्द ही इस विषय पर साधु संतों की अगुवाई में एवं भाजपा जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से इस माँग की पूर्ति का आग्रह करेंगे। एमआईसी में वैसे तो बजट में सम्मिलित कई बड़े निर्णय हुए है। लेकिन शहर के लिए बहुत जरूरी बहुप्रतिशत छोटी लाइन फाटक से गौरी घाट चौराहे तक रेलवे की नैरोगेज भूमि पर नई सडक़ के निर्माण का विषय भी शामिल किया गया है। 70 करोड़ की अनुमानित लागत से रेलवे की अनुमति मिलने के बाद इस सडक़ का निर्माण हो पाएगा।
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के अनुसार जल्द ही लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के नेतृत्व में रेलवे के अधिकारियों के समक्ष डुमना में 106 एकड़ भूमि देकर रेल पटरी की भूमि को एक बहुत जरूरी वैकल्पिक मार्ग के रूप में लिया जा सकता है। रेलवे की स्वीकृति और इस बात का निर्धारण होने के बाद यह बहु प्रतीक्षित सडक़ भी जबलपुर के यातायात को और नर्मदा भक्तों को राहत पहुंचाने के लिए बड़ी उपयोगी साबित होगी।
सूत्रों के अनुसार पूर्व में भी रेलवे विभाग से जमीन की अदला-बदली को लेकर चर्चा हुई थी लेकिन रेलवे विभाग डुमना में दिए जाने के लिए प्रस्तावित 106 एकड़ भूमि को अपने उपयोग का नहीं मानता है। रेलवे विभाग ने पूर्व में भी नगर निगम से यह मांग की है कि या तो वह कहीं और भूमि दे या फिर भूमि अधिग्रहण की राशि रेलवे विभाग को अदा करें। मंत्री राकेश सिंह के नेतृत्व में प्रशासनिक विभागों के बीच में फंसी इस अड़चन को सुलझाने का कार्य महापौर करेंगे ताकि शहर को और नर्मदा भक्तों को गौरीघाट आने जाने के लिए नया वैकल्पिक मार्ग मिल सके।