जबलपुर (जयलोक)। लोकसभा के पहले चरण में जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में कम मतदान होने को लेकर सबसे ज्यादा बेचैनी भारतीय जनता पार्टी के भीतर हो रही है। भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व तथा खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार के चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए देश व्यापी अभियान भी चलवाया था। इस अभियान में हर पोलिंग बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का आव्हान किया गया था। ताकि भाजपा को 370 सीटें मिल सकें। जबलपुर में भी हर पोलिंग बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का काम भाजपा के शहरी तथा ग्रामीण संगठन को करना था। लेकिन हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का काम धरा रह गया। इसी का नतीजा है कि मतदान प्रतिशत बढऩे के बजाय घट गया।
चुनाव के पूर्व जबलपुर में पन्ना प्रभारी, त्रिदेव, शक्ती केन्द्र संयोजक, मंडल अध्यक्ष को उनके लक्ष्य दिये गये थे। उनके प्रशिक्षण के लिये स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जबलपुर आए थे। केबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से लेकर आधा दर्जन केन्द्रीय और प्रादेशिक मंत्रियों ने कई बार कार्यकर्ताओं की बैठकें भी की थी। लेकिन जबलपुर में मतदान के आंकड़ों ने भाजपा के तय लक्ष्य को छुआ भी नहीं। जिससे अर्श से फर्श तक के पार्टी पदाधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है।
भारतीय जनता पार्टी कम मतदान को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रही है। पन्ना प्रभारी से लेकर मंडल अध्यक्ष और पार्षद व विधायकों की भूमिका और जिम्मेदारी तय होगी। यहां उल्लेखनीय है कि जबलपुर जिलें में भाजपा के 7 विधायक हैं। जबकि नगर निगम सीमा में उनके 38 पार्षद हैं, इसी तरह जिला पंचायत और नगर पंचायतों में भी भाजपा का ही कब्जा हैं।
बढऩे के बजाए घट गई
19 अप्रैल को हुये मतदान में जबलपुर में 61 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो पिछले चुनाव में 70 फीसदी के करीब मतदान हुआ। यहां यह बात भी ध्यान में रखने की है कि 2019 की तुलना में इस बार 1 लाख से अधिक मतदाता बढ़े थे। इस हिसाब से मतदान कम से कम 75 फीसदी होना था। लेकिन आंकड़ा मुश्किल से 61 प्रतिशत का तक पहुंचा।
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