Download Our App

Home » अपराध » उप रजिस्ट्रार भरत सिंह ने स्टे की जानकारी होने के बावजूद भी बिल्डर के पक्ष में कर दी रजिस्ट्री लंबे घोटाले की आ रही बू, पुलिस की सही जाँच खोल सकती है बड़ा घोटाला

उप रजिस्ट्रार भरत सिंह ने स्टे की जानकारी होने के बावजूद भी बिल्डर के पक्ष में कर दी रजिस्ट्री लंबे घोटाले की आ रही बू, पुलिस की सही जाँच खोल सकती है बड़ा घोटाला

जबलपुर (जयलोक)
आखिर कैसे संभव है कि न्यायालय से जारी हुए किसी आदेश को कोई भी उप रजिस्ट्रार दरकिनार करते हुए स्थगन आदेश वाली भूमि की रजिस्ट्री किसी और बिल्डर को कर दे। हालांकि रजिस्ट्रार ऑफिस में हुई विवादित भूमि की रजिस्ट्री का कोई यह पहला मामला नहीं है। लेकिन आवेदक ने इस मामले में खुद के साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई। जाँच के बाद पुलिस ने भी एफआईआर दर्ज कर पाँच लोगों को आरोपी बनाया है। अब उप रजिस्ट्रार भरत सिंह, सर्विस प्रोवाइडर कमलेंदु शरण शुक्ला, भूमि क्रय करने वाले बिल्डर मेसर्स जय माँ एसोसिएट के शमन कुमार आसवानी और अशोक कुमार पारवानी के बारे में पुलिस अब उनकी भूमिका और उनकी मिली भगत के संबंध में लगाए गए आरोपों और दिए गए तथ्यों के संबंध में जाँच करेगी।
प्रथम दृष्टि में तो पुलिस अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि बिना मिली भगत के इतने बड़े तथ्य को छुपा कर, न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए यह कृत्य नहीं किया जा सकता।
शिकायतकर्ता जल्द ही इस मामले को लेकर न्यायालय में भी परिवाद प्रस्तुत करेंगे और रजिस्ट्री को शून्य घोषित करवाने का आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। पंजीयन कार्यालय में यह कोई पहला मामला नहीं है जब विवादित भूमि को लोभ लालच के चक्कर में गैर कानूनी ढंग से विक्रय कर दिया गया हो। पूर्व में भी ऐसे मामले हुए हैं जब विवादित भूमि की सूचना पंजीयन कार्यालय को दिए जाने के बावजूद भी बिना सच जाने न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण के बावजूद भी रजिस्ट्री कर दी गई। इसका खामियाजा यह हुआ के्रता-विके्रता के बीच के विवाद में एक और व्यक्ति अपनी जमा पूँजी दाँव में लगाकर उलझ गया और इंसाफ के लिए सालों भटकने के लिए मजबूर हो गया। ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं।
साइट विजिट के नाम पर अटकाने का खेल
जिले में पंजीयन केंद्र के नाम पर धनवंतरी नगर में स्थित पंजीयन केंद्र में चार उप रजिस्ट्रार पदस्थ हैं, इसी प्रकार कलेक्ट्रेट में 3 उप रजिस्ट्रार पदस्थ है। पाटन और सिहोरा में एक एक उप रजिस्टार पदस्थ है। सूत्रों के अनुसार जिन सर्विस प्रोवाइडर से साहब लोगों के अच्छे संबंध नहीं होते हैं उनके माध्यम से आने वाले प्रकरणों को साहब लोग अपना तीसरा नेत्र खोलकर और अतिरिक्त ध्यान से देखते हैं और कुछ नहीं पाया जाता तो अनाप शनाप टैक्स लगाने की, ड्यूटी लगाने की बात रख देते हैं। यहाँ भी दबाव नहीं बन पाता तो साइट विजिट के नाम पर रजिस्ट्री को लटका दिया जाता है। लेकिन जो रजिस्ट्री बड़े-बड़े बिल्डर, लेनदेन की कला में माहिर कमिशन बाज सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से, साहब लोगों के प्राइवेट दलालों के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है उनमें किसी को कोई कमी नजर नहीं आती। शायद इसी गलतफहमी का शिकार होकर एक साहब ने न्यायालय के स्टे के बावजूद भी विवादित भूमि की रजिस्ट्री कर दी।
शिकायतों पर संज्ञान लेंगे तो बहुत लोग धोखे से बच जाएंगे
जानकारों का कहना है कि जिस भूमि में विवाद की स्थिति निर्मित होती है और उसके निपटारे के लिए न्यायालय की शरण ली जाती है तो इसकी सूचना बहुत से लोग सुरक्षा की दृष्टि से जिला पंजीयन कार्यालय में भी देते हैं इसका उद्देश्य यह होता है कि जो विके्रता बयाना देकर या आधी से अधिक राशि देकर के्रता के जाल में फँस चुका है और क्रेता किसी और को फंसाने के लिए
जमीन बेचने की फिराक में है तो उसकी इस गैर कानूनी मंशा पर रोक लगाई जा सके। यह तभी संभव है जब जिला पंजीयन कार्यालय अपने अधिकारियों को प्राप्त होने वाली शिकायतों पर गंभीरता से संज्ञान लेना सिखाए। केवल राजस्व की भरपाई के लिए इस प्रकार के संपत्ति अपराधों को बढ़ावा देना उचित नहीं माना जा रहा है। शिकायतों पर न्यायालय में मामला विचाराधीन होने की जानकारी मिलने पर कम से कम पंजीयक को मामले की वस्तु स्थिति से अवगत होने के बाद ही विवादित भूमियों पर रजिस्ट्री का निर्णय लेना चाहिए। ऐसा होने से बहुत से लोग धोखे से बच जाएंगे।
कुछ नजराने में तो कुछ कमीशन पर कर रहे काम
सालों से उप पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री का काम करवा रहे लोगों का कहना है कि अब तो पहले जैसी स्थितियां नहीं रही हैं। यहाँ पर पदस्थ होने वाले साहब लोग या तो कमीशन पर काम करते हैं या फिर कुछ नजराने और व्यवहार कुशलता में कार्य कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार रजिस्ट्री की राशि से कमीशन निर्धारित होता है। जितने बड़े मूल्य की रजिस्ट्री होगी उतने अधिक कमीशन की चाहत मन में होगी। सर्विस प्रोवाइड कितना कमा रहा है और कितना अपने क्लाइंट से ले रहा है इस सब की जानकारी साहब लोग रखते हैं। यही खेल चल रहा है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED LATEST NEWS

Home » अपराध » उप रजिस्ट्रार भरत सिंह ने स्टे की जानकारी होने के बावजूद भी बिल्डर के पक्ष में कर दी रजिस्ट्री लंबे घोटाले की आ रही बू, पुलिस की सही जाँच खोल सकती है बड़ा घोटाला
best news portal development company in india

Top Headlines

2000 करोड़ पार कर सकता है महाकुंभ में राजस्व प्राप्ति का आंकड़ा, फूलों की 800 करोड़ और 4000 करोड़ डेयरी उत्पाद की ब्रिकी से

  45 दिन तक चलने वाला कुंभ देगा यूपी की अर्थव्यवस्था को बस्टूर डोज नई दिल्ली (एजेंसी/जयलोक)। भारतीय उद्योग परिसंघ

Live Cricket