जबलपुर (जय लोक)
संस्कारधानी में हावी शिक्षा माफिया को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने सुनियोजित ढंग से कार्यवाही की रूपरेखा तय कर एक-एक कदम बढ़ाया है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने यह तय किया था कि सिर्फ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर या किसी को दंड देकर मामले से इतिश्री नहीं करना है, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था बनाना है जिससे हर साल शिक्षा माफिया के इस कृत्यों को रोका जा सके एवं बच्चों और उनके अभिभावकों को लाभ मिल सके। अभी तक की जाँच में यह स्पष्ट हो चुका है कि शिक्षा माफिया के इस खेल में षड्यंत्र, कमीशन, हवाला, लूट, धोखा सब शामिल है।
प्रकाशकों, निजी दुकानदार और निजी स्कूलों की षड्यंत्रकारी नीति के कारण कमीशन और करोड़ों रुपए का हवाले का खेल सामने आया है, अभिभावकों को मनमर्जी के दामों में किताबें और सामग्री विक्रय कर लूटने का खेल सामने आया है, फर्जी आईएसबीएन नंबर और बिना आईएसबीएन नंबर के फर्जी पुस्तकें बेच कर शासन को टैक्स ना चुकाने और हवाला का कारोबार कर धोखा देने का खेल भी सामने आया है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जय लोक से चर्चा के दौरान अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए बताया कि वे इस वर्ष से मेले का आयोजन इसलिए करवा रहे हैं, क्योंकि आयोजन में जो भी व्यवहारिक, भौतिक, वास्तविक समस्याएं सामने आएंगी उनको दूर करते हुए अगले वर्ष से इस व्यवस्था को सुनियोजित ढंग से लागू किया जाएगा। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि जिस प्रकार से दीपावली पर्व आने के पूर्व फटाका दुकानों को लगाने का कार्य तय है, होली के पूर्व रंग की दुकान लगना तय है उसी प्रकार से व्यवस्था करना चाहते हैं कि दीपावली के बाद से ही शहर के सभी स्कूल यह तय कर लें की उनके यहां पाठ्यक्रम में कौन सी पुस्तकें लगेंगी। निजी स्कूल यह तय करके शासन को तय समय सीमा में अपनी सूची उपलब्ध करा देंगे। यह सूची सभी बुक सेलर कॉपी किताब विके्रताओं को उपलब्ध करवाई जाएगी। ताकि स्वस्थ और पारदर्शी प्रतिस्पर्धा के कारण अभिभावकों को सामान्य दरों पर यह लाभ हो सके और किसी भी प्रकार की मोनोपोली जैसी स्थिति निर्मित ना हो पाए। यह व्यवस्था स्कूलों के यूनिफॉर्म, स्टेशनरी के सामान पर भी लागू होगी यह सब सामान भी अन्य वस्तुओं, पुस्तकों, कॉपियों की तरह किताबों के मेले (बुक फेयर) में उपलब्ध होगा।
हम बंद करना चाहते हैं यह लूट की प्रथा
कलेक्टर का स्पष्ट उद्देश्य है लूट की प्रथा को बंद होना चाहिए। कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि केवल कार्यवाही कर देने से इस समस्या को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता। हम ऐसी व्यवस्था बनाना चाह रहे हैं कि बच्चों और अभिभावकों को सामान्य दरों पर शिक्षा की सामग्री और कॉपी किताबें उपलब्ध हो सकें। इसमें मोनोपोली बनाकर की जा रही मुनाफा खोरी को रोका जा सके। निजी स्कूल प्रकाशकों के साथ मिलकर कमीशन के चक्कर में अलग अलग किताबों को हर साल पाठ्यक्रम में बदल देते हैं। प्रकाशक मनमाने दर पर किताबों पर प्रिंट रेट दर्ज कर कॉपी किताब के दुकानदारों को सेट सप्लाई करता है। इस पूरे खेल में करोड़ों रुपए का कमीशन हवाला के माध्यम से निजी स्कूल तक पहुँचता है।
हवाला के जरिए पैसे पहुँचाने की जानकारी मिली
जिला प्रशासन के समक्ष इस बात की भी जानकारियां आई है कि शिक्षा माफिया के पूरे सिंडिकेट में कमीशन के रूप में करोड़ों रुपए का पैसा हवाला कारोबारी के माध्यम से निजी स्कूलों तक पहुँचाया जाता है। विशेष कर कुछ ऐसे मिशनरी स्कूल हंै जहाँ पर यह गोरखधंधा जमकर हो रहा है। सूत्रों के अनुसार यह राशि लाखों रुपए से शुरू होकर करोड़ों रुपए तक जाती है जिसे हवाले का काम करने वाले लोगों के माध्यम से इधर से उधर पहुंचाया जाता है। यह सभी बातें कलेक्टर के संज्ञान में भी आई हैं, इन बिंदुओं पर भी जाँच को आगे बढ़ाया जा रहा है और साक्ष्य मिलते ही बड़ी कार्रवाई संभावित है।
अभी तक 75 स्कूलों की पहुँची शिकायत
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शिक्षा माफिया की कमर तोडऩे के लिए अपना व्हाट्सएप नंबर जारी कर अभिभावकों से सीधे तौर पर शिकायतें आमंत्रित की थी। इसका सीधा लाभ यह हुआ कि जो जानकारियाँ कई बार निचले स्तर पर छिपा ली जाती थीं वे सभी सीधे कलेक्टर तक पहुँची। इन बिंदुओं पर जब जाँच शुरू की गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए, फर्जी किताबें, मनमाने दाम प्रिंट रेट, एक ही किताब की अलग-अलग कीमत, यूनिफॉर्म स्टेशनरी के सामान के नाम पर खुले आम मची लूट के मामले सामने आए हंै। कुछ स्कूलों द्वारा मनमर्जी से बढ़ाई गई फीस के मामलों की कलेक्टर तक शिकायतें पहुँची। अभी तक शहर के बड़े छोटे मिलाकर कुल 75 स्कूलों के खिलाफ शिकायत आई है जिन पर कलेक्टर के निर्देश पर कार्यवाही शुरू हुई है।