जबलपुर (जयलोक) अवैध कालोनियों को बसाने का गोरखधंधा पूरे प्रदेश में लंबे समय से जमकर फल फूल रहा है। ज्यादातर अवैध कॉलोनियां खेतों में बनाई गई हैं। जहाँ खेत में ही प्लाटिंग करके लोगों को प्लाट बेच दिए जाते हैं और इन भूखंडों पर लोग बिना मंजूरी के ही अपने मकान भी बना लेते हैं। इससे एक ओर नगरीय निकाय को आर्थिक नुकसान होता है वहीं इन नगरीय निकाय पर अवैध कालोनियों के विकास के लिए दबाव भी बनाया जाता है। अवैध कॉलोनियाँ बसाने का गोरखधंधा कालोनाइजर लंबे समय से करते आ रहे हैं। अवैध कालोनियाँ बसाने और इन अवैध कॉलोनियों को वैध करने का काम भी साथ-साथ चलता आ रहा है। लेकिन कॉलोनी को वैध करने की रफ्तार बहुत धीमी होती है।
अब प्रदेश की सरकार पूरे प्रदेश में अवैध कालोनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के कदम उठाने जा रही है। सबसे बड़ी कार्यवाही यह होगी कि अवैध कॉलोनाइजरों को अब जेल जाना होगा। वहीं कॉलोनाइजर की संपत्तियाँ भी जप्त होंगी और उनके बैंक खातों को भी सीज करने की कार्रवाई साथ-साथ की जाएगी। प्रदेश सरकार अवैध कॉलोनी के निर्माण पर रोक लगाने के लिए इस तरह के नियम और सख्त करने जा रही है।
मध्य प्रदेश नगर पालिका कॉलोनी विकास नियम में वर्ष 1998 से ही यह प्रावधान है कि जिले के कलेक्टर और नगर निगम के आयुक्त अवैध कालोनाइजरों के खिलाफ कार्यवाही कर उनको जेल भी भेज सकते हैं। लेकिन इस प्रावधान का अभी तक कहीं उपयोग होता नहीं दिखाई दिया है। पुलिस को भी यह अधिकार मिले हैं कि वह अनधिकृत कॉलोनी बनाने वाले कॉलोनाइजर को बिना किसी पूछताछ के गिरफ्तार भी कर सकती है। लेकिन पुलिस ने भी अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया है।
बदले जायेंगे नियम
अब लोकसभा के चुनाव के बाद प्रदेश की डॉ. मोहन यादव की सरकार नियमों में बदलाव कर कॉलोनियों के विकास के लिए एक नई अधिसूचना जारी करने जा रही है। इस अधिसूचना को जारी करने की तैयारी कर ली गई है। अब यह प्रावधान किया जाएगा की मूलभूत सुविधाओं से जो अवैध कालोनियां वंचित है ऐसी अवैध कालोनियों को सबसे पहले सरकार अधिग्रहित करेगी और यहाँ जो खाली प्लाट रहेंगे उनका विक्रय भी सरकार द्वारा किया जाएगा और भूखंडों से मिलने वाली राशि से विकास का कार्य कराया जाएगा। ऐसी कॉलोनीयों का सर्वेक्षण भी सरकार के स्तर पर कराया जा रहा है। अभी पूरे प्रदेश में करीब 3000 से अधिक अवैध कालोनियां बसी हुई हैं इन अवैध कॉलोनी से नगरीय निकायों को राजस्व की हानि भी हो रही है। सर्वाधिक अवैध कालोनियां शहरी क्षेत्र की जगह ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा बन रही हैं।
अवैध कॉलोनी के खिलाफ कार्रवाही के लिए हाईकोर्ट को निर्देश देना पड़ा
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिए है कि निजी जमीन पर अवैध कॉलोनी निर्माण की शिकायत पर विचार कर उचित निर्णय पारित करें। जस्टिस शील नागू व जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की खंडपीठ ने इसके लिए 30 दिनों की मोहलत दी है। जबलपुर निवासी जगदीश प्रसाद केवट की ओर से अधिवक्ता केके पांडे, कौशलेश पांडे व सिद्धार्थ पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि बिल्डर अशोक साहू, मयंक निगम, मनीष निगम, रवि भाटिया, जसवीर भाटिया द्वारा जमीन पर अवैध कॉलोनी बनाई जा रही है। पूर्व में अवैध कॉलोनी को वैधानिक करने के लिए राज्य शासन द्वारा नगर निगम एक्ट में धारा 15 ए जोडक़र अवैध कॉलोनी को वैधानिक कर दिया था।
