बिना अनुमति के सेंट्रल बैंक ने निकाली नीलामी सूचना
क्या नकली बंधक पत्र बनाकर गिरवी रखा गया भूखंड, होनी चाहिए जाँच
@परितोष वर्मा
जबलपुर (जय लोक)। जबलपुर विकास प्राधिकरण में एक अनोखा मामला सामने आया है जिसमें फर्जीवाड़े की बू आ रही है। मामला जैसे ही विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के संज्ञान में आया उन्होंने तत्काल सार्वजनिक सूचना प्रकाशित कर सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा निकाली गई संपत्ति की नीलामी के संबंध में अपनी अधिकृत आपत्ति दर्ज कर दी है। मामला इसलिए अधिक गंभीर समझ आ रहा है क्योंकि जेडीए ने कहा है कि जिस भूखंड का उल्लेख करते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा नीलामी सूचना निकाली गई है उस भूखंड के संबंध में प्राधिकरण द्वारा ना तो पूर्व में और ना ही वर्तमान में भूखंड से संबंधित किसी प्रकार की बैंक बंधक और ना ही हस्तांतरण करने की कोई अनुमति बैंक के पक्ष में दी गई है।
बैंक को पूर्व में ही जबलपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 6 सितंबर 2022 को पत्र क्रमांक 6183 के माध्यम से इस बात की सूचना भी दे दी गई थी। लेकिन उसके बावजूद भी सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया क्षेत्रीय कार्यालय पोलीपाथर द्वारा विकास प्राधिकरण की गंभीर आपत्ति के बावजूद उनके भूखंड की नीलामी सूचना प्रकाशित कर दी गई।
फर्जी दस्तावेज रचित करने का अंदेशा
जबलपुर विकास प्राधिकरण को इस बात का पूरा अंदेशा है कि बैंक में भूखंड को गिरवी रखने की प्रक्रिया के दौरान फर्जी दस्तावेज रचित कर जेडीए की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र बनाया गया और दूसरे संबंधित दस्तावेज भी फर्जी तरीके से तैयार किए गए। क्योंकि प्राधिकरण की ओर से किसी प्रकार की अनापत्ति बैंक के पक्ष में नहीं दी गई। तो फिर बैंक नीलामी की कार्यवाही को संपादित करने के लिए अधिकृत नहीं है। जेडीए ने बैंक द्वारा की जा रही समस्त कार्रवाई को विधि विरुद्ध और शून्य करार दिया है इस बात को लेकर आपत्ति भी उठाई है कि अगर कोई भी व्यक्ति संस्था या अन्य विक्रय की कार्रवाई करता है तो वह शून्य और निष्प्रभावित होगी।
बैंक के इस कृत्य से ठगा जाएगा आम आदमी
सवाल इस बात का भी उठ रहा है कि जब सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया को सितंबर 2022 में ही जबलपुर विकास प्राधिकरण की ओर से अधिकृत रूप से पत्र के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हो चुकी थी कि उक्त भूखंड के संबंध में किसी प्रकार का अनापत्ति प्रमाण पत्र जेडीए द्वारा जारी नहीं किया गया है, तो उसके बाद भी बैंक अधिकार न होने के बावजूद भी उक्त भूखंड की नीलामी क्यों कर रहा है? क्या बैंक को सिर्फ अपने ही पैसे से मतलब है? जो विवादित संपत्ति को नीलाम कर आम आदमी को भी ठगने की तैयारी कर रहा है। इस भूखंड को खरीदने वाला कोई भी व्यक्ति इसका स्वामित्व नहीं पा सकेगा क्योंकि उस भूखंड के लीज स्वामी जबलपुर विकास प्राधिकरण ने इस पर आपत्ति लगा रखी है।
इनका कहना है
प्रारंभिक तौर पर प्राधिकरण की ओर से सार्वजनिक सूचना का प्रकाशन कर सेंट्रल बैंक द्वारा नीलामी की सूचना पर आपत्ति लगा दी गई है। इस बात की भी जाँच गंभीरता से की जा रही है की कहीं फर्जी दस्तावेजों ऑर कूटरचित दस्तावेजों का निर्माण तो नहीं किया गया। प्राधिकरण की ओर से उक्त भूखंड के संबंध किसी प्रकार की अनापत्ति जारी नहीं की गई है। बैंक द्वारा की जा रही नीलामी की प्रक्रिया विधि विरुद्ध है। प्राधिकरण की लीज की भूमि को बैंक को नीलाम करने का कोई अधिकार नहीं है। बैंक से संबंधित भूखंड के दस्तावेज प्राप्त कर जाँच प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी और दोषी पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई के लिए कदम उठाए जाएंगे।
दीपक कुमार वैद्य, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जेडीए
यह है वह संपत्ति
सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा प्रकाशित की गई नीलामी सूचना में उक्त संपत्ति के बारे में बताया गया है कि जेडीए स्कीम नंबर 6 प्लॉट ,नंबर 168 वीर सावरकर वार्ड जिला जबलपुर क्षेत्रफल 2400 स्क्वायर फीट संपत्ति स्वामी विजय कुमार लवाना एवं जितेंद्र कुमार दोनों पिता आर डी लवाना। नीलम सूचना में उधारकर्ता/जमानतदार के रूप में जीवन संजीवनी समिति, बन्धककर्ता / जमानतदार प्रतिक धर चौधरी वारिसान श्रीमती राशिधर चौधरी व अन्य के नाम दर्ज है। सेंट्रल बैंक ने उक्त संपत्ति पर 2 करोड़ ,5 2 लाख , 6 5 हजार ,1 2 0 रूपये की बकाया राशि निकाली है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि उक्त संपत्ति के भूमि स्वामी विकास प्राधिकरण से एक तो भूखंड को नीलाम करने की अनापत्ति प्राप्त नहीं की गई है। दूसरा जानकारी छिपाते हुए इसको नीलाम करने का प्रयास कर रहा है।
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