नई दिल्ली। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने इस देश के मुसलमानों से सिर्फ तीन मंदिर मांगे हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि हमें दे दें तो दूसरी मस्जिदों की तरफ हम नहीं देखेंगे। महाराज के इस बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बहुत बुरी तरह भडक़ गए हैं। उन्होंने कहा है कि यह तो सीधा-सीधा ब्लैकमेल है। वे मुस्लिम समुदाय को खुले तौर पर धमकी दे रहे हैं। यह एक तरह से ब्लैकमेल है कि हमें जो चाहिए, वह नहीं दिया गया तो हम वही करेंगे जो छह दिसंबर 1992 को किया था। यह हिंसा का आह्वान है। यह पूछने पर कि यह धमकी कैसे हुई? हिंदू पक्ष शांतिपूर्ण ढंग से ये बात कर रहा है कि ये तीनों जगह हमें सौंप दी जाए। इस पर ओवैसी ने कहा कि ये लोग झूठे हैं। झूठ बोलना इनकी फितरत में है। इन्होंने पहले भी ऐसा किया था। ये लोग कौन होते हैं, मांग करने वाले। यह हिंदुत्व और बहुसंख्यकवाद की राजनीति है। ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद टाइटल सूट फैसले ने ज्ञानवापी पर आए कोर्ट के फैसले की नींव रखी। अगर आपने ज्ञानवापी को लेकर 31 जनवरी का वाराणसी कोर्ट का फैसला पढ़ा है तो आपने गौर किया होगा कि फैसला सुनाने वाले जज उसी दिन जज रिटायर हो गए थे। उन्होंने बिना तर्क के यह फैसला सुनाया. उन्होंने बिना कारण बताए फैसला सुना दिया. यह फैसला पूरी तरह से गलत है। ज्ञानवापी मामले पर फैसला गलत फैसला है। बाबरी मस्जिद मामले में खुदाई की गई थी लेकिन ज्ञानवापी मामले में सर्वे किया गया.खुदाई और सर्वे में अंतर होता है। खुदाई रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में मान्य नहीं माना गया और अदालत ने साफतौर पर कहा था कि अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए किसी मंदिर को ध्वस्त नहीं किया गया। ज्ञानवापी मामले में आप कह रहे हैं कि सर्वे किया गया। सर्वे और खुदाई में अंतर होता है. हमने यह साफ किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद निर्माण के लिए किसी मंदिर को ध्वस्त नहीं किया गया। हम सर्वे रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती देंगे। ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में हमसे कहा गया कि आप तो यहां नमाज भी नहीं पढ़ते हैं तो कैसे अधिकार मिलेगा? लेकिन ज्ञानवापी मामले में तो मुस्लिम लगातार वहां नमाज पढ़ते आ रेह हैं। 1993 से वहां कोई पूजा नहीं हुई। तो यह एक तरह से दोयम नजरिया हुआ। अगर हम कल राष्ट्रपति भवन की खुदाई करना शुरू कर दें। तो हमें वहां भी कुछ न कुछ मिल जाएगा। तो क्या हम उसके आधार पर वहां अपना दावा कर दें।
ओवैसी ने राजदीप सरदेसाई के साथ इंटरव्यू में कहा कि हमारे साथ एक बार धोखा हो चुका है, हम दोबारा अपने साथ धोखा नहीं होने देंगे। अगर एक पक्ष छह दिसंबर को दोहराना चाहता है तो हम देखेंगे। हमारा कानून में विश्वास है. हम कानूनी रास्ता अख्तियार करेंगे। लेकिन यह साफ है कि हम अब देश में किसी भी मस्जिद पर अपना दावा नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि संविधान के आर्टिकल 32 का पालन होना चाहिए। जहां तक इस मुल्क के मुस्लिमों का सवाल है, हमारा इस देश के प्रधानमंत्री पर कोई भरोसा नहीं रहा। क्योंकि प्रधानमंत्री एक खास विचारधारा के आधार पर अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहे हैं, जो हमें कतई मंजूर नहीं है।