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निगम बजट के लिए महापौर के विशेष अधिकार से गठित हो सकती है एमआईसी…… एमआईसी का कबूतर नहीं बैठ रहा एक डाल पर

नामों पर नहीं बन पा रही सहमति, गेंद अब संगठन के पाले में

@परितोष वर्मा
जबलपुर जयलोक।  नगर निगम जबलपुर में बदले राजनीतिक समीकरणों के बाद दोनों ही दल भारतीय जनता पार्टी और कांगे्रस इससे प्रभावित नजर आ रहे हैं । ना तो कांग्रेस अपना नेता प्रतिपक्ष चुन पाई है और ना ही भाजपा मेयर इन काउंसिल के सदस्यों के संबंध में अभी तक कोई निर्णय ले पाई है। अब मुसीबत इस बात की है कि हर हाल में मार्च के महीने में नगर निगम का सालाना बजट एमआईसी से पारित होना जरूरी है। ऐसा नहीं होने की दिशा में नगर निगम की अर्थव्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके मद्देनजर जो विकल्प सामने नजर आ रहे हैं वह यह है कि बजट के लिए महापौर अपने विशेष अधिकरी जिसे (प्रसाद पर्यंत) कहा जाता है का प्रयोग कर एमआईसी गठित कर सकते हैं। नगर निगम के एक्ट में इस बात का प्रावधान है। महापौर के अधिकार क्षेत्र में मेयर इन काउंसिल गठन में 5 सदस्य से लेकर दस सदस्यों तक नियुक्ति की जा सकती है और आवश्यकता पडऩे पर मेयर इन काउंसिल को बर्खास्त भी किया जा सकता है।
विधायकों ने अभी तक  नहीं दिए नाम
सूत्रों के अनुसार मेयर और काउंसिल के गठन के लिए नगर के जन प्रतिनिधियों विशेष कर भाजपा विधायकों से उनकी विधानसभा क्षेत्र से दो दो नाम मांगे गए हैं, लेकिन बहुत से विधायकों ने अभी तक नाम नहीं दिए हैं। जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी संगठन इस विषय में कोई निर्णय नहीं कर पा रहा है। यही वजह है कि एमआईसी के गठन का विषय का कबूतर सहमति न बन पाने के कारण किसी एक डाल पर नहीं बैठ पा रहा है।
बजट के लिए एमआईसी अनिवार्य
सूत्रों के अनुसार नगर निगम के एक्ट में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि नगर निगम को अपना सालाना बजट पास करने के लिए एमआईसी की मंजूरी अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में नगर निगम के वार्षिक बजट को एमआईसी गठन का इंतजार है। निर्मित हो रही परिस्थितियों में एक विकल्प यह भी है कि महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू स्वयं न्यूनतम 5 सदस्यों की नियुक्ति कर एमआईसी का गठन कर लें और नियमानुसार बजट को पारित कर नगर निगम की अर्थव्यवस्था को भी पटरी से उतरने से बचाया जा सके। एमआईसी के बजट पारित हो जाने के बाद सदन की स्वीकृति के लिए बजट भेजा जाना है।
2000 करोड़ के मामले लंबित
सूत्रों के अनुसार एमआईसी गठन में हो रहे विलंब के कारण नगर विकास से संबंधित करीब 2000 करोड़ के विकास कार्य अनुमति और चर्चा के लिए लंबित हैं। इन विषयों पर मेयर इन काउंसिल के गठन के बाद ही चर्चा हो पाएगी और इन्हें स्वीकृति मिल पाएगी।
संगठन के पाले में गेंद
एमआईसी में अधिकतम 10 सदस्यों को शामिल किया जा सकता है। ऐसे में भाजपा के हर विधायक को सभी क्षेत्र से दो पार्षदों के नाम संगठन को देना है। इन नाम पर अधिकांश जगहों पर समन्वय ना बन पाने के कारण अब एमआईसी गठन किए जाने का मामला संगठन के पाले में जा चुका है। अब भाजपा संगठन ही एमआईसी को लेकर कोई फैसला कर सकेगा।
समन्वय बनाने वरिष्ठ  पार्षदों की जरुरत
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आ जाने के बाद अब इस बात की भी दरकार समझ आ रही है कि एमआईसी में भाजपा के वरिष्ठ पार्षदों को शामिल कर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से महापौर अच्छा तालमेल बना पाएंगे और बिना किसी विघ्न के सुचारू रूप से नगर सत्ता अपना कार्य कर पाएगी।
इनका कहना है
हमारे जनप्रतिनिधियों और संगठन की राय शुमारी जारी है, जल्द ही मेयर इन काउंसिल के सदस्य घोषित हो जाएंगे एवं नगर विकास के करोड़ों रुपए के कार्यों को भी जल्द स्वीकृति प्रदान कर धरातल पर उतारा जाएगा।
                                                                                                                         जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर

Jai Lok
Author: Jai Lok

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