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मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार होगी ठोस कार्यवाही : करोड़ों की लूट छिपाने 2 लाख का जुर्माना भर कर जाँच से बचना चाहते है कुछ स्कूल

जिला प्रशासन मिलीभगत खत्म कर बनाना चाहता है नई व्यवस्था, ताकि अभिभावकों को मिले राहत

जबलपुर (जय लोक)
पूरे प्रदेश में हावी शिक्षा माफिया के द्वारा की जा रही लूट खसोट को खत्म करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी जिले के कलेक्टरों को ठोस कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। कुछ जिलों में जाँच पड़ताल के बाद केवल जुर्माना लगाकर मामले को बंद कर दिया गया। जबकि कुछ स्थानों पर समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है और गफलतबाजी करने वाले कुछ निजी स्कूल, प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं की संगामिति से बने सिंडिकेट को तोडऩे का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। जबलपुर में भी अब कुछ निजी स्कूल यह प्रयास कर रहे हैं कि जिला प्रशासन ने जो कार्यवाही प्रारंभ की है वह आगे ना बढ़ पाए और उन पर जुर्माना लगाकर इस मामले को यहीं समाप्त कर दिया जाए। यह बात तो सर्वविदित है कि जब जाँच पड़ताल आगे बढ़ेगी तो परत दर परत कुछ निजी स्कूलों द्वारा की गई लूट खसोट और अलग-अलग बिंदुओं पर मनमर्जी से पैसे बढ़ाकर अभिभावकों को लूटने के कृत्य खुलते जाएंगे। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार जिला प्रशासन शिक्षा माफिया की इन करतूत को जड़ से समाप्त करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का स्पष्ट नजरिया है कि वे सभी पक्षों को सुनकर समस्या को जड़ से खत्म कर एक नई व्यवस्था बनाना चाहते हैं। सिर्फ स्कूलों की मान्यता रद्द कर देने से या लाख दो लाख रुपयों का जुर्माना लगाने से यह समस्या समाप्त नहीं होगी। ऐसा हुआ तो अगले साल फिर से ये सिंडिकेट बना कर अपने लूट के कृत्य चालू कर देंगे।
करोड़ों का कमीशन मिला है हवाले से
जाँच के दौरान जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस बात के भी पुख्ता संकेत प्राप्त हुए हैं कि प्रकाशकों और निजी पुस्तक विक्रेताओं को सिंडिकेट के रूप में शामिल करने के बदले कुछ निजी स्कूलों को लाखों करोड़ों रुपए कमीशन के रूप में प्राप्त हुए हैं। इस काली कमाई को नगदी के रूप में हवाला के माध्यम से निजी स्कूल के संचालकों और प्रबंधन तक पहुंचाने का कार्य किया गया है। इस बिंदु पर भी पुख्ता सबूत जुटाने का कार्य किया जा रहा है।
दब जाए फर्जी पुस्तक का मामला
शहर के कुछ निजी पुस्तक विक्रेताओं ने कालाबाजारी और फर्जीवाड़ी की सारी हदों को पार करते हुए फर्जी तरीके से नकली आईएसबीएन नंबर का उपयोग कर न सिर्फ जालसाजी कर अभिभावकों को लूटा है बल्कि शासन को भी धोखा देते हुए चूना लगाने का काम किया है। जीएसटी, इनकम टैक्स की खुलेआम चोरी की गई है। यह मामला गंभीर आपराधिक प्रवृत्ति का बन सकता है इसलिए इस मामले को दबाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
पुस्तक मेले की सफलता से घबरा गया शिक्षा माफिया
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एक नवाचार करते हुए पूरे प्रदेश में एक सकारात्मक नजीर प्रस्तुत की और लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के बीच में भी बच्चों और उनके अभिभावकों की परेशानियों को समझते हुए बहुत ही कम समय में प्रदेश में पहली बार पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। 6 दिवसीय यह पुस्तक मेला काफी हद तक सफल रहा और लोगों को काफी राहत मिली।  ईमानदारी से काम करने वाले निजी पुस्तक विक्रेताओं ने भी खुलकर प्रशासन का साथ दिया।  इसकी सफलता से शिक्षा माफिया की  छांव में पलने वाले काले चोरों को बड़ी दिक्कत हो गई है और वह इससे घबराए हुए हैं । उनको डर है कि अगर हर साल प्रशासन इस प्रकार पुस्तक मेले का आयोजन करेगा तो उनकी काली कमाई का जरिया बंद हो जाएगा।
क्यों बढ़ाई फीस देना होगा जवाब
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने चुनाव समाप्ति के बाद से निजी स्कूलों के संबंध में प्राप्त हुई शिकायतों पर कार्यवाही तेजी से प्रारंभ कर दी है। जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी के नेतृत्व में कलेक्टर के निर्देश पर  प्रथम चरण में अभी फीस वृद्धि के बिंदुओं पर जांच की जा रही है। फीस वृद्धि क्यों की गई ?  इसकी सूचना जिला समिति को दी गई की नहीं ? फीस वृद्धि का कारण उचित है या नहीं ? ऐसे कई बिंदुओं पर निजी स्कूलों में जाकर जांच की जा रही है और उनका पक्ष भी जाना जा रहा है।
लाखों-करोडों लूट चुके, अब रुकवाना चाहते है जाँच
जिला प्रशासन के द्वारा कार्यवाही प्रारंभ करने के बाद से कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसके अनुसार इस बात के पुख्ता संकेत मिले हैं कि शहर के कई निजी स्कूलों ने मनमानी करते हुए प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं से साठगांठ कर बच्चों के अभिभावकों पर दबाव निर्मित कर लाखों करोड़ों रुपए की काली कमाई कर ली है। अपने इन्हीं कृत्यों को छुपाने के लिए वह एक पांव से 2 लाख मात्र का जुर्माना भर कर इस मामले को खत्म करवाना चाहते हैं। क्योंकि नियम के अनुसार अगर एक बार जुर्माने की कार्रवाई हो गई तो वो जाँच भी वहीं समाप्त हो जाएगी।
खुली सुनवाई में खुल सकती है पोल
30 अप्रैल से जिला प्रशासन उन स्कूलों के संबंध मे कार्यवाही प्रारंभ कर खुली सुनवाई आयोजित कर रहा है जिनके बारे में काफी शिकायतें प्राप्त हुई हैं।  ऐसी स्थिति में यह तय है कि यह खुली सुनवाई कई स्कूलों की कारगुजारियों की पोल भी खोल देगी।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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