जबलपुर (जयलोक)। संस्कारधानी कहे जाने वाला अपना शहर जबलपुर होली जैसे रंगों के त्यौहार में पिछले कई सालों से आपसी मारपीट में हत्या जैसे वारदात हो जाने के लिए बदनाम रहा है। पुलिस विभाग में जिलेवार दर्ज होने वाले आंकड़ों पर भी नजर डाली जाए तो यह बात सामने आती है कि पिछले 3 सालों से हर होली के त्यौहार पर जिले में हत्या जैसे गंभीर अपराध घटित हुए हैं।
पिछले तीन सालों के आंकड़े देखे जाएं तो होली पर्व पर बलवा, हत्या के प्रयास और मारपीट की घटनाएं तकरीबन सवा सौ के आसपास दर्ज हुई हैं। लेकिन इस बार पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने होली पर्व पर अपराध पर नियंत्रण रखने की रणनीति पर विशेष तौर पर कार्य किया जिसका परिणाम यह हुआ कि इस बार होली पर्व पर पूरे जिले में एक भी हत्या की वारदात दर्ज नहीं हुई और सभी घटनाओं को मिलाकर भी अपराध दर्ज होने का आंकड़ा एक सैकड़ा के पार नहीं हुआ। पुलिस अधीक्षक की इस रणनीतिक कार्यवाही से 3 साल का रिकॉर्ड टूटा है और अपराधों के लिए बदनाम शहर की छवि पर भी सकारात्मक असर पड़ा है। पिछले 3 साल के आंकड़ों का अध्ययन करने पर जय लोक टीम ने यह पाया कि सबसे ज्यादा अपराध वर्ष 2022 में दर्ज हुए थे। इस वर्ष हत्या, हत्या के प्रयास, बलवा जैसी घटनाओं को मिलाकर कुल 159 अपराध दर्ज हुए थे। इसके बाद वर्ष 2021 में होली पर्व पर जिले में दर्ज हुए अपराध की संख्या 126 है इसमें भी हत्या और बलवा के प्रकरण शामिल हैं।
विगत वर्ष 2023 में हत्या और हत्या के प्रयास के मामले मिलाकर कुल 104 अपराध होली पर्व पर जिले के विभिन्न स्थानों में दर्ज हुए थे।लेकिन इस वर्ष होली में अपराधिक मामलों के आंकड़ों में कमी आई है। जबलपुर जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में दर्ज हुए अपराधों की संख्या केवल 94 पर आ गई।
इसमें ना तो हत्या का प्रकरण शामिल है ना ही बल्बे का प्रकरण शामिल हंै केवल एक हत्या का प्रयास दर्ज हुआ। अधिकांश मामले शराब खोरी, आपसी हाथापाई, मारपीट और चाकू बाजी के दर्ज हुए हैं।
कांबिंग गश्त में दर्जनों गिरफ्तारी का दिखा असर
जिले की कानून व्यवस्था को हर पुलिस कप्तान अपनी प्राथमिकता और अलग दृष्टि से संचालित करते हैं। आदित्य प्रताप सिंह ने बतौर पुलिस कप्तान अपराधियों की धर पकड़ और पुराने वारंटी और निगरानी शुदा बदमाशों पर लगातार कार्यवाही करवाने पूरे जिले के फोर्स को एक साथ मैदान में उतारने के साथ अच्छे टीमवर्क का प्रदर्शन भी किया। कांबिंग गश्त के नाम से शुरू हुए अभियान में एक ही रात में हर थाना क्षेत्र के वंछित दर्जनों, सैकड़ों अपराधी या आपराधिक प्रवृत्ति वाले तत्व पकड़े गए। इस कार्यवाही का भी जिले में अपराध को रोकने में महत्वपूर्ण असर दिखा।
नर्मदा जयंती पर इस साल नहीं लगा जाम
नर्मदा जयंती पर धार्मिक आस्था के केंद्र ग्वारीघाट पर लाखों लोग एक ही दिन में दर्शन करने और स्नान करने पहुंचते हैं। हर साल यहां पर लंबा जाम लगता था जिसके कारण लोगों को चार-पाँच घंटे तक फँसे रहना पड़ता था। इस बार कलेक्टर दीपक सक्सेना और पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने पूरे क्षेत्र का पैदल भ्रमण कर और भौगोलिक स्थिति की पूरी जानकारी लेकर यह निर्णय लिया था कि ग्वारीघाट के तट पर भंडारे नहीं होंगे। इसके अलावा एक छोर से वाहनों को पार्किंग स्थल तक अनुमति प्रदान की गई और दूसरे छोर से वाहनों को बाहर निकालने की व्यवस्था की गई। इन दोनों प्रमुख निर्णय का सख्ती से पालन किया गया जिसका परिणाम यह रहा की नर्मदा जयंती के दिन कहीं भी जाम की स्थिति नहीं बनी और इस व्यवस्था ने भी पुराने रिकॉर्ड तोड़े।
