जबलपुर (जयलोक)
बड़ी विडंबना की बात है कि कई बार कानून प्रक्रिया शहर की प्रगति में भी रोड बन जाती है। शहर में कार्य कर रही सफाई समितियों पर और उनके ठेकेदारों द्वारा की जा रही अनियमितताओं पर एक ओर नगर निगम प्रशासन भारी जुर्माना लगा रहा है। लाखों रुपए उनके ऊपर दंडात्मक रूप से जुर्माने के रूप में वसूल किये जा रहे हैं। दूसरी ओर इन्हीं दंडित सफाई समितियों को 3 महीने का एक्सटेंशन भी नगर निगम सत्ता द्वारा ही दिया जा रहा है। यह मजबूरी का आलम इसलिए बन रहा है क्योंकि लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है।
नगर निगम ने नए सफाई ठेके के लिए निविदा जारी कर दी थी। प्रीपेड बिड में नगर निगम को सफाई ठेकेदार की भूमिका निभाने के लिए 18 लोगों ने अपने आवेदन दिए हैं। लेकिन इसी प्रक्रिया के दौरान चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। सफाई ठेके के नए निविदा की प्रक्रिया आगामी 30 तारीख के पूर्व होना थी। लेकिन अब जो भी निविदाएं सफाई ठेकेदारों द्वारा डाली गई हैं वह 6 जून के बाद आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के उपरांत ही खोली जा सकेंगे।अब यह नगर निगम प्रशासन की बड़ी मजबूरी भी बन गयी है कि हाजरी चोरी और काम चोरी का कलंक झेल रहे सफाई ठेकेदारों और उनकी समितियों से ही सफाई व्यवस्था को जारी रखा जाए। महापौर और उनकी एमआईसी ने जून तक ऐसी सफाई समितियों के कार्य आदेश को आगे बढ़ा दिया है। यह एक्सटेंशन मजबूरी वाला जरूर है लेकिन बाध्यता वाला नहीं है। कठोर कार्यवाही जायेगी।
नगर निगम के नवनियुक्त स्वास्थ्य अधिकारी संभव अयाची का कहना है कि बढ़ाये गये कार्यकाल के दौरान सफाई समितियों के कार्य पर और अधिक बारीकी से निगरानी रखी जाने के निर्देश आयुक्त ने दिए है। जो भी समितियां सफाई कार्य को अच्छे से नहीं करेंगी या सफाई कर्मचारियों की संख्या में गफलत बाजी करेगी तो उनके खिलाफ अनुबंध के अनुसार कठोर से कठोर कार्रवाई निगम प्रशासन द्वारा की जाएगी। नगर निगम के समक्ष इस समय शहर की सफाई व्यवस्था को सिर्फ दुरुस्त रखना ही बड़ी चुनौती नहीं है बल्कि उसमें निरंतर सुधार करते हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छा स्थान लाना भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसी स्थिति में वर्तमान में निर्मित हो गई परिस्थितियां कहीं ना कहीं नगर निगम प्रशासन के लिए भी गले की हड्डी बन रही है।
निगम प्रशासन बिल्कुल भी पुरानी सफाई समितियां के बेईमानी वाले तरीके के साथ कार्य कराना नहीं चाहता है। कई बार जुर्माना की कार्रवाई हो जाने के बाद भी यह सफाई समितियां सिर्फ हाजिरी खाने का खेल खेल रही हैं। इस बीच निगम प्रशासन के सामने यह बड़ी चुनौती हैं कि वह आगामी 3 महीने तक जब तक नई निविदाएं नहीं खुल जाती तब तक इन समितियों को कसकर इनसे अच्छी तरीके से शहर की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरा करवाएं ।
सब मिलकर खा रहे हैं, भ्रष्टाचार की कड़ी को तोडऩा बड़ी चुनौती
सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के कार्य में सबसे बड़ी चुनौती यही है कि इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग से लेकर अधिकारी, पार्षद, सुपरवाइजर, ठेकेदार सभी आपस में मिलकर पैसे खा रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस भ्रष्टाचार की कड़ी को तोडऩा बहुत बड़ी चुनौती है। स्वच्छता सर्वेक्षण हर साल होता है लेकिन जबलपुर नगर निगम इसमें बहुत खास कार्य नहीं कर पाता। इसकी मुख्य वजह यही है कि सफाई व्यवस्था को लेकर जबलपुर के नागरिक संतुष्ट नहीं होते और वह फीडबैक देने के समय अच्छा फीडबैक नहीं देते हैं। नगर निगम प्रशासन के समक्ष यह बहुत बड़ी चुनौती है कि आगामी 3 महीने तक आदर्श आचार संहिता के पालन के साथ-साथ सफाई व्यवस्था को कैसे न कैसे केवल पटरी पर रखे और बल्कि बेहतर बना सके। निगम प्रशासन का रुख स्पष्ट है कि अगर सफाई समितियां अच्छे से काम नहीं करेगी तो अनुबंधों के अनुसार उन पर जुर्माना लगाना, कार्रवाई करना जो भी कठोर दंड होगा वह दिया जाएगा।
कड़ी निगरानी रखेंगे, मैं खुद करुँगी आकस्मिक जाँच
आयुक्त श्रीमती प्रीति यादव ने कहा है कि नए ठेके कि निविदा प्रक्रिया आचार सहिंता के कारण रुक गई है। शहर की सफाई व्यवस्था अच्छी बनी रहे इसलिए पुराने ठेकेदारों को जून तक का एक्सटेंशन मिला है। अब इन सफाई समितियों और ठेकेदारों से नियमानुसार काम लिया जायेगा। हर वार्ड में सफाई संरक्षकों की उपस्थिति पूरी हो, सफाई कार्य अच्छे से हो इसकी बारीकी से निगरानी की जाएगी। आयुक्त प्रीति यादव ने कहा कि वो खुद भी मैदान में उतरकर पूर्व की भांति औचक निरीक्षण कर किसी भी वार्ड में जाँच करने जाएँगी। निगम के अधिकारियों को भी ये जिम्मेदारी सौपी जाएगी। काम नहीं करने वालों और गफलतबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।
– प्रीति यादव,
आईएएस आयुक्त, नगर निगम
