जबलपुर (जयलोक) @परितोष वर्मा। भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में भाजपा के ढ़ाई दशक पुराने नेता पं. आशीष दुबे को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया है। आशीष केवल लोकसभा के उम्मीदवार ही नहीं बने बल्कि टिकिट घोषणा होने के तत्काल बाद से कई लोगों के खास रिश्तेदार… और कई लोगों के बेहद करीबी मित्र-भाई भी बन गए हैं। जिस प्रकार से सार्वजनिक रूप से लोग दावे पेश कर रहे हैं उसके अनुसार तो आशीष दुबे का ब्राह्मण समाज के अलावा भी अन्य समाज में रिश्तेदारी का घना जाल नजर आ रहा है। अब इन दावों में कितनी सच्चाई है, यह तो प्रत्याशी बनाए गए आशीष दुबे या फिर उन्हें अपना रिश्तेदार और खासम-खास बताने वाले लोग ही जानते हैं। इस बीच ऐसे दावेदार भी सामने आ गए जो शायद ही कभी प्रत्यक्ष रूप से लोकसभा के चुनाव प्रत्याशी बनाए गए आशीष दुबे से मिले हों या उनसे कोई संबंध हो लेकिन फिर भी बड़ी-बड़ी डींगे हांककर लोग उन्हें अपना खास बताने की शुरूआत उनके उम्मीदवार घोषित होते ही कर दी।
बहुत से लोग आगामी चुनाव तक इस कदर भाजपा प्रत्याशी के साथ जुड़ जाएंगे, जैसे मानो वह संघर्ष के बहुत पुराने साथी हैं और कई सालों से साथ हों। वर्तमान में चल रही मोदी लहर और निराशाजनक स्थिति में पहुँच चुकी कांग्रेस को देखकर जबलपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी को हराने का अनुमान कोई नहीं लगा रहा है। लेकिन राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है, और पासा पलटने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। जितने भी वरिष्ठ और घाघ राजनेता हैं वह यही मानते हैं कि चुनाव चाहे सरपंच का हो, चाहे संसद का पूरी शिद्दत, ईमानदारी, ताकत और सब को साथ लेकर लडऩा चाहिए।
हालांकि भाजपा प्रत्याशी बनाए गए आशीष दुबे पूर्व में भी संगठन के कई महत्वपूर्ण अभियानों में शामिल रहे हैं और उन्हें कई चुनाव प्रबंधन का भी तजुर्बा है। ऐसी स्थिति में उन्हें ऐसे लोगों से सतर्क भी रहना होगा जो न जाने किस उद्देश्य से अपना नाम उनके नाम के साथ जोडक़र लाभ उठाने के मंसूबे अभी से पाल रहे हैं। यह बात भी सत्य है कि अपने चार परिचित लोगों के समक्ष ऐसे दावे करने वाले लोग अधिकांश हवाबाज ही निकलते हैं।
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