सच्चिदानंद शेकटकर
जय लोक। भारतीय जंक्शन और भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में शामिल रहे वरिष्ठ राजनेता लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं की है 97 वर्षीय देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा है कि वह हमारे समय के सबसे सम्मानित स्टेट्समैन हैं।देश के विकास के लिए उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता है। आज जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो गया है तब राम मंदिर आंदोलन को भूला नहीं जा सकता है।राम मंदिर आंदोलन के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने 63 वर्ष की उम्र में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी इसी यात्रा का यह फल मिला कि 1984 में लोकसभा में दो सीटों पर सिमट गई भाजपा को 1991 में 120 सीटें मिली थीं। आज जब भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे सशक्त सत्तारूढ पार्टी बन गई है तो इस पार्टी को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम करने में लालकृष्ण आडवाणी का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है। अटल बिहारी वाजपेई जब देश के प्रधानमंत्री बने तब लालकृष्ण आडवाणी ने ही विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करके वाजपेई जी को प्रधानमंत्री बनवाया था। वाजपेई जी कहते थे कि हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हम सत्ता की राजनीति करेंगे लेकिन सत्ता की राजनीति करने का चस्का हमें लाल कृष्ण आडवाणी ने ही लगाया है।
लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का निर्णय लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे जो 1991 में आडवाणी की रामरथ यात्रा के सारथी बने थे। जहां तक लालकृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी के बीच संबंधों का सवाल है तो इन दोनों के संबंध उतार चढ़ाव भरे रहे हैं नरेंद्र मोदी लाल कृष्ण आडवाणी के प्रियपात्र तब तक बने रहे जब तक वह भाजपा संगठन में सक्रिय रहे और गुजरात के मुख्यमंत्री बने। लाल कृष्ण आडवाणी का नरेंद्र मोदी के प्रति लगाव उस समय भी सार्वजनिक हुआ जब गोवा में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा था तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने यह कहा था कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में दंगों को रोकने के लिए राजधर्म का पालन नहीं किया। अटल जी यहीं तक नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। अटल जी की इस बात पर सम्मेलन में सन्नाटा छा गया तब वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने माइक संभाला और अटल जी को संबोधित करते हुए कहा कि आपने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देने के लिए कहा है लेकिन यदि मोदी से मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिलाया जाता है तो उसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा। तब अटल जी ने कहा कि आडवाणी जी गुजरात के मुख्यमंत्री से माफी तो मंगवा ही दीजिए। तब यह साबित हुआ कि लाल कृष्ण आडवाणी नरेंद्र मोदी के लिए कितने बड़े संकटमोचक साबित हुए थे। लेकिन आडवाणी और मोदी के बीच संबंध उस समय तनावपूर्ण हो गये जब 2014 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश कर दिया। जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुने जाने की प्रक्रिया शुरू की तो लालकृष्ण आडवाणी बिफर गए और जब संसदीय बोर्ड की बैठक में भाग लेने जा रहे थे तब उन्हें पता चला कि नरेंद्र मोदी को भाजपा संसदीय बोर्ड ने प्रधानमंत्री पद के लिए उनका नाम तय कर लिया है तब आडवाणी बीच रास्ते से ही अपने घर लौट आए। इतना ही नहीं आडवाणी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चयन को लेकर अपनी नाराजगी भरा पत्र भी लिख दिया?। जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए तब भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में उनके स्वागत का कार्यक्रम आयोजित हुआ। उस समय लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने भाषण में नरेंद्र मोदी को भाजपा संगठन से बड़ा होने की बात कर दी। नरेंद्र मोदी को उनका बोलना बुरा लगा। मोदी ने जब अपने भाषण की शुरुआत की तब उन्होंने आडवाणी द्वारा उन्हें संगठन से बड़ा कहे जाने पर रोते हुए कहा कि आडवाणी जी मैं संगठन से बड़ा नहीं हो सकता हूं भाजपा संगठन मेरे लिए मां के समान है। तब आडवाणी और नरेंद्र मोदी के खटास भरे संबंध सार्वजनिक हुए। लेकिन नरेंद्र मोदी कभी भी आडवाणी के प्रति आदर भाव व्यक्त करने में पीछे नहीं रहे। नरेंद्र मोदी ने 2015 में लालकृष्ण आडवाणी को पद्मविभूषण का सर्वोच्च सम्मान दिलाया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी को सर्वोच्च भारत रत्न देने का निर्णय लिया है। निश्चित ही आडवाणी ने नरेन्द्र मोदी के लिए जो कुछ भी किया उसका पूरा कज़ऱ् उनने चुका दिया।