यदि आपको जुआ खेलने और खिलवाने का शौक है लेकिन पुलिस की छापामारी के डर से आप ना तो जुआ खेल रहे हैं और ना खिलाकर नाल काट पा रहे हैं तो अब चिंता की कोई बात नहीं है। अपने नए एसपी साहब ‘संपत उपाध्याय’ जी ने आप सबको अभयदान दे दिया है उनका साफ कहना है कि जुआ खिलाना है तो किसी भी नदी, नहर, तालाब, कुएं के पास बैठकर खेलो और खिलाओ पुलिस वाले आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे और अगर आसपास ये सब चीजें नहीं है तो किसी भी अपार्टमेंट की तीसरी चौथी मंजिल पर जुए की फड़ जमा लो, बिंदास खेलो। ना पुलिस का डर, न पकड़े जाने की झंझट, लोग बात पूछेंगे कि ऐसा कैसे हो गया तो हुजूर हम बताएं देते हैं अपने नए एसपी साहब ने एक आदेश निकाला जो तमाम थाना प्रभारियों के लिए था, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी नदी, तालाब, कुआं,बावली के आसपास यदि जुआ चल रहा हो तो वहां पुलिस छापामारी ना करें, ऐसा ही अगर किसी अपार्टमेंट की तीसरी चौथी मंजिल पर फड़ जमा हुआ है तो वहां भी पुलिस नीचे यानी ग्राउंड फ्लोर से जुआरियों को चेतावनी दे कि जुआ खेलना बंद कर दो नीचे पुलिस आ चुकी है लेकिन पुलिस को ऊपर नहीं जाना है इसका मतलब साफ है कि पुलिस जुआरियों से भय खाने लगी है कि ऐसा ना हो की छापामारी करें और कोई जुआरी नदी में कूद जाए नहर में डूब जाए। या तीसरी चौथी मंजिल से कूद पड़े। बाद में फिर विभागीय जांच हो पुलिस लफड़े में पड़े इससे अच्छा है कि भैया इन जुआरियों को बस अपनी उपस्थिति का अहसास भर करवाते चलो। ना उनको पकड़ो ना उनसे कुछ बोलो। एसपी साहब ने तो पूरे ग्यारह दिनों का टाइम भी दे दिया है दीपावली से लेकर जो ग्यारस तक जिस जिसको जुआ खेलना है और खिलाना है वह अपना फड़ इन जगहों पर जमा ले, लाखों करोड़ों का जुआ खेले पुलिस चूं चपाट नहीं करेगी, अब आदेश तो जारी हो गया था सो ये आदेश वायरल भी हो गया, पूरे मध्य प्रदेश में अपने एसपी साहब की जग हंसाई हो गई कि ये कौन से तरीके का आदेश है जब जग हंसाई ज्यादा होने लगी तो आनन फानन में एक नया संशोधित आदेश निकाला गया और गलती का ठीकरा ड्राफ्टिंग करने वाले के सिर पर पटक दिया गया, लेकिन हुजूर भूल गए कि ड्राफ्ट किसी ने भी किया हो दस्तखत तो आप ही के हैं यानी थानेदार भी समझ रहे हैं कि एसपी साहब का आदेश है। वैसे जुआ खेलना कोई आज का शौक तो है नहीं, राजा महाराजा जुआ खेलते आए हैं महाभारत तो इसी जुए के चक्कर में हुआ था और फिर यदि कोई मन बहलाने के लिए जुआ खेल भी रहा है, अपने पैसे लगा रहा है किसी से छीन तो नहीं रहा है, किस्मत के दम पर जीत रहा है तो फिर पुलिस का उससे क्या लेना देना, शायद यही बुद्ध ज्ञान अपने उपाध्याय जी को हो गया होगा इसलिए उन्होंने ऐसा आदेश निकाल दिया इस चक्कर में सारे जुआरी ऐसी जगह ढूंढने में लग गए हैं जहां आसपास तालाब हो, नदी हो, बावली हो, नहर हो क्योंकि उन्हें मालूम है कि इस तरफ आने की हिम्मत पुलिस की नहीं होगी इसलिए बेहतरीन फड़ जमे हुए हैं खुद भी खेल रहे हैं और दूसरों को भी खिला रहे हैं इधर दूसरे जिलों के तमाम जुआरी सरकार से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि ऐसे एसपी हमारे जिले में भी भेज दो, अब उनकी सुनवाई सरकार करती है कि नहीं करती यह अलग मुद्दा है लेकिन एसपी साहब की मांग बहुत जबरदस्त हो चुकी है।
