एमआईसी सदस्य के लिए भी सक्रिय हुए भाजपा के पार्षद
जबलपुर (जयलोक)। पिछले 24 घंटे में संस्कारधानी से लेकर राजधानी तक जो राजनीतिक समीकरण बदले हैं उसके बाद इसका सर्वाधिक प्रभाव नगर निगम में नजर आ रहा है। अभी तक जो मेयर इन काउंसिल के सदस्य थे वह नेता प्रतिपक्ष बनने की जुगाड़ में लग गए हैं। वहीं भाजपा के जो सामान्य रूप से पार्षद थे वह भी एमआईसी में शामिल होने के लिए सक्रिय हो गए हैं। नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए एमआईसी सदस्य रहे अमरीश मिश्रा, दो बार के पार्षद संतोष पंडा एवं प्रखर वक्ता के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले पार्षद अयोध्या तिवारी के नाम सर्वाधिक चर्चा में हैं।
एमआईसी सदस्य की नियुक्ति के बारे में कोई भी भाजपा पार्षद खुलकर कहने के लिए सामने नहीं आता है क्योंकि भाजपा में संगठन के स्तर पर ही निर्णय की बात कही जाती है। इसलिए जो भी लॉबिंग एमआईसी में शामिल होने की जा रही है वह पर्दे के पीछे ही की जा रही है। नेता प्रतिपक्ष के पद पर अभी तक कमलेश अग्रवाल पदस्थ थे। अब उनकी जगह कांग्रेस का कोई पार्षद यह पद संभालेगा। अमरीश मिश्रा 1997 से छात्र राजनीति करते आ रहे हैं एनएसयूआई, युवा कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रहते हुए आगे चलकर तीन पार्षद के कार्यकाल देख चुके हैं। एक कार्यकाल में उनकी पत्नी भी पार्षद बनी थीं। राजनीतिक आंदोलन में अभी तक 35 मामले अमरीश मिश्रा पर दर्ज हो चुके हैं। 42 साल की उम्र में अब वह नेता प्रतिपक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं।
नगर निगम के एक्ट, उसके प्रावधान, उसकी नियमावली, कानून के बारे में कुछ ही पार्षद ऐसे हैं जो अच्छा ज्ञान रखते हैं। उनमें से एक नाम अयोध्या तिवारी का है। अयोध्या तिवारी कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता भी हैं और उप सभापति के पद पर भी हैं। सदन में मुखरता से अपनी बात रखने और नियम संगत तर्क देने के लिए वे अपनी अलग पहचान रखते हैं।
कांगे्रस के पार्षद संतोष दुबे पंडा 25 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। वह दूसरी बार के पार्षद हंै। पूर्व में रानीताल क्षेत्र के विकास के लिए किए गए राजनीतिक आंदोलन के बाद वे सबसे ज्यादा चर्चा में आए थे। वर्तमान में सक्रियता के साथ सदन में अपने दल का पक्ष रखते हैं। वह भी नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं।
किस्मत का खेल, लक्ष्मी मां ने घुमाई नज़रें
नगर निगम में चाहे सत्ता जिसकी भी हो एमआईसी में रहने वाले सदस्यों को ना चाहते हुए भी सामान्य प्रक्रिया के तहत मलाई खाने के लिए मिल जाती है। विशेष कर स्वास्थ्य विभाग, बाजार विभाग, जल विभाग, पीडब्ल्यूडी विभाग सहित ऐसे अन्य विभाग हैं जहां अधिकारियों से लेकर ठेकेदारों तक की परंपरागत लेनदेन की व्यवस्था और भ्रष्टाचार निरंतर चला आ रहा है। इस प्रक्रिया में एमआईसी सदस्य खुदबा खुद इस व्यवस्था का हिस्सा बन जाते हैं। यानी साफ शब्दों में यह है कि लक्ष्मी मां की नजर भी अब घटनाक्रम बदलने से कांग्रेस के पार्षदों से हटकर भाजपा के पार्षदों पर जा रही है। हाल ही में हुआ हाजिरी घोटाला नगर निगम आयुक्त ने पकड़ा और ठेकेदारों पर बड़ा जुर्माना लगाया। इसके बाद बहुत सारी बातें सामने आईं जिनमें लाखों रुपए के लेनदेन के आरोप प्रत्यारोप भी सामने आए। नई एमआईसी के नए सदस्य इस व्यवस्था का हिस्सा बनने से बचेंगे या परंपराओं का ही निर्वहन किया जाएगा यह अगले कुछ महीनो में ही स्पष्ट हो जाएगा।
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