अपने ही डॉक्टर और नर्सिंग होम के खिलाफ
एमपीएनएचए ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति
बिना बैठक के जारी हुई विज्ञप्ति, वरिष्ठ सदस्यों को जानकारी नहीं
जबलपुर जय लोक। एमपीएनएचए मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन ने एक विज्ञप्ति जारी अपने से संबंधित डॉक्टर, अस्पतालों, और नर्सिंग होम एम्बुलेंस चालकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल खड़े किये है। यह विज्ञप्ति डॉ अमरेंद्र पांडे के हस्ताक्षर से जारी हुई जो इस संस्था के अध्यक्ष है । जो सवाल किए खड़े किए गए हैं वे निश्चय रूप से गंभीर है लेकिन वह आज के सवाल नहीं है कई सालों से चर्चाओं में है। विज्ञप्ति में आठ बिंदुओं को सुझाव के नाम पर सवाल बनाकर प्रस्तुत किया गया है। सवाल उठाने वाले एमपीएनएचए के अध्यक्ष डॉ अमरेंद्र पांडे हैं खुद एक अस्पताल के संचालक है। एमपीएनएचए की बॉडी में उपाध्यक्ष डॉ अमित गौर है,जनरल सेक्रेटरी डॉ जतिन धीरवानी है, कोषाध्यक्ष डॉ जन्मेजय जामदार है। इस संस्था के पूर्व अध्यक्ष डॉ मुकेश श्रीवास्तव है, इसके सदस्य जी एस अहलूवालिया, डॉ अतुल सुले, डॉक्टर स्पर्श नायक, डॉ यश श्रीवास्तव, इसके सलाहकार मंडल में डॉ जितेंद्र जामदार,डॉ आर बी धीरावणी ,डॉ बीके पांसे के नाम प्रकाशित है।
यह विज्ञप्ति और डॉ अमरेंद्र पांडे का वीडियो इसलिए चर्चा में आ गया है क्योंकि इसके पीछे ईमानदार प्रयासों से ज्यादा प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल पूरे चिकित्सा जगत में चर्चित हो गया है। विज्ञप्ति को लेकर डॉक्टर दो फड़ नजर आ रहे है। इसका कारण यह है कि एमपीएनएचए बॉडी के वरिष्ठ डॉक्टर्स को ऐसी किसी विज्ञप्ति के बारे में जानकारी ही नहीं है। जय लोक ने कई वरिष्ठ डॉक्टर्स से इस विज्ञप्ति के बारे में चर्चा की तो सभी ने इससे किनारा कर लिया और इस बारे में ना तो कोई चर्चा और ना ही कोई मीटिंग होने की बात कही है। जारी विज्ञप्ति में एंबुलेंस चालकों और अस्पताल की मिली भगत, अस्पतालों की सेटिंग बाजी, एम्बुलेंस वालों को मसाज पार्लर से लेकर बैंकॉक गोवा घूमने के आरोप और इस कृत्य में लिप्त अस्पतालों और डॉक्टर्स के खिलाफ रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की बात भी कही गई है। यह सुझाव दिया गया है कि परिजनों के वीडियो रिकॉर्ड बयान के रूप में लिए जाए कि वो किस अस्पताल में जाना चाहते है, इलाज के लिए आभूषण बैंक लोन, जमीन लोन लेने पर अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही की जाये, रेड क्रॉस सोसइटी पर भी निगरानी रखने की मांग की गई है। यहां तक की जबलपुर रेडक्रॉस को भी निशाने पर लेटे हुए एमपी नर्सिंग होम एसोसिएशन ने विज्ञप्ति जारी कर कहां है कि 25000 की सहायता कोष राशि और 1000 रुपए की सदस्यता का नियम केवल इसलिए बनाया गया है कई रेड क्रॉस में नैतिक और अच्छे लोग प्रवेश न ले सके।
जिला प्रशासन के सूत्रों का कहना है कि यह व्यवस्था कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के समय लागू की गई थी क्योंकि रेड क्रॉस जो गरीबों की मदद करने के लिए कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र किस संस्था है में धन राशि की काफी कमी रहती थी। कोरोनाकाल के समय जब इस समस्या ने उभर कर सर उठाया था तब उस वक्त सदस्यों के माध्यम से सहायता कोष में राशि जमा करने की वृद्धि करने के लिए यह नियम बनाया गया। एक चर्चा यह भी सामने आई है कि कुछ डॉक्टर केवल अपनी साख बनाने के लिए मुफ्त में रेड क्रॉस सोसाइटी का सदस्य बनना चाहते हैं और इसीलिए यह दबाव बनाने की राजनीति खेली जा रही है।
आज तक क्या किया
एमपी नर्सिंग होम एसोसिएशन अपने आप में एक सक्षम संस्था है। जो चाहे तो ऐसे कृत्य करने वालों अस्पतालों और नर्सिंग होम के खिलाफ एम्बुलेंस चालकों के खिलाफ कड़े कदम उठा सकती है। उनकी सदस्यता समाप्त कर सकती है। उनके खिलाफ शासन को पत्र लिखकर उन पर दंडात्मक कार्यवाही करवा सकती है लेकिन एमपी नर्सिंग होम एसोसिएशन ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है।
5 दिन पहले पत्रकारवार्ता की सूचना
एमपी नर्सिंग होम एसोसिएशन की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति में 5 दिन पहले पत्रकार वार्ता किए जाने और बड़े स्तर पर सार्वजनिक बैठक करने जो सूचना दी गई है वह सूचना कम और धमकी ज्यादा प्रतीत हो रही है। क्योंकि अमूमन अभी तक इतने महत्वपूर्ण विषय पर 5 दिन पहले पत्रकार वार्ता की सूचना आरोप लगाने वाली किसी संस्था ने पहले कभी नहीं दी है।
एमपी नर्सिंग होम एसोसिएशन के लेटर पैड पर जिन पदाधिकारी के नाम दिए गए हैं, वह स्वयं ही जबलपुर में कई दशकों से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। ऐसे में क्या उनकी रजामंदी से यह जारी हुई विज्ञप्ति है। इस बारे में कई वरिष्ठ सदस्यों से जय लोक ने जब चर्चा की तो पता चला कि बिना किसी एग्जीक्यूटिव मीटिंग के,बिना वरिष्ठ से विचार विमर्श किया,एवं अन्य पदाधिकारी को साथ में लिए यह विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। विज्ञप्ति जारी करने वाले अध्यक्ष डॉ अमरेंद्र पांडे को फोन पर कई बार संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।