भोपाल (जयलोक)बिरसा मुंडा और टांट्या मामा के माध्यम से आदिवासी को साधने में लगी प्रदेश सरकार के एक आदेश ने हडक़ंप मचा दिया है।
इसे लेकर आदिवासियों में काफी नाराजगी है, क्योंकि वनग्राम में रहने वालों से रोजगार के अवसर छीने जा रहे है। असल में वन विभाग मुख्यालय से यह आदेश निकाला है। इसमें विभागीय व जंगल में होने वाले समस्त निर्माण व पौधारोपण से जुड़े कार्य भी टेंडर से करवाने पर जोर दिया है, जबकि अभी तक वन विभाग में ठेका प्रथा लागू नहीं हुई थी।
जंगल में होने वाले सारे कामों के लिए ग्रामीणों की मदद लेते थे। ये अपना पंजीयन वन समिति में करवाते थे। कार्यों की निगरानी वन अफसरों के पास रहती है। फिलहाल इस आदेश का विरोध मध्य प्रदेश रेंजर्स एसोसिएशन ने भी किया है। उधर 27 मार्च को आदेश वन विभाग के उप सचिव अनुराग कुमार ने दिया है।
ये होता आया है
बरसों से वन विभाग में किसी भी कार्य के लिए स्थानीय ग्रामीण व वनवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करना होता है, ताकि जंगलों से इनके पलायन को रोका जा सके। पौधारोपण में गड्ढे खोदाई, पौधे लगाना, फायर लाइन बनाना, तालाब, कंटूर निर्माण, निंदाई-गुड़ाई कार्यों के माध्यम से वन विभाग इन्हें रोजगार देता आया है। बदले में इन्हें राशि आवंटित होती है, जो सीधे खातों में जमा होती है। वन समिति के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार मिलता है। इसका फायदा यह होता है कि वनक्षेत्र में किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश नहीं रहता था। ऐसे में जंगल को नुकसान नहीं पहुंचा था। वैसे किसी भी निर्माण कार्य के लिए विभाग सामग्री के लिए टेंडर बुला था, जबकि भवन बनाने में मजदूरों की व्यवस्था विभाग को करना पड़ती है।
अब ये होगा
वन विभाग ने सभी कार्य निविदा से करवाने को लेकर तैयारी कर ली है, जिसमें समस्त वनमंडल स्तर पर होने वाले कार्यों के लिए टेंडर निकाले जाएंगे। साथ ही वन्यप्राणियों के क्षेत्र में भी काम करने की ठेकेदारों को छूट होगी। फैंसिंग, बाउंड्रीवाल निर्माण, भवन निर्माण, नर्सरी से जुड़े सभी कार्य, पौधारोपण के लिए गड्ढे खोदाई, पौधे लगाना, वन मार्ग उन्नयन, सुदृढीकरण कार्य, तालाब, भू-जल संरक्षण सहित कार्य बाहरी लोग कर सकेंगे। टेंडर होने के बाद ठेकेदार बाहरी लोगों को लाकर काम करवाएगा। ऐसे में आदिवासी का रोजगार छीन सकता है। ठेका देने के बाद विभागीय अफसरों के ऊपर से भी कार्य की निगरानी की जिम्मेदारी कम होगी। ठेकेदार आरक्षित वनक्षेत्र में काम कर सकेंगे। ऐसे में जंगल और वन्यप्राणियों को खतरा होगा।
जंगलों को बढ़ेगा खतरा
आदेश निकलने के बाद मध्य प्रदेश रेंजर्स एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष शिशुपाल अहिरवार का कहना है कि टाइगर-लेपर्ड स्टेट का दर्जा प्रदेश को मिल चुका है। यहां ठेका पद्धति शुरू होने से जंगल में बाहरी लोगों की गतिविधियां बढ़ेगी। जानवरों को खतरा होगा। साथ ही आदिवासियों से रोजगार छीना जा रहा है। ये लोग जंगल में रहते है इसलिए वनक्षेत्र व वन्यप्राणी सुरक्षित रहते है।