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राम मंदिर: बाबर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, जानें कब-कब क्‍या हुआ?

अयोध्या. अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला के विराजित होने की तैयारियां की जा रही हैं. राम मंदिर के इतिहास में बाबर से लेकर राम मंदिर तक लगभग 500 सालों का समय लगा. 9 नवंबर 2019 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया गया. जब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली. आइए जानते हैं बाबर से लेकर सुप्रीम कोर्ट और फिर राम मंदिर बनने में साल दर साल कब क्या हुआ.

साल 1885: महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की थी. इसके तहत उन्होंने राम की मूर्ति स्थापित करने की अर्जी लगाई थी, जो खारिज हो गई थी.

साल 1949: 23 दिसंबर साल 1949 को विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति मिली थी. हिंदू पक्ष का कहना था कि राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुस्लिमों ने आरोप लगाया था कि किसी ने रातों-रात मूर्तियां रख दीं. इसके बाद इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया गया था.

साल 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गईं. पहली याचिका में गोपाल सिंह विशारद ने पूजा के अधिकार को लेकर अर्जी दाखिल की, तो दूसरी याचिका में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी.

साल 1959: निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी याचिका दाखिल कर रामलला स्‍थल का अधिकार मांगा. उन्होंने अपनी दलील में कहा था कि विवादित ढांचे का आंतरिक और बाहरी अहाता भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मान्य है. हम उनके सेवायत हैं ऐसे में हमें ये अधिकार सदियों से प्राप्त है.

साल 1961: यूपी सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड ने अर्जी दायर कर साइट का अधिकार मांगा. इसमें विवादित ढांचे के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की थी.

साल 1986: कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि हिन्‍दू श्रद्धालुओं के लिए जगह खोली जाए. यूसी पांडे की याचिका पर जिला जज केएम पांडे ने आदेश दिया था. इसके बाद विवादित ढांचे का ताला खोला गया और श्रृद्धालुओं को जाने की इजाजत दी गई.

साल 1989: इस साल विहिप ने हजारों हिंदू समर्थकों के साथ राम जन्म भूमि का शिलान्यास कर दिया था. कामेश्वर चौपाल के हाथों राम मंदिर की पहली ईंट रखवायी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे वाले स्‍थान पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा.

1992: विहिप और शिवसेना समेत तमाम हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को 6 दिसंबर को गिरा दिया. देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए. इसके बाद एफआईआर दर्ज की गई.

1993: इस साल सीबीआई ने समेकित चार्जशीट फाइल की. जिसमें बाल ठाकरे, नृत्य गोपाल दास, चम्पत राय, आडवाणी, उमा भारती और अन्‍य पर लगे आरोप.

2001: विवादित ढांचा गिराने के मामले में कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, बाल ठाकरे समेत 13 लोगों के खिलाफ कार्रवाई रोक दी थी.

साल 2004: विवादित ढांचे के मामले में सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की थी.

साल 2010: हाईकोर्ट ने सीबीआई की रिवीजन पिटीशन को खारिज कर दिया था. इसके बाद 24 सितंबर को लखनऊ पीठ की बेंच ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को तीन हिस्सों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलाला के बीच बांटा. ये फैसला इन पक्षों का मंजूर नहीं था, फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

साल 2019: यह ऐतिहासिक दिन 9 नवंबर 2019 का था. इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने पूरी विवादित जगह को रामलला को सौंपने का आदेश दिया था. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की थी.

Jai Lok
Author: Jai Lok

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