जबलपुर (जय लोक)। जबलपुर में वर्तमान में 156 निजी अस्पताल कार्य कर रहे हैं। इनमें से जिन अस्पतालों का पंजीयन पूर्व से निरस्त है और पाँच अस्पतालों को पंजीयन कल निरस्त किया गया है ऐसे अस्पतालों को आयुष्मान योजना जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा। सूत्रों के अनुसार कुछ अस्पताल तो आयुष्मान योजना की पात्रता रखते भी नहीं है और जिनके पास यह पात्रता है और उनका पंजीयन निरस्त हुआ है वह मरीज को इस योजना के लाभ के अंतर्गत भर्ती नहीं कर पाएंगे। इसकी मुख्य वजह यह है कि इन अस्पतालों पर तत्काल प्रभाव से नए मरीजों की भर्ती पर रोक भी लगा दी गई है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर ने जिले के पांच अस्पतालों का पंजीयन तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश क्रमांक 2024/249 आज जारी किया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर संजय मिश्रा के अनुसार मध्य प्रदेश रुजोपचार्य गृह तथा रुजोपचार्य संबंधी स्थापना अधिनियम 1973 एवं नियम 1997 की धारा 6 (2) के अंतर्गत निम्नलिखित निजी चिकित्सालय में विभिन्न खामियां पाए जाने के कारण तत्काल प्रभाव से इनके रजिस्ट्रेशन लाइसेंस समाप्त कर दिए गए हैं।
इन अस्पतालों में नेपियर टाउन में स्थित आदित्य सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और ट्रॉमा सेंटर, आकांक्षा हॉस्पिटल घमापुर चौक के समीप, ग्रोवर हॉस्पिटल राइट टाउन, श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल बिलखेरवा गांव जबलपुर, स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल बेदी नगर नागपुर रोड शामिल है, इनके रजिस्ट्रेशन लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए हैं। इनमें से किसी अस्पताल के पास फायर सेफ्टी का सर्टिफिकेट नहीं था किसी ने अपने रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के लिए आवेदन ही नहीं किया था। ऐसी स्थिति में इनका संचालन अवैध हो चुका था।
निर्धारित मापदंड पूरे करना जरूरी-डॉ. अमरेंद्र पांडेय
नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमरेंद्र पांडे ने कहा है कि प्रत्येक अस्पताल को निर्धारित माप दंड पूरे करने पर ही मरीजों के उपचार की अनुमति प्रदान किया जाना चाहिए। मापदंड पूरे नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर कार्यवाही करता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूर्व में अस्पतालों को पंजीयन समाप्त होने की जानकारी भी दी गई थी।
जिन अस्पतालों के पंजीयन निरस्त हुए हैं उनमें से अधिकांश संगठन के सदस्य नहीं है। लेकिन नियम कानून से निर्धारित मापदंड को पूरा करना हर अस्पताल के लिए आवश्यक है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अपने आदेश में संबद्ध अस्पतालों को निर्देशित किया है कि आदेश जारी होने के दिनांक से वे नए मरीजों की भर्ती नहीं कर सकते हैं जो मरीज भर्ती है उन्हें तत्काल समुचित उपचार उपलब्ध करा कर डिस्चार्ज करने की कार्यवाही की जाए और कार्यालय को सूचित किया जाए।