जबलपुर (जयलोक)
शहर में शिक्षा माफिया किस कदर हावी है इसके रोज नए प्रमाण सामने आ रहे हैं। जिला प्रशासन के समक्ष आई शिकायतों के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि प्रकाशकों, निजी स्कूलों और पुस्तक विके्रताओं के बीच की मिली भगत एक सिंडिकेट के रूप में काम कर रही है और यह सिर्फ अभिभावकों को जमकर लूट रहे हैं। कॉपी किताब के दामों में मनमानी, यूनिफॉर्म के दामों में मनमानी, स्टेशनरी के सामान में मनमानी और मनमर्जी के रेट पर अभिभावक दबाव में सब सामान खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
जिला प्रशासन के समक्ष इस सिंडिकेट में शामिल कुछ पुस्तक विके्रताओं के क्रियाकलापों का पूरा कच्चा चि_ा सामने आ चुका है। कलेक्टर दीपक सक्सेना की प्राथमिकता यह है कि दोषियों को दंड देने का काम दूसरे नंबर पर किया जाएगा, पहले इस सिंडिकेट को तोडक़र एक स्वच्छ और निष्पक्ष व्यवस्था स्थापित करना जरूरी है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर कैसे कागज की कॉपी किताबों का व्यापार करने वालों ने इतनी काली कमाई अर्जित कर ली कि उन्होंने शहर के कई हिस्सों में कांक्रीट की ऊंची-ऊंची संपत्तियाँ खड़ी कर ली है। इस कालाबाजारी से कमाई गई संपत्ति की जाँच कर कार्यवाही की माँग जोर पकड़ते जा रही है।
करोड़ों रुपए का हवाला हुआ
यह बात जिला प्रशासन के समक्ष भी आ चुकी है कि निजी स्कूलों और कुछ प्रकाशकों की किताबों को जबरदस्ती पाठ्यक्रम में शामिल कर उसे चुनिंदा किताब विके्रताओं के माध्यम से बिकवाने के खेल में करोड़ों रुपए का हवाला कारोबार भी हुआ है। ऐसे करोड़ों के हवाला कारोबार की जानकारी जब सामने आ रही है तो निश्चित रूप से जीएसटी, इनकम टैक्स में हेराफेरी करके शासन को भी लाखों करोड़ों का चूना लगाया गया है। ऐसे षड्यंत्रकारी हवाला मुनाफाखोर पुस्तक विके्रताओं की काली कमाई की जाँच जीएसटी और इनकम टैक्स एवं ईडी को करना चाहिए ताकि शासन को नुकसान पहुँचाने के वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।
ईडी को की शिकायत
पुस्तक विके्रताओं, यूनिफॉर्म विके्रताओं, निजी स्कूलों कि मिली भगत से संचालित हो रहा यह पूरा सिंडिकेट लाखों करोड़ों रुपए की काली कमाई कर रहा है। नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉक्टर पीडी नाजपाण्डे ने इसकी शिकायत एनफोर्समेंट डायरेक्टर भोपाल को ईमेल के माध्यम से कर दी है। पूरे प्रदेश में यही हाल है। शिक्षा माफिया के रूप में काम कर रहे सिंडिकेट जमकर अभिभावकों को लूट कर काली कमाई करने में लगा है और शासन को भी करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है।
तीन दुकानदार सबसे ज्यादा बदनाम
शहर के तीन ऐसे दुकानदार हैं जो कॉपी किताब पुस्तक के व्यापार में कई दशकों से कार्य कर रहे हैं और इन्होंने ही निजी स्कूलों के साथ मिली भगत कर इस अवैध कारोबार की शुरुआत की। बाद में प्रकाशकों को भी इस सिंडीकेट में शामिल कर लिया गया। इसके बाद पूरी रूपरेखा तैयार की गई कि कैसे पूर्व से निर्धारित प्रकाशकों की पुस्तक ही संबंधित स्कूलों में लागू करने का दबाव बनाया जाएगा। वह संबंधित पुस्तक केवल गिनी चुनी पुस्तक विके्रताओं की दुकानों पर ही उपलब्ध होगी और मनमाने दरों पर बेची जाएगी। इसके बदले में लाखों करोड़ों रुपए का कमीशन नगद देने के लिए हवाला कारोबारी का उपयोग किया जाएगा। यही तीन बदनाम दुकानदार प्रशासन के निशाने पर भी हैं और इन्हीं से संबंधित सर्वाधिक शिकायतें कलेक्टर के समक्ष पहुँची हैं।
इन तीनों दुकानदारों के ऊपर काली कमाई कर अकूत संपत्ति खड़े करने के आरोप और कई बिंदु भी सामने आए हैं। पूर्व में भी जिला प्रशासन इनके खिलाफ कार्यवाही कर चुका है हर शैक्षिक सत्र की शुरुआत में इनकी मोनोपॉली में अभिभावकों को लूटने का कार्य प्रारंभ हो जाता है। हर बार प्रशासन कार्यवाही करता है लेकिन उस समस्या की जड़ समाप्त नहीं होती। इस बार प्रशासन का पूरा जोर व्यवस्था को सुधारने में है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि दोषियों को बख्श दिया जाएगा।