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दास्तान सुनाने की यह कला विलुप्त सी हो रही है, इस कला से बच्चों को अवगत करवाया

जश्न-ए-दास्तान कार्यक्रम का सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल में सफल आयोजन

जबलपुर (जय लोक)। नीले आसमान में चमकते हुए शुभ्र-धवल कार्तिक पूर्णिमा के चांद की सुरमई किरणों की आभा के आंचल में, लंबे-लंबे वृक्षों के आवरण के बीच, सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल के  सुरम्य प्राकृतिक प्रांगण में चिल्ड्रंस डे का आयोजन किया गया।बचपन की नटखट शरारतों,किस्सों, कहानियों के माध्यम की जीवंतता को जीवित रखते हुए,रंगमंच की दुनिया से कहानी और किस्से सुनाने की अदभुत कला दास्तानगोई का प्रस्तुतिकरण हुआ। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों, विद्यालय छात्र परिषद के पदाधिकारियों व उनके परिजन एवं सम्माननीय मुख्य अतिथिगणों की विशिष्ट उपस्थिति में इस कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम में विद्यालय के मुख्य अध्यक्ष श्री अनिल ग्रोवर, डायरेक्टर सुश्री तरंग ग्रोवर मुख्य रूप से उपस्थित रहे जिन्होंने हमेशा भारतीय संस्कृति एवं शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार करने का सतत प्रयास किया है। कार्यक्रम प्रारंभ के अपने उदबोधन में सुश्री तरंग ग्रोवर ने विद्यालय के विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ उनकी जड़ों को भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ जोडऩे की बात पर  बल दिया। देश के प्रसिद्ध दास्तानगो नुसरत अंसारी व पूनम गिरधानी के द्वारा दास्तां ए चौबोली को प्रस्तुत किया गया। दास्तान सुनाने की यह कला विलुप्त सी हो रही थी परंतु पिछले 20 दशक से इसे पुन: जीवित करने का प्रयास रंग मंच के दूरदर्शी कलाकार मोहम्मद फारुकी के द्वारा किया गया। इसे एक नए माहौल में बड़े खूबसूरत लहजे में इस कदर पेश किया गया कि दर्शक वाह-वाही के साथ सुनते चले गए। महान कलाकार लेखक पेशेवर दास्तानगों फारूखी जी, राणा प्रताप सेंगर, राजेश कुमार जी दिल्ली एवं मुंबई से कार्यक्रम में पधारे एवं अपने अनुभवों को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। इन सभी के किस्से- कहानियां को सुनकर सभी दर्शक मंत्र- मुग्ध हो गए। यह कार्यक्रम जबलपुर के विवेचना रंग मंडल के सहयोग से प्रस्तुत किया गया था।जिसमें विवेचना ग्रुप के मुख्य अध्यक्ष नवीन चौबे एवं सचिव  आशुतोष द्विवेदीने भी अपनी मुख्य भूमिका प्रस्तुत की। भारतीय संस्कृति में रचे बसे इस कार्यक्रम की प्रस्तुति ने सभी दर्शकों को कला मर्मज्ञता की पराकाष्ठा पर पहुंचा दिया। इस विद्या के प्रस्तुतीकरण के माध्यम से सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल ने सभी दर्शकों, विद्यार्थियों, उपस्थित लोगों के बीच इस विलुप्त कला की जीवंतता को पुन: स्थापित करने का अनोखा व सराहनीय प्रयास किया है। जिसे आने वाले समय में लोग वर्षों तक याद रखेंगे।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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