फिर काहे का कर्ज
चुनाव के दौरान तमाम प्रत्याशियों को अपनी अपनी दौलत की जानकारी देना पड़ती है अपन पिछले कई चुनावों से इन लोगों की दौलत की जानकारी देख रहे हैं। हर नेता हर उम्मीदवार जो चुनाव में खड़ा हो रहा है उसकी संपत्ति करोड़ों में है, और वैसे भी आजकल गरीब गुरबा चुनाव लड़ भी नहीं सकता जो भी चुनाव लड़ेगा करोड़पति तो उसको होना ही होगा, लेकिन एक बात आज तक समझ में नहीं आई कि भैया जब आप करोड़पति हो तो ये दो-चार लाख का कर्ज आपके ऊपर कहां से हो गया, किसी के ऊपर पांच लाख का बैंक का कर्जा है तो किसी पर दस लाख का, किसी ने अपनी बीवी से कर्जा ले रखा है तो कोई प्राइवेट बैंक से लोन लेकर बैठा है यानी अधिकतर प्रत्याशियों के सिर पर कर्ज भी है पर इतना माल जब जेब में है तो फिर काहे को कर्ज ले रहे हो। लगता है इसमें भी कोई पेंच है, वैसे आजकल कर्ज लेना कोई बड़ी चीज नहीं है, हर आदमी लोन लिए पड़ा है और हर महीने ई एमआई दे रहा है गाड़ी, घोड़ा, फ्रिज, टीवी, मोबाइल, फर्नीचर, मकान ऐसी कौन सी चीज है जिसका कर्ज आदमी के सर पर नहीं है और फिर कर्ज देने वाले भी तो तैयार बैठे हैं। आप एक फोन कर तो लो कि साहब आपके कर्ज की क्या शर्तें हैं जब तक आपकी जेब में कर्ज का रुपया डाल नहीं देंगे तब तक आपको चैन से नहीं बैठने देंगे, सुबह, शाम, दोपहर, रात फोन कर कर के हलाकान कर देंगे और अंत में आदमी सोचेगा भैया कर्ज ले ही लो वरना ये जीने नहीं देंगे, लेकिन इन उम्मीदवारों को जरूर अपने मतदाताओं को बताना चाहिए कि उन्होंने किस चीज के लिए कर्ज ले रखा है और करोड़पति होने के बाद भी दो-चार लाख का कर्ज वे क्यों नहीं चुका पा रहे हैं बड़ा रहस्य है इस बात को लेकर।
कहां नहीं है शार्क
प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने पिछले दिनों अफसरों की एक मीटिंग ली इस मीटिंग में तमाम विभागों के बड़े-बड़े अफसरों को बुलाया गया था इस दौरान महिला बाल विकास से जुड़े पोषण आहार में हो रहेगा घपले बाजी को लेकर जैन साहब ने उस डिपार्टमेंट के अफसर से कहा कि आपको पता है कि आपके यहां ‘शार्क’ बैठे हैं आप काम कर रहे हैं और पैसा इनकी जेब में जा रहा है ,वैसे जैन साहब ने कोई नई बात तो कहीं नहीं है ऐसा कौन सा डिपार्टमेंट है जहां शार्क नहीं है जिस भी डिपार्टमेंट में ठेके में काम चलता है वहां ठेकेदारों और काम करवाने वाले जिम्मेदारों की मिली भगत से सारा माल उनके ही बीच में बंट जाता है काम जैसा होना चाहिए वैसा तो होता नहीं क्योंकि जैसे दूध में से पूरी मलाई निकाल लो तो छाछ ही बचता है यही हाल इनका है जनता के हिस्से में तो छाछ ही आती है, मलाई दूध तो वहां बैठे मगरमच्छ और शार्क पी जाती हैं किसी भी विभाग में चले जाइए, बिना माल खर्च किए आपका आवेदन एक इंच भी नहीं खिसक सकता और फिर जैसे ही आप गांधी जी की फोटो वाला नोट आवेदन पर रख आते हैं आवेदन में जैसे पंख लग जाते हैं अब देखना ये है कि जैन साहब की बात का असर कितना होता है वैसे उम्मीद अपने को कम ही लगती है।
सुपरहिट ऑफ द वीक
श्रीमान जी सारी रात गायब रहने के बाद जब सुबह घर पहुंचे तो दरवाजे पर ही श्रीमती जी खड़ी मिली और गुस्से में बोली
‘सारी रात गायब रहने के बाद अब सुबह घर क्या करने आए हो’
‘डार्लिंग नाश्ता करने’ श्रीमान जी का उत्तर था।