बैठक में हुआ खुलासा: बुक डिपो वाले दे रहे मोटा कमीशन
और मनमर्जी से वसूल कर रहे पैसा
जबलपुर (जयलोक)। शिक्षा माफिया के अंतर्गत आने वाले निजी स्कूल, प्रकाशकों, कॉपी किताब और यूनिफॉर्म विके्रताओं का गठजोड़ बच्चों के अभिभावकों को किस कदर लूट रहा है इसकी एक बानगी कलेक्ट्रेट कार्यालय में अपर कलेक्टर श्रीमती मिशा सिंह की उपस्थिति में आयोजित हुई बैठक में सामने आ गई। बैठक में शामिल हुए बहुत से कॉपी किताब के विके्रताओं ने बताया कि कुछ एक चुनिंदा बुक सेलर निजी स्कूलों और प्रकाशकों के साथ मिलकर अभिभावकों को लूटने का एक रैकेट चला रहे हैं। कुछ खास दुकानदारों के अलावा दूसरे किताब विके्रताओं के यहां ऐसे तथा कथित प्रकाशकों की किताबें नहीं मिलती है और कमीशन बाजी के खेल में कतिपय स्कूलों और प्रकाशकों की साठगाँठ के कारण 20 रुपये मूल्य की किताब को 100 रुपये तक में बेचा जा रहा है। इस बात के लिए मोटा कमीशन कुछ निजी स्कूलों को दिया जाता है। शासकीय बैठक में कॉपी किताब के कुछ विके्रताओं द्वारा किए गए खुलासे के बाद यह बात तो प्रशासन के सामने भी स्पष्ट हो चुकी है कि कमीशन बाजी का खेल किस स्तर पर चल रहा है।
षड्यंत्रकारी तरीके से अभिभावकों को लूटने के लिए बनाया गया यह नेटवर्क तोडऩे के लिए जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कमर कस ली है। एक ओर वह जहां 10 अप्रैल से 14 अप्रैल के बीच में शहीद स्मारक में बड़े स्तर पर बुक फेयर लगवाने जा रहे हैं। दूसरी ओर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने खुद अपना व्हाट्सएप नंबर जारी कर अभिभावकों से सीधे शिकायतें आमंत्रित की है। इन शिकायतों के आधार पर अभी तक 65 स्कूलों के खिलाफ जिला प्रशासन प्रकरण दर्ज कर उनकी फाइलें खोल दी हैं। हर एक स्कूल के संबंध में प्राप्त हो रही शिकायतों पर खुली सुनवाई कलेक्टर करवाने जा रहे हैं। यह तो निश्चित है कि इस खुली सुनवाई में कई निजी स्कूलों की पोल भी खुल जाएगी।
कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर विभिन्न एसडीएम और तहसीलदारों ने अपने-अपने क्षेत्र में स्थित कॉपी किताब के तथाकथित बड़े विके्रताओं के यहां छापेमार शैली में पहुंचकर जाँच पड़ताल की है। जाँच में सामने आई बातों पर प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि कुछ स्कूलों के द्वारा पूर्व से एनसीईआरटी के तहत लगने वाली पुस्तकों के अलावा कुछ प्रकाशकों की किताबें भी अलग से जानबूझकर कोर्स में शामिल की गईं। यही किताबें चुनिंदा दुकानदारों के यहाँ उपलब्ध करवा कर और मनमाने रेट पर बेचने का खेल खेला जा रहा है।
शहर के कुछ बड़े नामचीन दुकानदार भी शैक्षणिक क्षेत्र की शुरुआत में मिलने वाले लूटखसोट करने के अवसर को गवाना नहीं चाहते और वह भी अपने नाम से अपनी ब्रांडिंग से कॉपी किताब में चढऩे वाले कवर से लेकर नेम स्टीकर तय कीमत से 8 से 10 गुना दाम बढ़ाकर बेच रहे हैं और अभिभावकों को इन्हें खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।
शहर के कुछ एक बुक सेलर को छोडक़र अधिकांश बुक सेलर कलेक्टर दीपक सक्सेना की बुक फेयर (किताबों के मेले) की शुरुआत को बहुत अच्छा मानते हुए इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं। साथ ही यह माँग भी उठाई जा रही है कि अगले साल से जनवरी महीने में ही नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत के 3 महीने पहले ही निजी स्कूलों से उनके यहाँ लगने वाली किताबों की सूची प्रशासन को ले लेनी चाहिए। यह सूची अन्य बुक्सेलरों को भी उपलब्ध करानी चाहिए ताकि वे भी प्रकाशकों से संपर्क कर उक्त किताबें बेचने के लिए खरीद सकें और किसी भी प्रकार की मोनोपोली या कालाबाजारी की गुंजाइश निर्मित ना हो पाए। अच्छी प्रतिस्पर्धा के बीच में कम मार्जिन के साथ कॉपी किताबें बच्चों के अभिभावकों को उपलब्ध हो सकें एवं गिने चुने जो लोग षड्यंत्रकारी तरीके से रैकेट बनाकर अभिभावकों को लूटने का कार्य कर रहे हैं उस पर रोक लग सके।
यूनिफॉर्म और स्टेशनरी का सामान भी ऐसे ही उपलब्ध हो
बैठक में अभिभावकों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर यह भी तय किया गया है कि स्कूलों में लगने वाली यूनिफॉर्म जल्दी-जल्दी ना बदली जाए। स्टेशनरी के सामान में भी खरीदने के लिए किसी को विवश न किया जाए और जो जरूरी सामान है उसकी सूची गठित निजी स्कूलों की समिति द्वारा ही तैयार कर दी जाए। ऐसा होने से यूनिफॉर्म और स्टेशनरी खरीदने के मामले में भी अभिभावक लूटे जाने से बच सकेंगे।
खुली सुनवाई में कुछ निजी स्कूलों की करतूत से अभिभावक पर्दा उठाएंगे
अभिभावकों को शिकायत करते समय उनका नाम गोपनीय रखने की सहूलियत भी जिला प्रशासन की ओर से दी जाएगी। जो तथ्य सामने आएंगे और जिसकी गड़बड़ी पाई जाएगी ऐसे निजी स्कूलों पर 2 लाख तक का जुर्माना और उनकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके अलावा कमीशन खोरी करने वाले कॉपी किताब की दुकानदारों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जा सकेगी।
![Jai Lok](https://secure.gravatar.com/avatar/47b82cb127ede5c425d568356794875f?s=96&r=g&d=https://jailok.com/wp-content/plugins/userswp/assets/images/no_profile.png)