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एक सीट जहाँ चुनाव के पहले ही तीसरी बार बदला गया प्रत्याशी

फिर से परिवार के सदस्य को दिया मौका

नई दिल्ली (एजेंसी/जयलोक)
बदायूं लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने 68 दिन में तीसरी बार उम्मीदवार बदला है। हालांकि टिकट अखिलेश ने अपने ही परिवार के सदस्य को दिया गया है। सपा अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बदायूं में टिकट बदलने की सहमति दे दी है। अब वहां से पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के बजाय उनके पुत्र आदित्य यादव चुनाव मैदान में है।
बता दें कि सपा की पहली सूची 30 जनवरी को जारी हुई थी, इसमें मैनपुरी से डिंपल यादव और बदायूं से धर्मेंद्र यादव का नाम शामिल था, लेकिन 22 फरवरी को जारी दूसरी सूची में धर्मेंद्र का टिकट काटकर चाचा शिवपाल को बदायूं से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।
टिकट मिलने के बाद शिवपाल ने बेटे आदित्य के साथ बदायूं आकर चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया, लेकिन उनका यह चुनावी अभियान बेटे के पक्ष में माहौल बनाने का उपक्रम मात्र था। बताते हैं कि शिवपाल दिल्ली की राजनीति में ज्यादा इच्छुक नहीं हैं।
इतना ही नहीं शिवपाल अपने बेटे को भी राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। इसकारण फिर बदायूं में प्रत्याशी बदल दिया गया है। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भी बदायूं से आदित्य यादव को प्रत्याशी बनाए जाने की पुष्टि की।
याद रहे कि सपा महासचिव शिवपाल ने अहमदगंज में आयोजित चुनावी सभा में अपनी जगह आदित्य यादव के चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया। हालांकि सपा मुख्यालय से आदित्य के नाम पर मुहर लगना बाकी है, लेकिन आदित्य प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
इसके पहले सभाओं में उम्मीदवार के रूप में शिवपाल सिंह यादव का ही नाम लिया जाता था, लेकिन शिवपाल के एलान के बाद अब पार्टी नेता आदित्य यादव को ही उम्मीदवार मानकर वोट मांग रहे हैं। युवाओं को सपा आकर्षित कर रही है, वहीं भाजपा इस लेकर सियासी वार करने से नहीं चूक रही है।
सपा के बार-बार प्रत्याशी बदलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदायूं क्लब में आयोजित प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में तंज कसा था। योगी ने कहा था कि सपा के उम्मीदवार मैदान छोडक़र भाग रहे हैं। एक भाग चुके हैं और दूसरे भागने की तैयारी कर रहे हैं। सीएम जाने के बाद अगले दिन भाजपा उम्मीदवार दुर्विजय सिंह ने कहा था कि हार निश्चित होने की वजह से शिवपाल मैदान छोडक़र भाग रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार सिंह ने कहा, जब शिवपाल को कहीं बैठने के लिए जगह नहीं मिली, तब खुद को हार से बचाने के लिए बेटे को मैदान में उतारा है। पर अभी बेटे का भी चुनाव लडऩा निश्चित नहीं है। दुर्विजय ने कहा, मैंने उन्हें गुंडों का सरदार बताया था, तब उन्होंने मुझे अपना चेला बता दिया। इस पर मैं यही कहूंगा कि मैंने उनके शासनकाल में जो हुआ उसके आधार पर उन्हें गुंडों का सरदार बताया था, लेकिन मेरा उनसे दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है। जहां तक सवाल सांसद संघमित्रा मौर्य का है, तब सपा को उनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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